भिटोली रोहित दो दिन की छुट्टी ले लो, रेनू ने टिपिन पैक करते हुए कहा, रोहित यार अभी तो मार्च फाईनल चल रहा है, और फिर महीने की शुरूवात में बॉस नये टारगेट दे देते
"कैसी हो माँ ?"आज एक महीने बाद आकाश ने अपनी मां को फ़ोन किया था"कैसी रहूंगी? क्या मतलब है तुमको अपनी मां से ? पुरी जिंदगी कष्ट सह के तुमको पाला पोसा। आज तुमको मां को फ़ोन करने की भी फुर्सत नही है
नव्या सीढ़ियों से नीचे उतरने लगती है, तभी सौरभ कहते हैं अरे 2 मिनट रुक जाइए मैं भी तैयार होकर आता हूं नव्या बोली आपको तो पुलिस स्टेशन जाना है। लेकिन मुझे तो अपने घर जाना है इसलिए मैं जा रही हूं आ
आप सभी का फिर से स्वागत है दोस्तो। अब आगे की कहानी... रचित रचना, से कहता है, क्यों ना हम कॉफी पीने चले। रचना कुछ देर सोचने के बाद, में बताती हूं तुमको, अभी चले, क्लास का टाइम हो रहा हैं। रचित हा
आप सभी का एक बार फिर से स्वागत हैं। तो कहा थे हम, जी हा आप सब सही समझे, तो चलिए शुरू करते है। मैडम ने रचित से कहा, यह रचना हैं, आज से यह तुम्हारे क्लासमेट हैं। रचना को सब कुछ समझा दो, की हमारी प
दोस्तो आपका स्वागत है। भाग 2 में.. हम पिछले एपिसोड में कहा थे याद आया आपको। हां हां मुझे पता है आप लोगो को याद होगा। तो कहानी शुरु होती है, रचना से.. वो भी दिल्ली से मुंबई आई थी अपने पाप
"कहते है ना, की हर किसी की शुरुआत बचपन से ही शुरू होती हैं। तो यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, यह कहानी शुरु होती हैं।" "बचपन" से... रचित और रचना की कहानी भी कुछ ऐसी शुरु होती हैं। "रचित" बचपन
आप सभी का स्वागत है, दोस्तो। यह मेरी पहली कहानी हैं, जैसे होता है ना बचपन। वैसी ही यह कहानी है, जिसका शीर्षक हैं। "बचपन का प्यार" आप अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखियेगा दोस्तो। धन्यवाद। 😊
प्रणाम सद्गुरू, हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य
1.मार्च में चेत , महीना आता है। कनके, सरसों यह पकाता है। अप्रैल बैसाख महीना आता है। कनके, सरसों को दांती छिट्टा लगाता है। 2.मई जेठ , महीना आता है। तेज़ गर्मी, और तेज़ धूप यह लाता है। जुन में हा
1.हम खुशियां आप की बोल रहे हैं। आप को अंदर से फरोलं रहें हैं। खुद को क्यों? फिक्रों के तराजू में तोल रहें हैं। आप खुद की, जिंदगी को क्यों रोल रहें हैं। 2.फिक्रों में आप खुद को, भुल रहें हैं। फिक्
हनुमानजी के भक्तों ने शायद ही कभी ध्यान दिया हो कि राम चरित मानस में हनुमान जी के जो गुण चरितार्थ किए गए हैं, वे मुख्यत: शक्ति, भक्ति(श्रीराम की) और आज्ञा पालन हैं। क्योंकि इन सब गुणों को कठिन कार्य
1.जुन महीना आता है। गर्मी साथ लाता है। पंखे, कूलर ,फ्रिज चलाने का । समय यह लाता है। 2.जुन महीना आता है। गलियों में, कुल्फी वाला आता है। आवाजें हमें लगाता है। आओ भाई आओ गर्मीयों में ठंडी-ठंडी
प्रणाम सिस्टर, हम किसी की मदद करे और उनसे इस तरह मदद की अपेक्षा न रखे क्योकि उसके सीडी में अलग अंकित है जो आपके सीडी में था आपने चलाया उसके सीडी है वो वैसा ही चलाएगा। याने कि न
मोहब्बत, मोहब्बत ही रहेगी बदल नहीं जाएगीचाहे तुम हमसे करो या हम तुमसे करें-दिनेश कुमार कीर
सत्य होता सामने तो, क्यों मगर दिखता नहीं, क्यों सबूतों की ज़रूरत पड़ती सदा ही सत्य को। झूठी दलीलें झूठ की क्यों प्रभावी हैं अधिक, डगमगाता सत्य पर, न झूठ शरमाता तनिक। सत्य क्यों होता प्
1.मंजिलें तुम्हें, ख़ुद तराश करनी है। किसी दुसरे की , क्यो हांमी भरनी है। कभी किसी दुसरे के , सहारे मत चलना। जब उड़ान तुम्हें, खुद भरनी है। 2.मंजिलें होती है, थोड़ी कठिन। कठिनाइयों से तुम, कभी डर
1.मैं खुद को, तराश रहीं हुं। समय , तेज़ी से भाग रहा है। लेकिन मेरी, तराश अभी अधुरी है। जीवन जीने के लिए, मक़सद जरूरी है। 2.जब खुद की, तराश की तो। पता चला, कोई मकसद ही नहीं है। बिना मक़सद के, म
अपने-बालों को, सहेज कर,उसमें से,एकाध!झांक रहे,कभी-कभी,तेरे गालों पर,मचलने वाले,इन मनचले!सफेद बालों को,मत छिपाया करो;ये बढ़ती उम्र का,आभास! भले ही,करा रहे हों तुम्हें;लेकिन !तसल्ली देते हैं,म
दो रोटी की चोट से, पीर पोर तक होय, मन साधे तो तन दुखे, तन साधे मन रोय। (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"