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Alok Kumar के लेख

#परिवर्तन

2 अप्रैल 2017
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जनता_की_नब्ज_और_EVM जीत पर EVM का सही होना और हार पे EVM ख़राब रहना देश की राजनैतिक मनोदशा को दर्शाता है! हार की आशंका जब तब पहले से ही ठीकरा EVM पे फोड़ देना चाहिए इससे नाकामी और सरकार की बदनामी दोनों से निजात मिलती है? इसका सफल प्रयोग दिल्ली में होने जा रहा है? उन वायदों को निभाना जो जनता से इसस

#परिवर्तन

12 मार्च 2017
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गधे तो गधे होते है जिन्हें आराम करना नहीं आता; ऐश करना नहीं आता, भर्ष्टाचार से दामन को दागदार करना नहीं आता; गधे के काम को बोलना नहीं आता, किये गए काम को दिखाना नहीं आता; बाँट कर राज करना नहीं आता, समाज में ज़हर घोलना नहीं आता, सच को छुपाना नहीं आता? गधे तो गधे होते है जिन्हें आराम करना नहीं आ

#परिवर्तन

6 मार्च 2017
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नोटबंदी के दौरान कम दबाव के कारण राजनैतिक क्षेत्र से उठा दीदी नामक चक्रवाती तूफ़ान जो बंगाल की खाड़ी से होते हुए दिल्ली, यू प, बिहार और आस पास के राज्यों में तहलका मचाने के बाद, भर्ष्टाचार के दबाव के आगे आ कर शांत हो गया है? उसके पुनः आगमन की भविष्यवाणी की तारीख, जो की ११ मार्च के निकट है? मुमकिन है

#परिवर्तन

5 मार्च 2017
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धर्मनिरपेक्षता को धार्मिक जगह और जलसो से दूर रहना चाहिए मगर जब दो युवराज को मंदिरों के चौखट पे सीश झुकाते हुए देखा गया, तब देश की ऐसा लगा की अब धर्मनिरपेक्षता सत्ता के लिए वो चौखट भी चूमने के लिए तैयार जिसे आज़ादी के बाद से ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पे दुत्कारा जा रहा था? एंटोनी कमिटी न जाने क्या क्

#परिवर्तन

5 मार्च 2017
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पुत्र मोह और २१वी सदी का राजनैतिक घराना! देश में ४ राजनैतिक घराने ऐसे है जो पुत्र मोह के चंगुल में फंसे होने के वावजूद विरासत के अस्तितिव को बचाने के लिए संघर्षरत है! (a) जो पार्टी जितनी पुरानी है उसके परेशानी उतनी ही बड़ी है, शतक लगा चुकी देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी का लगड़ा घोडा दौड़ में बने

#परिवर्तन

4 मार्च 2017
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"पंजाब" "दिल्ली" नहीं है, चुनावों के नतीजों पे एक आंकलन ११ मार्च से पहले, बाद के परिणाम के लिए इंतजार कंपनी के समय से अपने घडी का समय मिला ले. १. पंजाब दिल्ली के दिल के कितने करीब है, इसका आंकलन अगर आज की तारीख में लगाया जाये तो "हाथ में झाड़ू" थामने के जैसे है! २. देश के प्रदेश जिसकी राजनीतिक

#परिवर्तन

1 मार्च 2017
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आज़ादी अपनी अपनी बोल अपने अपने? अभिव्यक्ति आज़ादी अगर हमारा संवैधानिक आधार है तो फिर इस पर सफाई, सवाल और वबाल क्यों? क्या मेरा अधिकार आपसे कम है या आपका अधिकार मुझसे अधिक, अगर नहीं है तो ये वबाल का रास्ता निकलता किधर से है? कहीं ऐसा तो नहीं की जब संविधान लिखी गई थी तब से आज के परिपेक्ष में इस पर

अनपढ़ काम चलाऊ है मगर राजनीती में बिकाऊ है?

26 फरवरी 2017
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#परिवर्तन राजनैतिक परिवार अगर है तो अगली पीढ़ी भी इसी पेशा को अपना पसंद करेगी कुछ अपवाद ज़रूर है, मगर हिंदुस्तान के राजनैतिक पृष्ठभूमि में सोलह आने सच है! पढ़े लिखे जमात के मुंह पे झन्नाटेदार तमाचा तब लगता है जब एक अनपढ़ राजनैतिक पृष्ठभूमि वाली परिवार की अगली पीढ़ी प्र

#परिवर्तन

3 फरवरी 2017
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राजनैतिक दल चंदा और धंधा? लचर व्यवस्था को लाचार रखने में ही राजनैतिक भलाई है, जिसे सालों पोषा गया उसके परदे के पीछे की कहानी और आगे की तस्वीर जुदा है, जिसे छिपाने/बिगड़ने का श्रेय देश के बुद्धिजीवी वर्ग पत्रकार,कानून और संविधान के जानकर के अलावे इतिहासकारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. कोई झूठल

#परिवर्तन

25 जनवरी 2017
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कोई माने या माने मोहब्बत/इंसानियत से बड़ा मजहब, कोई इस दुनिया में नहीं है?

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