नई दिल्ली: लोकतंत्र के मंदिर में जहां जनता के सरोकारों पर बहस होनी चाहिए वहां सियासी सूरमा देश को शर्मसार करने से नहीं चूकते. यही नज़ारा कुछ तमिलनाडु विधानसभा में विश्वास मत के लिए विशेष सत्र को दौरान देखने को मिली. लेकिन यह मौका कोई पहला नहीं था जब जनता के नुमाइंदे ने लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार किया हो.
एक नज़र विधानसभाओं में हिंसा के कुछ मामलों पर:
1- 8 फरवरी, 2017, पश्चिम बंगाल विधानसभा विधानसभा में हिंसा का ताजा मामला इसी महीने सामने आया है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस और वाम मोर्चा के विधायक नारेबाजी के दौरान मार्शलों से भिड़ गए. सदन के भीतर तख्तियां और पोस्टर लेकर प्रदर्शन करने पर विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया. जब मन्नान ने विरोध किया तो उन्हें सुरक्षाकर्मियों की मदद से बाहर निकाला गया. इस दौरान मार्शलों के साथ उनकी जमकर हाथापाई हुई. बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा.जनवरी,
2- अक्टूबर 5, 2015, जम्मू-कश्मीर विधानसभा गोमांस के मसले पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. बात इतनी आगे बढ़ गई कि निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद और बीजेपी विधायकों के बीच हाथापाई हो गई.
3- 13 मार्च, 2015, केरल विधानसभा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री केएम मणि को मार्शलों के घेरे में बजट पेश किया. मणि पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते विपक्षी बीजेपी और एलडीएफ ने उन्हें बजट ना पेश करने देने का ऐलान किया था. जैसे ही मणि ने बजट पढ़ना शुरू किया, विपक्षी सदस्यों ने धक्कामुक्की शुरू कर दी. हंगामे के दौरान विधानसभा अध्यक्ष एन. शकतान की कुर्सी और कंप्यूटर तोड़ दिए गए. हाथापाई में 2 विधायकों को चोटें आईं.
4- 10 नवंबर 2009, महाराष्ट्र विधानसभा 2009 में महाराष्ट्र विधानसभा की बैठक विधायकों के शपथ ग्रहण के लिए बुलाई गई थी. समाजवादी पार्टी के एमएलए अबु आजमी का हिंदी में शपथ लेना एमएनएस के चार विधायकों को इतना नागवार गुजरा कि वो हिंसा पर उतारू हो गये. तस्वीरें मीड़िया की सुर्खियों में छा गईं. चारों विधायकों को 4 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया.
5- 22 अक्टूबर 1997, यूपी विधानसभा जनता के जेहन में वो काला दिन आज भी दर्ज है, जब यूपी विधानसभा अखाड़े में तब्दील हो गई थी. मौका कल्याण सिंह के विश्वास मत का था. लेकिन बहस के बजाए जूतमपैजार शुरू हो गई. विधायकों ने एक दूसरे पर जमकर माइक और जूते फेंके. कई विधायकों को चोटें भी आईं.
6- 25 मार्च, 1989: तमिलनाडु विधानसभा में एक बार फिर दंगे जैसी स्थिति पैदा हो गई. डीएमके और एडीएमके सदस्यों के बीच झगड़ा बजट पेश होने के दौरान हुआ. बात जल्द ही हाथापाई तक पहुंच गई. हंगामे के दौरान दुर्गा मुरुगन ने जयललिता के कपड़े फाड़ने की कोशिश की. करुणानिधि का चश्मा टूट गया. गुस्साए विधायकों ने बजट की कॉपी तक फाड़ दी.
7- 1988: आज तमिलनाडु विधानसभा में करीब 3 दशक पुराना इतिहास दोहराया गया है. जनवरी 1988 में जानकी रामचंद्रन ने भी इसी तरह विश्वास मत के लिए सत्र बुलाया था. वो पति एमजीआर के निधन के बाद सीएम बनी थीं. लेकिन पार्टी के ज्यादातर एमएलए जयललिता के साथ थे. 60 विधायकों वाली कांग्रेस में हाईकमान से जानकी के समर्थन का फरमान आया. कुछ विधायकों ने इसके विरोध में इस्तीफा दे दिया जिससे जानकी सरकार बच सके. इसी सियासी खींचतान के बीच जब विधानसभा की बैठक हुई तो जमकर माइक और जूते चले. आखिरकार पुलिस को सदन के भीतर आकर लाठीचार्ज करना पड़ा था.