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सुबह का पहला ख़्वाब हो तुम जैसे कोई मेहकता गुलाब हो तुम भरी दोपहरी का यौवन, और शाम का ढलता शबाब हो तुम कभी मेहक तो कभी मेहखाना हो जैसे रात में घूंट घूंट चढ़ता शराब हो तुम अल्फाज़ो की सुंदरता दिखनेवाली मा