नई दिल्ली : मोबाइल क्षेत्र की कंपनियों में भारी उठा-पटक के बीच रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और एयरसेल के विलय को आरकॉम के बोर्ड पहले ही मंजूरी दे दी है। वहीं आरकॉम के 99.99 शेयर होल्डर ने कंपनी को एयरसेल के साथ मर्जर की मंजूरी दे दी। सोमवार को कंपनी की ओर से इसकी जानकारी दी गई।
टेलिकॉम कंपनियों के बीच महागठबंधन का आगाज
22 अप्रैल को हुई बोर्ड की मीटिंग में इस पर अंतिम मुहर लग गई है। इससे टेलिकॉम कंपनियों के बीच एक महागठबंधन का आगाज हो गया है। टेलीकॉम मार्केट एनालिस्टों के मुताबिक ग्राहकों के आधार के लिहाज से अब यह देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से रिलायंस जियो की लॉन्चिंग के बाद अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली टेलीकॉम कंपनी आरकॉम का एयरसेल से विलय बड़ी घटना माना जा रहा है। करीब आठ महीने पूर्व ही दोनों कंपनियों (आरकॉम- एयरसेल) के बीच विलय की शर्तों के बारे में दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा चुका था।
11 करोड़ ग्राहक हैं आरकॉम
दोनों कंपनी के कारोबार के विलय को लेकर पक्का समझौता भी पहले तय समय सीमा के मुताबिक ही अंजाम दिया गया। 22 अप्रैल को भी कंपनी के बोर्ड की मीटिंग में इस पर मुहर लगा दी गई। तकनीकी तौर पर अभी विलय में कुछ समय लग सकता है। निजी क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी का ग्राहक आधार 19.90 करोड़ तक होगा। आंकड़ों के मुताबिक आरकॉम के 11 करोड़ ग्राहक हैं और एयरसेल के लगभग 8.9 करोड़ ग्राहक हैं। मर्जर के बाद कंपनी का नेट वर्थ 65,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा।