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शिल्प - शौक की किताबें

Shilp shauk books in hindi

शिल्प शौक की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों को पढ़ें Shabd.in पर। हमारा यह संग्रह शिल्प शौक के बेजोड़ नमूनों का भंडार है। इस संग्रह में विभिन्न कलाकारी, व्यक्ति विशेष के हुनर, तथा पाठक वर्ग में रचनात्मक कौशल विकास की अपार संभावनाएं हैं। उदाहरण के लिए भवन निर्माण के लिए राज मिस्त्री, बढ़ई, कुम्हार, सुनार और लुहार जैसे कई पेशेवर पेशों में उत्कृष्ट कलाकारी के नमूने हैं। तो चलते हैं शिल्प शौक के उत्कृष्ट कलाकारी से परिचय करने Shabd.in के साथ।
सुनो न!

अपनी बात मुझमें से गर निकाल दो मेरी लेखनी मेरी ज़िन्दगी से मेरी नहीं निभनी यूँ तो आते हैं सभी जीने के लिये पर ज़िन्दगी न लगती सबको भली इतनी सुख में सखी और दुख में दोस्त मेरी लेखनी ने कभी न होने दी कोफ्त मेरी अनुभूतियाँ ,जो कवित

26 पाठक
1 लोगों ने खरीदा
61 अध्याय
21 जुलाई 2022
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63
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194
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अतीत के पन्ने

मेरी 1970 की रचनाएँ इस पुस्तक में संग्रहित की गयी है। उस काल में मैं दशवीं कक्षा में पढता था। दशम कक्षा में मैं एक हस्त निर्मित कापी में अपनी कविताएँ फेअर करके लिखता था और वह सहेज के रखी हुई कापी इस समय लगभग 70 वर्ष की अवस्था में मेरे बहुत काम आई। उस

18 पाठक
21 अध्याय
9 जुलाई 2022
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अतीत के पन्ने

जब इन्सान का जन्म होता है तो जन्म के बाद बचपन से बुढ़ापे तक उसके अन्दर भावना जुड़ जाती हैकुछ जीवन की खट्टी यादें होती है कुछ मीठी यादें होती है जब आदमी की उम्र बढ़ने लगती है तो उसका अनुभव भी बढ़ने लगता हैउसके अतीत में बीती हुई घटनाओं को है काव्य का

7 पाठक
11 अध्याय
20 फरवरी 2024
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 यारों के यार

राजधानी का एक सरकारी दफ़्तर, उसकी आबो-हवा और वहाँ काम करनेवाले लोगों की रग-रग का हाल। वास्तविकता के एक-एक शेड को कम-से-कम शब्दों में पकड़कर सँजो देने में माहिर कृष्णा जी की भाषा इस कृति में भी अपने रचनात्मक शिखर पर है। उनकी तमाम कृतियों की तरह यह उ

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13 जून 2022
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75
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DHANANJAY TYAGI की डायरी

वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी। मैं साथ साथ चलना चाहता था, उसके मगर वो खुद को अकेला समझ बैठी। वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी।

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29 जून 2022
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छंदप्रभा

छंद के साधकों के लिए उपयोगी पुस्तक।

1 पाठक
18 अध्याय
7 जुलाई 2022
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Lata: Sur Gatha

उनकी आवाज़ से चेहरे बनते हैं। ढेरों चेहरे,जो अपनी पहचान को किसी रंग-रूप या नैन -नक्शे से नहीं, बल्कि सुर और रागिनी के आइनें में देखने से आकार पते हैं। एक ऐसी सलोनी निर्मिती, जिसमे सुर का चेहरा दरअसल भावनाओं का चेहरा बन जाता है। कुछ-कुछ उस तरह,जैसे बचप

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22 फरवरी 2023
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Main Jo Hoon,'Jon Elia' Hoon

Mein Jo Hoon, 'Jon Elia' Hoon Read more

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22 फरवरी 2023
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299
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Maan

आज मैं मुनव्वर भाई की किताब ‘पीपल छाँव’ के नीचे बैठकर अपनी माँ को याद करता रहा। ये है उनके क़लम का जादू, जिसको मैं ही नहीं सारी दुनिया जानती है। - पद्मश्री गोपाल दास ‘नीरज’ ऐसा नहीं है कि इससे पहले उर्दू शायरी में ‘माँ’ का हवाला नहीं था, ज़रूर था, लेकि

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22 फरवरी 2023
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150
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Vigyapan: Bhasha Aur Sanrachna

Vigyapan: Bhasha Aur Sanrachna Read more

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23 फरवरी 2023
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बेपरवाह कलम

आज यह कलम, बेपरवाह होकर बोलेगी। कुछ अल्फाज कहेगी, कुछ राज खोलेगी।।

13 पाठक
5 अध्याय
3 जून 2022
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बादलों के घेरे

आधुनिक हिन्दी कथा-जगत में अपने संवेदनशील गद्य और अमर पात्रों के लिए जानी जानेवाली कथाकार कृष्णा सोबती की प्रारम्भिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। शब्दों की आत्मा से साक्षात्कार करनेवाली कृष्णा सोबती ने अपनी रचना-यात्रा के हर पड़ाव पर किसी-न-किसी

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13 जून 2022
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225
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Poet's dream

यह किताब को पुस्तक नही कहेगे शायद यह मेरी आत्मा है यह मेरे द्वारा की गई कल्पना और उसको कविता के रूप में संकलित करना और लिख देना ही मैं हूँ । इसको किताब कहना लेखक का अपमान है । यह ह्दय है इस संकलन में आपको कविताएँ मिलेगी जो मेरे द्वारा लिखी गयी ह

13 पाठक
21 अध्याय
31 मार्च 2022
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शेष कादम्बरी

‘सोशल वर्क’ और ‘सोशल जस्टिस’ इन दो शब्दों के बीच के स्पेश का मोहक किन्तु मार्मिक प्रतिबिम्बन है अलका सरावगी का उपन्यास—‘शेष कादम्बरी’। वृद्ध और युवा जीवन-दृष्टि के फ़र्क़ को रेखांकित करनेवाला यह उपन्यास अलका सरावगी के जीवन्त लेखन का ऐसा प्रतीक है जिसमे

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15 जून 2022
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195
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अपने सपने

ये किताब कविता शायरी संग्रह है आप सब सोच रहे होंगे की अपने सपने नाम आखिर क्यों रखा गया है। तो जिंदगी में कभी कभी अपनी जिम्मेदारीयों की वजह से हम सब के दिल में कुछ न कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं तो हमारे सपने को नाम दे कर उन्हें हमने अपने सपने लिख दिया

11 पाठक
27 अध्याय
8 मार्च 2022
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Ek आग़ाज़

शायद सबसे अच्छी तस्वीरें वो होती हैं, जिन्हें हम फेसबुक पे नहीं लगा सकते. उस पुराने एल्बम को देखते हुए लगा, हम कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला, मतलब डर तो पापा से आज भी लगता है, पर वो अब डाँटते नहीं हैं, मम्मी को मेरी फिक्र आज भी है, पर अब वो उतने सवाल

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0 अध्याय
6 जुलाई 2022
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मै कब बनूंगा नेता ?????

मेरा सपना कब सच होगा मुरादी लाल रोज यही सोच पर रहता,,, हर दिन वो लोग और आसपास अपने दोस्त से रहती मै नेता बनूंगा और लोगो की हर समस्या, सुविधा, लोगो को काम दूंगा ।।। आखिर वह दिन आ गया,,, पंचायत मुखिया का चुनाव होने वाला था उसने भी नामकंन भर दिया,,,,

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1 अध्याय
17 मार्च 2022
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लालच का फल ( प्रथम क़िश्त )

पुलगांव ग्राम में एक किसान को 5000) 00 देकर वहां का साहुकार साव जी उसकी ज़मीन का कागज अपने पास रख लेता है और इकरार नामा मेँ ऐसी शर्ते लिखवा लेता है की वह किसान शायद ही अपने द्वारा ली गयी उधारी को वापस कर सके। पर समय के साथ ऐसी बात होती है की साहुका

4 पाठक
3 अध्याय
28 मार्च 2022
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रक्षक

एक बाप अपनी बेटी का हमेशा रक्षक होता है ,

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