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उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन


(प्राकृतिक आपदाओं का कारण और हम) भारत आज विकसित देशों से हाथ मिला रहा है ,और विकसित देश भी भारत के विकास में सहायता कर रहे हैं। पर भारत की आधी से ज्यादा जनसंख्या ,समस्याओं से जूझ रही है ।हम अंग्र

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे हैं और लोहड़ी और मकर संक्रान्ति कैसी रही। आजकल तो जब भी समाचार सुनो ,देखो, पढ़ो हर जगह जोशीमठ की तस्वीरें और खबरें होती है। सरकार ने भी लोगों के आशियाने गिरा कर सिर्फ डेढ़

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हवा,पानी,मिट्टी व पेड़ पौधे हमे प्रकृति से मुफ्त में मिली है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। हवा जरूरी है हम आक्सीजन से जीवित है जो हवा में समाया हुआ है।किसी अन्य ग्रह में नही है इक्क

देवभूमि उत्तराखंड आजकल चर्चा में है, कारण जोशीमठ में आई भूस्खलन की खबरें। घरों में दरारे आ रही हैं, पहाड़ सरक रहे हैं। लोग कड़ाके की ठंड में निर्वासित जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। अपने घरों को छोड़क

प्रकर्ति ने इंसान को बनाया है इंसान ने प्रकृति को नही बनाया है इसलिये विकास के चलते देश में आय दिन पहाडों को तोड़ा व वृक्षों की निरंतर कटाई के चलते इंसान ने प्रकृति को अपने स्वार्थ के चलते कहीं का नही

बदहाल जोशीमठ के लिए NTPC जिम्मेदार? सच जानने के लिए सरकार ने उठाजोशीमठ की हालिया स्थिति एनटीपीसी की परियोजना की वजह से हुई है... इस बात में कितना सच है, ये जानने के लिए 8 इंस्टीट्यूट स्टडी कर रहे हैं.

जहां बसती दुनिया अतीत की,पीड़ा मेरे जीवन के गीत की।अश्क रूकने से नहीं रूकते,कैसी करामात कुदरत के करतूत की।।जो आशियाना बने थे पीढ़ियों से, सपनों की दुनिया न्यारी थी।उजड़ते देख नहीं सकते, पीड़ा हर दिल क