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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

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मेरा  शहर ( कहानी दूसरी क़िश्त)( अब तक -यह देख मोहन डर जाता है । उसे लगता है कि एक अन्जान शहर में अन्जान सोसायटी में एक अन्जान बुजुर्ग के घर में बैठा हूं। और वह बुजुर्ग बेहोश है । ऐसे में मैं क्या

मां से मुझे बहुत कुछ कहना है जो मैंने हमेशा उनसे छुपाया है मां आपके प्यार करने का अंदाज मुझे हर बार जुदा सा लगता है मां ऐसा बहुत बार हुआ दूसरों का प्यार करने का तरीका ना जाने क्यों अजीब सा लग

नाथ शब्द का अर्थ होता है स्वामी। कुछ लोग मानते हैं कि नाग शब्द ही बिगड़कर नाथ हो गया। भारत में नाथ योगियों की परंपरा बहुत ही प्राचीन रही है। नाथ समाज हिन्दू धर्म का एक अभिन्न अंग है। नौ नाथों की परंपर

दूसरों पर आरोप लगाने वाला स्वयं भी बेचैन रहता है,सामान्य मनुष्य को यह लगता अवश्य है कि, दुष्ट प्रकृति के लोग बहुत प्रसन्न रहते हैंपर यह सत्य नहीं होता।दूसरे को सताने वाला या अनावश्यक ही दूसरे पर

            तीन महीने के बच्चे को              दाई के पास रखकर         जॉब पर जाने वाली माँ को 

मैं " पुरुष " हूँ...मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँटूटता हूँ , बिखरता हूँभीतर ही भीतररो नही पाताकह नही पातापत्थर हो चुकातरस जाता हूँ पिघलने कोक्योंकि मैं पुरुष हूँ..मैं भी सताया जाता हूँजला दिया जाता हूँ

डायरी दिनांक २०/०४/२०२२   शाम के पांच बजकर पचास मिनट हो रहे हैं ।   कई बार मनुष्य कुछ कामों को करने में असहज महसूस करता है। स्थिति तब और ज्यादा भीषण बन जाती है जबकि वह कार्य अति आवश्यक हो। &

 20 April, wednesday      At 6.23pm        Hello Dear Diary,                I always busy to greet all but not simp

हैलो सखी कैसी हो।आज मेरा मन उदास है ।जब कोई लेखक मन से कोई काम करे और उसकी पेमेंट ना आये तो उसे बुरा लगता है हमारे साथ ऐसा हो रहा है एक मंच के लिए हम सहलेखन कर रहें है हमने इतनी मेहनत करके दस पार्ट लि

विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे। उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढ़ने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था। और बच्

स्वयं की इच्छा से किसी वस्तु अथवा पदार्थ को छोड़ना त्याग तथा स्वयं की इच्छा न होते हुए किसी वस्तु अथवा पदार्थ का छूट जाना नाश कहलाता है।प्रकृत्ति का अपना एक शाश्वत नियम है और वो ये कि मान, पद, प्रतिष्

दिन, महीने, साल बीत गए, उमर निकल गई टेंशन में। बचपन में पढ़ाई की और, बुढ़ापा गुजरा पेंशन में। गरीब को खाने की और, अमीर को खोने की टेंशन। आम आदमी को रहती, हमेशा महंगाई की टेंशन। शादीशुदा को बीवी की, कु

कामयाबी का स्वाद जरा,  चख कर तो देख। सफलता की पहली सीढ़ी, चढ़कर तो देख। मन होकर प्रफुल्लित, आत्मसम्मान से भर जाएगा। जब इस दुनिया में तू, अपनी पहचान बनाएगा। ढूंढ़ना पड़ेगी, तुझको ही अपनी राहें। फि

हम गृहणियाँ होतीं बड़ी कमाल, रखते पूरे घर का ख्याल। चाहे हो खुद की साड़ी, या पति का रुमाल।रहती है हर चीज पर नजर, हर सदस्य की रहती खबर। होते घर के हर कोने से वाकिफ, इसी में बीत जाती है उमर। बन जाए दोस

रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है।1. रामायण राम के

लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण

दर्द उभर आया है, दिल में मेरे ।    साथ में वफ़ा का, समन्दर क्यूं है ?जिन्होंने भुला दिया हमको ।      उनको क्यूं, न भुला पाया मैं ?अजीब दास्तां,अजीब सी हालत है, दिल की । 

19april,        Time- 10.30            Good Evening,            I know I am too late to write and meet you, from 2 to 3

नींद में कम हो जाते हैं, ग़म ।     इसीलिए नींद से, प्यार हो चला है ।जमाने वाले तो सिर्फ, ताने कसते हैं ।      इसीलिए जमाने से,कुछ अलगाव हो चला है ।नींद आगोश में लेकर, दुः

मेरा शहर ( कहानी  प्रथम क़िश्त )मोहन यादव, मुकुंद वर्मा और युनूस पटेल तीनों छत्तीसगढ के एक शहर बिलासपुर के निवासी हैं । तीनों 8 वीं के छात्र हैं । और तीनों के मद्ध्य गहरी दोस्ती है । ये तीनों

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