भाग 10:घुटन
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नेहा के साथ आगे की घटना भी कुछ उसी तरह से घट रही थी,जैसी पुराने
ढर्रे पर हमेशा से घटती आई है।
थाने में रिपोर्ट तो लिखी गई लेकिन उसे लगा कि जैसे रिपोर्ट लिखाने
के समय भी त्यज्य जैसा व्यवहार हो रहा है। शायद इस तरह की शिकार महिला कोरोनावायरस से भी ज्यादा संक्रमित
हो गई हो और उससे बात करना तक पाप हो गया हो। रिपोर्ट लिख रहे हवलदार की बेरुखी देखकर
इंस्पेक्टर रागिनी ने उसे झिड़का। अब आप हट जाइए। इस तरह के फालतू प्रश्न कर और इस तरह
नाक भौं सिकोड़ कर रिपोर्ट लिखी जाती है? यही रवैया है आपका?यही संवेदनशीलता है आपकी?
-सॉरी मैडम।
इंस्पेक्टर रागिनी ने स्वयं अपने सामने सारी रिपोर्ट लिखाई। दो महिला
पुलिसकर्मी भी हवलदार साहब के साथ थी लेकिन वह भी अजीबोगरीब व्यवहार कर रही थीं। इसे
लेकर नेहा के मन में यह सवाल उठा कि अगर महिला ही महिला की पीड़ा नहीं समझेंगी तो दूसरा
कौन समझेगा?
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अपराधियों को पकड़ने
के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया। मामला विधानसभा में उठा और मुख्यमंत्री महोदय
ने स्वयं अपराधियों को शीघ्र पकड़ने और कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया था। डीजीपी
साहब दूसरे दिन से ही हरकत में थे। जिले के चुस्त एसपी भी प्रत्येक दिन की प्रगति की
जानकारी लेते थे।व्यापक खोज अभियान चला। रेलवे स्टेशन के आसपास के दस किलोमीटर के एरिया
के हर झुरमुट, बगीचे से लेकर भीड़ भरी तंग गलियों और संदिग्ध इलाके की गतिविधियों पर नजर रखी गई। रेलवे स्टेशन एरिया
के हजारों फोन कॉल की डिटेल निकाली गई।दो दिन बीत गए। कहीं से कोई सुराग नहीं मिला।पुलिस
के मुखबिर भी कोई ठोस सुराग नहीं दे पा रहे थे।
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प्रेस और मीडिया ने इस
मामले को हाथों-हाथ लपक लिया एक चैनल वाले ने नेहा के घर पर दस्तक दी। नेहा के पिता
ने उनसे साफ कहा कि वे मामले को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत ना करें। रिपोर्टर ने प्रस्ताव
रखा नेहा का इंटरव्यू प्रसारित करेंगे और इससे पूरे देश में तहलका मच जाएगा।
पापा ने जोर देकर कहा-हमें सनसनीखेज नहीं बनाना है इस घटना को। मेरे
परिवार और मेरी बेटी पर क्या बीत रही है, इसकी चिंता आपको नहीं है। होगी भी कैसे? आपको
तो केवल टीआरपी से मतलब है।
रिपोर्टर- नहीं सर यह मामला सामने आएगा तो ऐसी घटनाओं का जल्दी संज्ञान
लिया जाएगा और फिर हम आपकी बेटी का साक्षात्कार उसके मुंह को ढंककर ही दिखाएंगे।
पापा कुछ कह पाते, इससे
पहले बिना अपना चेहरा छिपाए, भीतर से बाहर ड्राइंग रूम में आते हुए नेहा ने कहा- नहीं!
अगर साक्षात्कार लेना है तो मैं बिना चेहरा ढँके साक्षात्कार दूंगी।मैंने कोई पाप नहीं
किया है कि चेहरा छुपाऊँगी।बोलो? हो तैयार ?इंटरव्यू लेने के लिए?
रिपोर्टर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। कैमरामैन को साथ लेकर वह तुरंत
कमरे से बाहर हो गया।
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नेहा ने पिछले दो दिनों
से स्वयं को कमरे में बंद कर रखा था।उसे हर पल ऐसा लगता था कि हजारों डंक वाले गंदे
कीड़े उसके शरीर पर रेंग रहे हैं और इस गंदगी ने उसके मन और उसकी आत्मा तक को एक अजीब
तरह की वितृष्णा से भर दिया है। घर के लोगों का मोहल्ले में आना-जाना दो दिनों से बंद
है। (27)
पुलिस के अथक छानबीन के
बाद भी अपराधी नहीं पकड़े जा पा रहे थे।वह तो भला हो इन अपराधियों के पड़ोस में रहने
वाली एक बुढ़िया का, जिसने पुलिस को इनके एक घर में छिपे होने का संकेत कर दिया और
अंततः अपराधी पकड़े गए। नेहा की फोरेंसिक जांच में घटना की पुष्टि तो हुई थी लेकिन
अपराधियों ने कोई सुराग नहीं छोड़ रखा था।वे शातिर अपराधी थे और जुल्म करने के बाद
कोई निशान न छोड़ने की गरज से पैकेट का उपयोग करते थे। वकील से इस बात की पूरी जानकारी
मिलने पर नेहा का मन अपराधियों के प्रति क्षोभ से भर उठा। उसने सोचा क्यों न मेडिकल
स्टोर में आसानी से इन पैकेटों को लेकर भी कोई नियम बनाया जाए या फिर ये केवल शादीशुदा
लोगों द्वारा ही खरीदी जा सकें,ऐसा हो। लेकिन उसे लगा कि इसे बचकानी सोच बताकर एक पल
में ही खारिज कर दिया जाएगा।
डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय