इस किताब को लिखने का उद्देश्य मेरे मन के विचारों को जीवन्त रूप देना था आशा है पाठकों को मेरी कविता पसंद आएगी
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मिश्रा जी बहुत प्यारी कविताएँ है दिल को अच्छी लगती है ऐसी कविताएँ आप की लेखनी बहुत अच्छी है शब्दो का चयन बहुत अच्छा है लेखक के रूप मैं आप और आगे बड़े और हमें ऐसी ही अच्छी कविताएँ पड़ने को मिलती रहेगी ऐसा हमें पूरा विश्वाश है बेस्ट ऑफ लक मिश्रा जी
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कहानी होने से पहले धुन जीवन की गाते हैं हम परिंदे है आसमां केऊंची उड़ान जाते हैं हम ने अपनी दरख़्तो पर बना रखा एक घोंसला लौट के जब भी आते हैं जमी पर दाना साथ लाते हैं कहानी होने से पहले धुन जीवन की
कल कल करती बेकल नदियां किनारों से मेल ना करती नदियां अपने अल्हड़पन बहती नदियां अपने प्रारंभ और प्रारब्ध को जाने नदियां कल कल करती बेकल नदियां जीवन मंत्र देती नदियां निरंतर आगे बढने की सूचक नदियां म
ले चला मुझे सफर मेरा धुन कोई गुनगुनाता हुआ आंखों में है सपने कई सुनी मैंने जब से दिल की रज़ा चल रहे है कदम चल रहा आसमां सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज)
बन के हवा वो गुजरते है जब सामने से मौसम ये ओर भी हां हंसी हो जाता है कसम से है जादूगरी उस निगाह की जो मिली थी एक बरसात में हम थे देखा करे हां उसे यू ही कसम से सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
हिटलर जैसी है वो करती अपनी मनमानी है मेरी हर बात में उसको अपनी टांग अडानी है ना सुने मेरी एक बस मुझको ही सुनाती है करती अपनी मनमानी है मुझ से खफा भी होती है ओर मुझ पर ही रोब जमाती है हिटलर जैस
इक रास्ता जो तेरी ओर को जाता रहा ये भरम हमको भरमाता रहा इक मोड पर तुम आ मिलोगे शायद बस यही ख्याल हमको ताउम्र चलता रहा सफर की कहानी क्या ही सुनोगे हर पल में सच तेरा अक्श आता रहा इक रास्ता जो तेरी
प्रेम को महसूस जिसने किया बस जीवन उसी ने जिया प्रेम अर्पण भी प्रेम समर्पण भी प्रेम तप भी प्रेम त्याग भी प्रेम राधा भी प्रेम मीरा भी प्रेम रूखमणी भी प्रेम मोहन भी प्रेम धरा भी प्रेम क्षितिज भी
बारिशों के मौसम में जब भीग जाता हूं क्या कहूं मेरे दिलबर मस्ती में झूम जाता हूं जब घटा बरसती है ये दिल मुस्कुराता है जब घटा बरसती है ये दिल मुस्कुराता है सच कहूं आंखों में तेरा चेहरा आता है
इश्क़ खुमारी मैंनू चढ़ गई यार दी करता रहनदा मैं ते गल्ला बस यार दी रूह ने आवाजा दी सुन लैया दिल दी अंखियां बीच सुरत रहनदी मेरे यार दी इश्क़ खुमारी मैंनू चढ़ गई यार दी करता रहनदा मैं ते गल्ला बस य
पहली दफा... हुआ है ये क्या ...दिल खो.. गया जाने कहांजब से देखा उसकी आंखों में मुसाफिर... ये हो चला पहली दफा हुआ है ये क्या 2बारिशो में भीगेहवाओं संग झूमेधुन कोई..... गुनगुनाये पहली दफ
जल जीवन जीवन की धारा है इस धारा को घर घर पहुंचाना है लक्ष्य हम ने बस यही ठाना है हर घर जल पहुंचाना है गांव गांव ओर शहर शहर हर डगर नगर ओर बस्ती में पहुंचाने का संकल्प लिया
लोकतंत्र की लाचारी है दुखी ये जनता सारी है कोराना की पीर में जारी कालाबाजारी है क्या नेता क्या अभिनेता सबकी सर्कस जारी है लूट गई जनता मर गई जनता लोकतंत्र हम आभारी है कईयो के अपने छूट
दिल की बात है दिल ही जानता है दिल भला कब किसी की मानता है ना जोर चले इस पर ये जमाना भी जानता है फिर भी जमाना भी कहा मानता है दे कर सौ दुहाईया कर बाता है दिलो की जुदाईया फिर में दिल में है
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए बहती नदियाँ की तरह बहते रहिए पथ की सुगमता क्या पथ की जटिलता क्या जो भी मिले वरण कीजिए निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए बहती नदियाँ की तरह बहते रहिए मुसाफिरो सा अ
रेत सा समय हाथो से छूटता ही जा रहा रेला जैसे पानी का बहता ही जा रहा ना समझे ना समझ आया कोई सपना बुना ओर बिखरता ही जा रहा क्या गलत क्या सही बस काम ही काम है ओर ये काम भी जैसे बस होता
कल्पना में कल्पना में सृजित निर्मित जो परिकल्पना है वास्तविकता में वह छल है वह छल है वास्तविकता में जो निर्मित है सृजित है कल्पना की परिकल्पना में भ्रम के इस जाल में जो उलझा नहीं है बस वही
उठो पथिक उम्मीद की किरण बन आया अँधेरा चीर कर सूरज आया पंक्षी फिर चहकने लगे गगन में फिर झरनो ने गीत मधुर गाया ऋतुओ ने खिलाये फूल भवरो ने गुनंज किया नदिया अपने उद्गम से निकल गई फिर सागर
मेरा ख्बाव दिल के इस दर्द का मरहम बन जाना तुम सुनो ना इस सफर में हम सफर बन जाना तुम मेरा ख्बाव है की चले एक लम्बे सफर हम तुम इस ख्बाव को हकीकत कर देना तुम ये हवाये पुछती है नाम अक्सर
उसकी आंखो को कभी देखा है छपकते हुए खूबसूरती का सारा मंजर जैसे छुपाये हुए उसकी जुल्फो को कभी देखा है गालो पर आते हुए सारी घटाये जैसे वो बैठी हो छुपाये हुए उसको देखा है कभी मुस्कुराते हुए जैसे म