इस धरती पर मनुष्य इन्सान हो नही पाया है। वह ये समझ ही नही पाया है कि पूरी पृथ्वी एक है कल जो हमने सीमा बनाई थी उसे भविष्य में मिटना होगा। हम उसे सत्य मान बैठे हैं जैसे एक गाँव से दुरी के बाद दूसरा गाँव है या एक शहर में एक वार्ड के बाद दूसरा वार्ड है यदि कोई दुसरे गाँव वाला व्यक्ति या दुसरे वार्ड वाला व्यक्ति पहले वाले को अपने क्षेत्र में आने से मना करे या उसके रहन सहन पर ऊँगली उठाये या हम जो कर रहे है वो तुम भी करो तो ये गलत होगा ज्यादती होगी । इससे विकास नही होगा। थोड़ी समझ चाहिए हम अपने को विशिष्ट मान बैठते है जब हम खुद को दूसरो से अलग समझते है तो दुसरे को इग्नोर करते है और अपने रहन सहन कर्मो को दुसरे भी करे इसके लिए हम लड़ने झगड़ने लग जाते है। अपनी बात मनवाने के लिये उसे बदलने का प्रयास करते हैं। उसे प्रलोभन देकर अपने हक में लेने का प्रयास भी करते है ।हिंसक रूप अपनाकर उग्र हो जाते है और अपने रास्ते से भी भटक जाते है।किसी अन्य संगठनो से जुड़कर असामाजिक कार्यो को अंजाम देते है।
आज के दौर में इंटरनेट ने कमाल कर दिया हम घर बैठे दुसरे लोगो को देख सुन सकते है। सोचो हम उसके एरिया में जाकर ये सब देखते तो समय धन दोनो बर्बाद होता और हमारा उनका रवैया सकारात्मक हो यह जरूरी नहीं।
आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में खालिस्तानी समर्थकों ने हंगामा मचा रखा है।अपने झंडे को लहराते हुए सड़क पर उतर आये है वहाँ रह रहे हिन्दुओं को परेशान कर रहे है।कुछ प्रवासी भारतीयों को तिरंगा लहराते हुए पाए जाने पर उसके साथ धक्का मुक्की भी किए। यह कार्यक्रम भारतीयों का था वहा अधिक संख्या में खालिस्तानी झंडे लहराने से भारतीय परेशान हुए। यह समर्थक अलगाववादी व आतंकी से संबंध रखते है।
पहले तो हमे ये जानना होगा कि खालिस्तान का क्या अर्थ हैं। खालिस्तान याने The land of khalsa होता है गुरु गोविंद सिंह जी ने सन 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी खालसा का अर्थ शुद्ध होता है। इनको मानने वाले लोगो का अलग सम्पदाय बना।
एक व्यक्ति भीड़ को देखकर उसका समर्थक हो जाता है वह ये विचार नही कर पाता की वह अन्दोलन में जुड़कर सही कर रहा है कि गलत अपनी आत्मा को जागना होगा कि मैं जो कर रहा हूँ वो सही या गलत। भीड़ के तंद्रा में न आकर स्वंतत्र चिन्तन करने की हर व्यक्ति को जरुरत है। नही तो एक भेड़ के कुआ में कूदने से सभी भेड़ कूदने लगते हैं।भीड़ भेड़ है।जरा बचके रहना।