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आज प्रार्थना से करते तृण तरु भर मर्मर

30 अप्रैल 2022

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आज प्रार्थना से करते तृण तरु भर मर्मर,

सिमटा रहा चपल कूलों को निस्तल सागर!

नम्र नीलिमा में नीरव, नभ करता चिंतन

श्वास रोक कर ध्यान मग्न सा हुआ समीरण!


क्या क्षण भंगुर तन के हो जाने से ओझल

सूनेपन में समा गया यह सारा भूतल?

नाम रूप की सीमाओं से मोह मुक्त मन

या अरूप की ओर बढ़ाता स्वप्न के चरण?


ज्ञात नहीं : पर द्रवीभूत हो दुख का बादल

बरस रहा अब नव्य चेतना में हिम उज्वल,

बापू के आशीर्वाद सा ही : अंतस्तल

सहसा है भर गया सौम्य आभा से शीतल!


खादी के उज्वल जीवन सौंदर्य पर सरल

भावी के सतरँग सपने कँप उठते झलमल!

पुस्तक लेखन प्रतियोगिता - 2023
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रचनाएँ
खादी के फूल
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सामाजिक-राजनैतिक कविताओं (बंगाल का काल, खादी के फूल, सूत की माला, धार के इधर-उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूँटे, दो चट्टानें, जाल समेटा) तक आते-आते बच्चन का यह काव्य-नायक मनुष्य अपने व्यक्तित्व के रूपांतरण और समाजीकरण में सफल हो जाता है ; हरिवंशराय बच्चन जो कि हिन्दी के विख्यात कवि थे, कौन अरे वो ही अपने एक्टर अमिताभ बच्चन जी के बाबूजी | उन्होनें बहुत सी कविताएं और रचनायें लिखीं जिनमें से मुख्य हैं मधुशाला, निशा निमंत्रण, सतरंगिनी, खादी के फूल, दो चट्टानें, आरती और अंगारे, मधुबाला, मधुकलश, प्रणय पत्रिका आदि |
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अंतर्धान हुआ फिर देव विचर धरती पर

30 अप्रैल 2022

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