‘आँखों भर आकाश’देवनागरी में आने बाला निदा फ़ाज़ली का ऐसा संकलन है जिसमे उनकी अब तक अधिकांश कवितायें निरखी और पारखी जा सकती हैं। इसमे पिछले पच्चीस बरसों की उनकी सोच-समझ और सरोकार का फैलाव है और अब तक आए तीनों मज़मूओं में से खुद लेखकीय चुनाव- इसलिए एक अर्थ में यह निदा की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह भी कहा जा सकता है। एक बात जो इस किताब को खास बनाती है शुरू से अंत सतक मुस्ल्सिल बनी हुई है वह यह की कवि का हार एक के लिए एक बैलोस लगाव-कुछ लोगों को यह सिनसिज़्म की हदों को छूने वाला लगता है लेकिन शायद यह हार आधुनिक रचनाकार की मजबूरी है की वह माँ,बाप,भाई,बहन,परिवार, स्त्री,प्रेम,समाज और देश किसी को भी जस-का-तस स्वीकार नहीं करता। Read more
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