लोग इस तरह कैसी कैसी गफलतों में जीते हैं
सूरत खराब खुद की और दोष आईने को देते हैं ।
बेखुदी में उम्र भर हम ऐसी नादानियाँ करते रहे
धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करते रहे
तेरी आंखों के आईने में जबसे खुद को देखें है
तबसे दिल के आईने में हम तुम्हें सजाये बैठे हैं
ईश्वर ने भी आईना क्या खूब बनाया है "हरि"
टूटने के बाद भी सत्य दिखाना नहीं छोड़ता है
एक सच्चा दोस्त आईने की तरह ही होता है
अच्छी लगे य बुरी बस सच बात ही कहता है
हरिशंकर गोयल "हरि"
23.12.21