shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अजातशत्रु (नाटक)

जय शंकर प्रसाद

4 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
1 पाठक
7 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

अजातशत्रु का मूलाधार भी अंतर्द्वन्द्व ही है। मगध,कोशल और कौशांबी में प्रज्वलित विरोध की अग्नि इस पूरे नाटक में फैली हुई है। उत्साह और शौर्य से परिपूर्ण इस नाटक में चरित्रों का सजीव चित्रण किया गया है। इसके प्रमुख पात्र मानवीय गुणों से ओतप्रोत है। 

ajatshatru natak

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

पात्र

27 अप्रैल 2022
1
0
0

बिम्बिसार: मगध का सम्राट् अजातशत्रु (कुणीक): मगध का राजकुमार उदयन: कौशाम्बी का राजा, मगध सम्राट् का जामाता प्रसेनजित्: कोसल का राजा विरुद्धक (शैलेन्द्र): कोसल का राजकुमार गौतम: बुद्धदेव सारिपुत्

2

प्रथम अंक

27 अप्रैल 2022
1
0
0

स्थान - प्रकोष्ठ राजकुमार अजातशत्रु , पद्मावती , समुद्रदत्त और शिकारी लुब्धक। अजातशत्रु : क्यों रे लुब्धक! आज तू मृग-शावक नहीं लाया। मेरा चित्रक अब किससे खेलेगा समुद्रदत्त : कुमार! यह बड़ा दुष्ट हो

3

द्वितीय अंक

27 अप्रैल 2022
1
1
0

स्थान - मगध अजातशत्रु की राजसभा। अजातशत्रु : यह क्या सच है, समुद्र! मैं यह क्या सुन रहा हूँ! प्रजा भी ऐसा कहने का साहस कर सकती है? चींटी भी पंख लगाकर बाज के साथ उड़ना चाहती है! 'राज-कर मैं न दूँगा'-

4

तृतीय अंक

27 अप्रैल 2022
0
0
0

स्थान - मगध में राजकीय भवन छलना और देवदत्त। छलना : धूर्त्त! तेरी प्रवंचना से मैं इस दशा को प्राप्त हुई। पुत्र बन्दी होकर विदेश चला गया और पति को मैंने स्वयं बन्दी बनाया। पाखण्डी, तूने ही यह चक्र रचा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए