पिछले दिनों सम विषम की मियाद ख़त्म हुई, दिल्ली वासियों को बधाई भी दी गई!
सम विषम को सफल बनाने के लिए पोस्टर भी लगाये गए, बधाइयाँ भी दी गई!
१५ तारीख को शुक्रवार था उसके अगले दिन शनिवार फिर ऐतवार कल और आज हुई बधाई को परीक्षा?
पिछले दो दिनों से दिल्ली की सड़कें गाड़ियों से सरोवर थी,सफल बनाने में दिल्ली की जनता का सहयोग या दो हज़ार रूपये के लगान का डर, किसको सही समझा जाये?
लगान के दम पर सफलता के लिए किसे धन्यवाद किया जाये जनता को या लगान वसूलने वाले का ?