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माल बनाम पंसारी ( अंतिम किश्त)

5 अप्रैल 2022

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माल बनाम पन्सारी ( अंतिम क़िश्त)
 
अचानक ही एक घटना से अनिल को खयाल आया कि हो न हो माल वाले ऐसा ही कुछ तौल में कोई खेल खेल रहे हों । अनिल को ग्राहक कि इस मानसिकता का भी आभास था कि अगर ग्राहक को कोई वस्तु कुछ सस्ती मिलती है तो वह उस वस्तु की मापदंड की थोड़ी कमी को नज़र अंदाज़ करके खुद की जीत समझता है । 

अनिल ने तुरंत ही बल्लू को बुलाकर अपनी शंका ज़ाहिर किया कि हो सकता है कि माल वाले तौल में गड़बड़ी करके सामान की क़ीमत को कम कर पा रहे हैं ।  अगर वे किसी ऐसे प्रान्त से भी अपना सामान मंगाएं जहां टेक्स कम हो तो भी ट्रान्सपोर्ट खर्च को जोड़ने से वह उतने ही मूल्य का हो जायेगा । अत: सामान्यत: किसी भी सामान को अच्छे से प्लान किया जाय तो 4 से 5% कम मूल्य में बेचकर भी कुछ फ़ायदा कमाया जा सकता है पर उससे ज्यादा किसी वस्तु का दाम कम करना किसी के लिए भी संभव नहीं है ।  
अनिल और बल्लू फिर से माल से बहुत सारे किराने के सामान खरीद कर लाये और जब उन्हें अपने डिजिटल वेइंग मशीन पर उनका वजन तौला तो उन्होंने पाया कि हर वस्तु का भार 8से 10% कम है । उनकी यह शंका सच में तब्दील हो गई । इस बात का अनिल और बल्लू  को प्रमाण तो हासिल हो गया । लेकिन माल् के ग़्राहकों को किस तरह से इस बात को बताया जाय और बतायें तो भी क्या वे हमारी बात को मानेंगे ?
इस संदर्भ में उन्होंने एक काम किया कि अपने दुकान की दीवारों पर बैनर लगवा दिया जिन पर लिखा था कि “ सही तौल – वाजिब मोल “ इन शब्दों के नीचे कुछ छोटे शब्दों में लिखा था , कि लोग क़ीमतें कम करके सामान बेच रहे हैं वहां आप ज़रूर ही सामान को दुबारा तौल कर खरीदें या घर आकर उन सामानों को घर में तौल कर सही जानकारी प्राप्त करें । अनिल और बल्लू का बैनर को लगाने का मूल उद्देश्य “माल “में हो रहे धांधली को उजागर करना और लोगों को सचेत करना था । पर 15 दिनों बाद भी उन्हें अपनी इस कोशिशों का सकारात्मक परिणाम नज़र नहीं आया तो वे निराश हो गये । 

उधर जब लगा हुए पोस्टर माल के कर्ता धर्ताओं की नज़र में आई तो वे अनिल और बल्लू को धमकी देने लगे कि अपना ये गैर वान्छित प्रचार सामग्री वाला पोस्ट्रर हटा दो्। हमसे पंगा लेने की कोशिश करोने तो वो हाल करेंगे की आपकी आने वाली पीढियां भी जीवन भर कराहती ही रेहेंगी । पहले तो अनिल डर गया फिर उसने सोचा कि मैं तो केवल सच को उजागर कर रहा हूं , मैं क्यूं उनसे डरुं । जहां तक हमारी साख़ व हमारे अन्य दुकान दारों से संबंधों की बात है तो अधिकान्श लोगों से हमारे संबंध मधुर हैं । अत: अगर माल वाले हमारे विरुद्ध कोई उत्तेजना में कदम उठाते हैं तो बाज़ार के दुकानदार हमारे साथ ही खड़े नज़र आयेंगे ही।

दो दिनों बाद ही “ माल “ का मैनेजर बीस आदमियों को लेकर अनिल की दुकान पर आकर अनिल  और बल्लू से उलझने लगा कि तुम लोग इस भड़काऊ पोस्टर को निकाल दो वरना आप लोगों की हड्डी पसली तोड़ दी जायेगी । यह बात दस मिन्टों में ही सारे बाज़ार में फ़ैल गई कि माल” के लोग अनिल और बल्लू को धमकाने उनकी दुकान पर आये हैं और उनसे बदसलूकी कर रहे हैं । बस क्या था सारे दुकान्दार अनिल की दुकान के पास जमा होकर “माल” के बीसों आदमियों की घेरा बंदी कर ली । उधर जब “माल” वालों को एहसास हुआ कि वे लोग चारों तरफ़ से घिर गये हैं तो एक एक करके वहां से खिसकने लगे । उधर  पोलिस भी वहां पहुंच गई और सारी बातों को समझने के बाद “ माल” के मैनेजर और उनके दस कर्मचारियों को पकड़कर थाने ले गई ।
उधर “ माल” के मालिकों को जब पता चला कि हरीराम भीखम शाह के दुकान मालिकों ने उनके आदमियों को थाने की हवा खिला दी तो वे बदला लेने अपने संपर्क सूत्रों के माद्ध्यम से हरीराम भीखम शाह फ़र्म पर सेल्स टेक्स और फ़ूड डिपार्टमेन्ट के अधिकारियों द्वारा वह रेड डलवा दिया । लेकिन उन विभाग वालों को वहां न टेक्स चोरी करने वाली बात नज़र आई न ही फ़ूड विभाग वालों को वहां सड़े गले सामानों , एक्स्पायरी सामानों का कोई प्रमाण मिला। अत: वे सब चुपचाप वहां से चले गये ।

इस सारे वाक़ियात के बाद “ माल “ में आने वालों ग्राहकों की कोई कमी नहीं दिखी । 
एक दिन टीवी देखते हुए अनिल ने एवेरी-डिजिटल वेविंग मशीन का विग्यापन देखा । उस विज्ञापन का मुख़्य बिन्दू था कि इस मशीन से तौल की सही जानकारी मिन्टों में प्राप्त करें। बस इस विग्यापन को देखकर अनिल के दिमाग़ में एक तरीका सूझा । अगले ही दिन उसने अपनी दुकान के दायें हिस्से में जो माल के मुख़्य दरवाज़े के ठीक सामने था वहां एक काऊंटर बनाकर एक एवेरी डिजिटल वेविंग मशीन लगवा दिया। और वहां बड़े बड़े अक्षरों में लिखवा दिया “ तौल की मुफ़्त सुविधा “। उसके नीचे लिखवा दिया कि 10 ग्राम से 10 किलो तक का कोई भी सामान , जिसे कहीं से खरीदा हो यहां आकर ख़ुद मुफ़्त में तौलकर दुबारा चेक करें । और अपने खर्च किये गये पैसों का सम्मान रखें । 

बस अनिल का ये आइडिया कारगर हो गया । आस पास की दुकानों से सामान खरीदने वाले , खासकर “ माल” से सामान खरीदने वाले वहां से निकलने के बाद जब अनिल की दुकान में मुफ़्त तौल वाली सुविधा वाला बोर्ड देखा तो उनके मन में स्वभावत: जिज्ञासा पैदा हुई कि चलें हम भी अपने अभी खरीदे हुए सामान को तौल कर देखें । धीरे धीरे “ मुफ़्त तौल की सुविधा “ वाले काऊंटर पर लोगों की भीड़ बढने लगी और जब “ माल “ से  निकलने वाले लोगों को अपने सामान का तौल कम महसूस होने लगा तो वे तुरंत  “माल” लौटकर किराने काऊंटर के कर्मचारियों पर अपने गुस्से का इज़हार करने लगे कि आपलोग धोखेबाज़ी पर उतर आये हैं । कुछ लोगों ने तो खाद्य विभाग में भी इस बात का कंप्लेन कर दिया । इसके बाद “माल “ का मैनेजर दिन भर लोगों से माफ़ी मांगते दिखने लगा और लोगों का पैसा वापस करवाता रहा । जिन काऊंटरों में रोज़ लाख दो लाख की बिक्री होती थी , उन काऊंटरों की बिक्री दो दिनों में ही हज़ार , दो हज़ार रुपियों पर आ गई । 10 दिनों बाद “ माल” के सारे किराने के काऊंटर्स को बंद कर दिया गया । लोग “माल” से खरीदे ज्वेलरी की भी अपने स्वर्णकारों से जांच कराने लगे  । अगले एक महीने में “माल” आने जाने वालों की संख़्या नगण्य हो गई ।   
अब अनिल की दुकान फिर  उसी तरह से गुलज़ार हो गई जैसे कि वह “ माल “  खुलने के पहले रहती थी ।
अधिकान्श पुराने ग्राहक गण फिर अनिल की दुकान से खरीदारी करने आने लगे थे ।  : माल : बंद होने की कगार पर है । अब वहां ग्राहकों की हलचल की जगह हर सुबहो शाम वहां भगवान की पूजा होने लगी और आरती की गूंज सुनाई देने लगी। माल में पैसा लगाने वाले उसे बेचना चाहते हैं पर “ माल”को खरीदने वाले मिल नहीं रहे हैं । समय गुज़रता गया । यूं ही एक साल गुज़र गये । माल के सारे कर्मचारी गण की छुट्टी हो चुकी है । माल पूरी तरह से खाली हो चुका है । अब वहां अलग अलग समय पर गुंडा तत्वों का जमावड़ा होने लगा । जिसके बारे में आस पास के लोगों ने प्रशासन से कंप्लेन भी किया है। अत: यह ख़बर आई है कि इस माल को सरकार अधिग्रहित करने की तैयारी में है । 
लोगों को पता चला है कि अब सरकार उस मंदिर को एक मंदिर का रुप देना चाह रही है । जिसके लिए सारी आहर्ताएं पूरी कर ली गई है ।

 कुछ महीनों में वहां मंदिर बन गया  । यह मंदिर बहुत बड़ा और बहुत ही भव्य बना है । रायपुर के लोगों को जब भी शान्ति और सुकून की चाहत होती, इस परिसर में समय बिताने जाने लगे । रायपुर की जनता सरकार के इस फ़ैसले से बेहद खुश हैं । 
उधर अनिल के छोटे बेटे ने अब अपनी दुकान में फूलमाला, नारियल और अगरबत्ती बेचने हेतु भी एक काऊंटर खोल लिया है । और इस काऊंटर की बिक्री मंगलवार, शनिवार और रविवार को अपने मुख़्य काऊंटर से भी ज्यादा होती है ।
इस तरह हरीराम भीखम शाह फ़र्म , पचास साल के बाद भी पहले से ज्यादा बुलंद है। अनिल बल्लू को  भरोसा है कि सामानों की गुणवत्ता और सामानों की क़ीमत को वाजिब रखा जाय तथा ग्राहकों के प्रति  व्यौहार सदभावना पूर्ण हो तो तो कोई और कोई कारण नहीं है कि व्यापार ना चले।

( समाप्त )
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आल बनाम पंसारी की दुकान
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एक पुरानी किनारे को दुकान के सामने माल खुल गया तो उस पुरानी दुकान के मालिक को क्या क्या नुकसान उठाना पड़ा और कैसे वह अपने रोजगार को बचा पाया।

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