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जिस थाली में खा रहा,  उसमें करता छेद,  ऐसे जन पहचानकर, कभी न कहियो भेद।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"    

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घड़ी- घड़ी क्यों कर रहा,  मरने का अपराध,  जीवन ही अनमोल है,  मलते रह जइयो हाथ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                     

“अगली बार मिलो तो हाथ मत मिलाना,तुम थाम नहीं पाओगे और हम छोड़ नहीं पाएंगे।”

तुझको देखे ही सब फीका हो जाता है तेरे बोसो से तीखा मीठा हो जाता है तेरे होठों को हम मैला क्यों करते है हमको भी आखिर ऐसा क्या हो जाता है

फिर बात वही सुनी सुनाई हमने भी वही सुनी सुनाई हमने नही बोला प्यार में कुछ सबने हमे बे-दिली सुनाई

कौन थी वो, क्या थी वो लड़की भी कया थी वो रूठी ही नही हमसे इस तरह खफा थी वो

दिल में कुछ ऐसा नही है गर ये तुम जैसा नहीं है वो समझता क्यों नही कुछ ज़ी मिरा अच्छा नहीं है

किसी ने दिल जला डाला किसी ने घर जला डाला अकेले हम थे सो हमने समंदर हर जला डाला कहा था के बनेगी इससे दर्द-ए-दिल की मरहम फिर हुआ क्या ये के दर्द-ए-दिल दवा देकर बढ़ा डाला

आज जिंन्हा है. खुल के जींना शिक्. क्योकि कल किसणे देखा है. खुसियो से साथ जींन्हा शिख. लोगो को अपने साथ. चलणा शिख. कयोकी कल कीसने दे खा  है. खामोश जिन्दगी से. खुशी लोगो बीचं बाट के जी...कल कीसणे द

आज जिंन्हा है. खुल के जींना शिक्. क्योकि कल किसणे देखा है. खुसियो से साथ जींन्हा शिख. लोगो को अपने साथ. चलणा शिख. कयोकी कल कीसने दे खा  है. खामोश जिन्दगी से. खुशी लोगो बीचं बाट के जी...कल कीसणे द

आज जिंन्हा है. खुल के जींना शिक्. क्योकि कल किसणे देखा है. खुसियो से साथ जींन्हा शिख. लोगो को अपने साथ. चलणा शिख. कयोकी कल कीसने दे खा  है. खामोश जिन्दगी से. खुशी लोगो बीचं बाट के जी...कल कीसणे द

आज जिंन्हा है. खुल के जींना शिक्. क्योकि कल किसणे देखा है. खुसियो से साथ जींन्हा शिख. लोगो को अपने साथ. चलणा शिख. कयोकी कल कीसने दे खा  है. खामोश जिन्दगी से. खुशी लोगो बीचं बाट के जी...कल कीसणे द

बदल जाओ वक्त के साथबदल जाओ वक्त के साथया फिर वक्त बदलना सीखोमजबूरियों को मत कोसोहर हाल में चलना सीखो

धोखा दे जाती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक...हर चमकते काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते...!

प्यार हो या परिंदा,दोनों को आज़ाद छोड़ दो,अगर लौट आया तो तुम्हारा,और अगर न लौटा तो वह तुम्हारा था ही नहीं कभी

तुमको चाहने की वजह कुछ भी नही...इश्क की फितरत है बे वजह होना... 

सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती   मगर हर किसी की किस्मत ऐसी नहीं होती      कोई एक होता है जो समा जाता है दिल में           हर किसी से तो&nbs

सुबह - सुबह तुम्हारे चेहरे पर स्माइल लाऊंगातुम लेटी रहना मै चाय बनाऊंगा

*प्रभु श्रीराम*नवमी के दिन प्रकट हुएदशरथ के घर श्रीरामअयोध्या में उत्सव मन रहागाते सब मंगलगान।पिता वचन को माननेकर सारे सुख बलिदानलक्ष्मण सीता संग मेंवन को कर गए प्रस्थान।खर-दूषण का वध किएदिए सबरी को म

ना दिन अच्छा है ना हाल अच्छा है...किसी जोगी ने कहा था कि ये साल अच्छा है... मैंने पूछा कब चाहेंगे वो मुझे मेरी तरह... बस मुस्कुरा के कह दिया सवाल अच्छा है... 

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