shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अमृत लाल नागर के प्रसिद्ध निबंध

अमृत लाल नागर

16 अध्याय
8 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
16 पाठक
28 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

अमृत लाल नागर 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्होंने जीवन में गहरे पैठकर कुछ मोती निकाले हैं और उन्हें अपनी रचनाओं में बिखेर दिया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं उन्हें अपनी रचनाओं में प्रसिद्ध निबंध भी लिखें हैं |  

amrit lal nagar ke prasiddh nibandh

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

जय बम्भोला

25 जुलाई 2022
10
1
0

शिवरात्रि के मेले की मौज-बहार लेने के लिए झोला कन्धे पर और सोटा हाथ में लिए हम भी मगन-मस्त चाल से दिग्गज के समान झूमते-झामते महादेवा के पावन क्षेत्र की ओर बढ़े चले जा रहे हैं। ये देखो, दसों दिशाओं से

2

जब बात बनाए न बनी !

25 जुलाई 2022
3
0
0

बड़े-बूढ़े कुछ झूठ नहीं कह गए हैं कि परदेश जाए तो ऐसे चौकन्ने रहें, जैसे बुढ़ापें में ब्याह करने वाला अपनी जवान जोरू से रहता है। हम चौकन्नेपन क्या, दसकन्नेपन की सिफारिश करते हैं, वरना ईश्वर न करे किसी

3

बुरे फंसे : बारात में

25 जुलाई 2022
5
0
0

फंसने-फंसाने के मामले में हमारा अब तक यह दृढ़ विश्वास रहा है कि लोग तो बदफेली में फंसते हैं, या राजनीति की गुटबंदियों में। इसीलिए मैं हमेशा ही इन दोनों चीजों से बचता रहा हूं। यह बात दूसरी है कि इस लतो

4

भतीजी की ससुराल में

25 जुलाई 2022
0
0
0

रायबरेली नहीं, बांसबरेली की बात कह रहा हूं-वहीं, जहां पागलखाना है, लकड़ी का काम होता है, जहां की पूड़ी और चाट मशहूर है, जहां एक बार मुशायरे में शामिल होने के लिए हज़रत ‘शौकत’ थानवी को थर्ड क्लास का टि

5

पडो़सिन की चिट्ठियां

25 जुलाई 2022
0
0
0

सावित्री सीने की मशीन खरीदने गई थी। लेकिन बड़ी देर हो गई। मैं उतावला होकर सोचने लगा कि अब तो उसे आ जाना चाहिए। तीन बजे हैं। पिछले बीस दिनों से, जब से सावित्री यहां आई है, हम पहली बार इतनी देर के लिए अ

6

मेरे आदिगुरु

25 जुलाई 2022
0
0
0

पुराने भारतीय गुरुओं के सम्बन्ध में बहुतों ने बहुत कुछ जो सुन रक्खा होगा उसका एक रूप बीसवीं सदी में रहते हुए भी हमने आंखों देखा है। बचपन में जो पण्डित जी हमको पढ़ाते थे, वे प्राचीन ऋषि गुरुओं की आत्मा

7

अतिशय अहम् में

25 जुलाई 2022
0
0
0

बात कुछ भी नहीं पर बात है अहम् की। आज से करीब पचास व साठ बरस पहले तक अहम् पर खुद्दारी दिखलाना बड़ी शान का काम समझा जाता था। रईस लोग आमतौर पर किसी के घर आया-जाया नहीं करते थे। बराबरी वालों के यहां भी ब

8

तीतर, बटेर और बुलबुल लड़ाना

25 जुलाई 2022
0
0
0

यह मुमकिन है कि शान्ति के कबूतर उड़ाते-उड़ाते हम एटम हाइड्रोडन मिज़ाइल किस्म के भयानक हथियारों और आस्मानी और दर आस्मानी करिश्मों के औजारों की लड़ाई बन्द कराने में सफल हो जाएं, मगर यह कि लड़ाई का चलन ह

9

मिट्टी का तेल और नल क्रान्ति

25 जुलाई 2022
1
0
0

आर्यसमाज और अखबारों की छत्र-छाया में बाल-विवाह भले ही न रुके हों अथवा विधवा-विवाह भले ही न हुए हों, परन्तु छोटी-मोटी क्रान्तियाँ अवश्य हुई। उनमें अंग्रेजी दवाओं, मिट्टी के तेल और पानी के नल का उपयोग ब

10

जी-हुजूर क्रान्ति

25 जुलाई 2022
0
0
0

गदर से लगभग 15 वर्ष बाद ही अंग्रेजी पढ़े-लिखों की बिरादरी काफी बढ़ गई थी। मिडिल और स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट ही नहीं, कुछ लोग तो बी.ए. और एम.ए. तक भी ढैया छूने लगे थे। अंग्रेजी के सर्टिफिकेट बटोरना और

11

अंग्रेज़ी-पठन क्रान्ति

25 जुलाई 2022
0
0
0

बाबुओं में सबसे पहली क्रान्ति यही थी। शहरों में विलायती में ईसाई भिक्षुणियों के रूप में बड़े-बड़े घरों में आती थीं। साहब-शासन की पुरतानियों (पुरोहितानियों) को यद्यपि कोई अपने घर में न आने के लिए तो क

12

बाबू पुराण

25 जुलाई 2022
1
0
0

(यह निबंध स्वाधीनता-प्राप्ति से पूर्व लिखा गया था और ‘हंस’ में प्रकाशित हुआ था।) परम सुहावन महा-फलदायक इस बाबू को पढ़ते-सुनते आज के युग में कोई सूत, शौनक, काकभुशुंडि या लोहमर्षक यदि यह पूछ बैठे कि अद

13

नये वर्ष के नये मनसूबे

25 जुलाई 2022
0
0
0

नये वर्ष में हमारा पहला विचार अपने लिए एक महल बनवाने का है। बीते वर्षों में हम हवाई किले बनाया करते थे, इस साल वह इरादा छोड़ दिया क्योंकि हवा बुरी हैं। इस साल दो आफतें एक साथ फरवरी महीने में आ रही हैं

14

कवि का साथ

25 जुलाई 2022
0
0
0

आपने भी बड़े-बूढ़ों को अक्सर यह कहते शायद सुना होगा कि हमारे पुरखे कुछ यूं ही मूरख नहीं थे जो बिना सोचे-विचारे कोई बात कह गए हो या किसी तरह का चलन चला गए हों। हम तो खैर अभी बड़े-बूढ़े नहीं हुए, मगर अन

15

मैं ही हूँ

25 जुलाई 2022
1
0
0

मैं- वाह रे मैं, वाह। मैं तो बस मैं ही हूं- मेरे मुकाबले में भला तू क्या है ! इस मैं और तू को लेकर हमारे सन्तों और बुधजनों ने शब्दों की खासी खाल-खिंचाई भी की है। कबीर साहब का एक दोहा है कि ‘‘जब मैं थ

16

कृपया दाये चलिए

25 जुलाई 2022
1
0
0

कहते तो आप ठीक ही हैं पंडित जी, मगर मध्यवधि चुनाव के अभी चार-पांच महीने पड़े हैं, आप तत्काल की बात सोचिए। कार्पोरेशन में किसी बड़े अफसर को फोन-वोन करके ये गंदगी ठीक करवाइए जल्दी से, अंदर से मैनहोल उभर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए