shabd-logo

अनार कली

24 अप्रैल 2022

33 बार देखा गया 33


नाम उसका सलीम था मगर उसके यार-दोस्त उसे शहज़ादा सलीम कहते थे। ग़ालिबन इसलिए कि उसके ख़द-ओ-ख़ाल मुग़लई थे, ख़ूबसूरत था। चाल ढ़ाल से रऊनत टपकती थी।


उसका बाप पी.डब्ल्यू.डी. के दफ़्तर में मुलाज़िम था। तनख़्वाह ज़्यादा से ज़्यादा सौ रुपये होगी मगर बड़े ठाट से रहता, ज़ाहिर है कि रिश्वत खाता था। यही वजह है कि सलीम अच्छे से अच्छा कपड़ा पहनता जेब ख़र्च भी उसको काफ़ी मिलता इसलिए कि वो अपने वालिदैन का इकलौता लड़का था।


जब कॉलिज में था तो कई लड़कियां उसपर जान छड़कतीं थीं मगर वो बेएतिनाई बरतता, आख़िर उस की आँख एक शोख़-ओ-शंग लड़की जिसका नाम सीमा था, लड़ गई। सलीम ने उससे राह-ओ-रस्म पैदा करना चाहा। उसे यक़ीन था कि वो उसकी इलतफ़ात हासिल कर लेगा। नहीं, वो तो यहां तक समझता था कि सीमा उसके क़दमों पर गिर पड़ेगी और उसकी
ममनून-ओ-मुतशक़्क़िर होगी कि उस ने मुहब्बत की निगाहों से उसे देखा।


एक दिन कॉलिज में सलीम ने सीमा से पहली बार मुख़ातिब हो कर कहा, “आप किताबों का इतना बोझ उठाए हुई हैं, लाईए मुझे दे दीजिए। मेरा ताँगा बाहर मौजूद है, आपको और इस बोझ को आप के घर तक पहुंचा दूँगा।” सीमा ने अपनी भारी भरकम किताबें बग़ल में दाबते हुए बड़े ख़ुश्क लहजे में जवाब दिया, “आपकी मदद की मुझे कोई ज़रूरत नहीं, बहरहाल शुक्रिया अदा किए देती हूँ।”


शहज़ादा सलीम को अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सदमा पहुंचा। चंद लम्हात के लिए वो अपनी ख़िफ़्फ़त मिटाता रहा। इसके बाद उसने सीमा से कहा, “औरत को मर्द के सहारे की ज़रूरत होती है, मुझे हैरत है कि आपने मेरी पेशकश को क्यों ठुकरा दिया?”


सीमा का लहजा और ज़्यादा ख़ुश्क हो गया “औरतों को मर्द के सहारे की ज़रूरत होगी मगर फ़िलहाल मुझे ऐसी कोई ज़रूरत महसूस नहीं होती आप की पेशकश का शुक्रिया में अदा कर चुकी हूँ इस से ज़्यादा आप और क्या चाहते हैं?”


ये कह कर सीमा चली गई। शहज़ादा सलीम जो अनारकली के ख़्वाब देख रहा था, आँखें झपकता रह गया। उसने बहुत बुरी तरह शिकस्त खाई थी।


इससे क़ब्ल उसकी ज़िंदगी में कई लड़कियां आचुकी थीं जो उसके अब्रू के इशारे पर चलती थीं, मगर ये सीमा क्या समझती है अपने आपको, “इसमें कोई शक नहीं कि ख़ूबसूरत है जितनी लड़कियां मैंने अब तक देखी हैं उनमें सब से ज़्यादा हसीन है मगर मुझे ठुकरा देना, ये बहुत बड़ी ज़्यादती है। मैं ज़रूर इससे बदला लूंगा, चाहे कुछ भी हो जाये।”


शहज़ादा सलीम ने उससे बदला लेने की कई स्कीमें बनाईं मगर बार-आवर साबित न हुईं। उसने यहां तक सोचा कि उसकी नाक काट डाले। ये वो जुर्म कर बैठता मगर उसे सीमा के चेहरे पर ये नाक बहुत पसंद थी। कोई बड़े से बड़ा मुसव्विर भी ऐसी नाक का तसव्वुर नहीं कर सकता था।


सलीम तो अपने इरादों में कामयाब न हुआ। मगर तक़दीर ने उसकी मदद की उस की वालिदा ने उस के लिए रिश्ता ढूँडना शुरू किया निगाह-ए-इंतिख़ाब आख़िर सीमा पर पड़ी जो उस की सहेली की सहेली की लड़की थी।


बात पक्की हो गई, मगर सलीम ने इनकार कर दिया इस पर उसके वालिदैन बहुत नाराज़ हुए। घर में दस-बारह रोज़ तक हंगामा मचा रहा। सलीम के वालिद ज़रा सख़्त तबीयत के थे, उन्होंने उससे कहा, “देखो, तुम्हें हमारा फ़ैसला क़बूल करना होगा।”


सलीम हट धर्म था। जवाब में ये कहा, “आपका फ़ैसला कोई हाईकोर्ट का फ़ैसला नहीं, फिर मैंने क्या जुर्म किया है जिसका आप फ़ैसला सुना रहे हैं।”


उसके वालिदैन को ये सुन कर तैश आगया, “तुम्हारा जुर्म कि तुम ना-ख़ल्फ़ हो, अपने वालिदैन का कहना नहीं मानते। उदूल-ए-हुक्मी करते हो, मैं तुम्हें आक़ कर दूंगा।”


सलीम का जोश ठंडा होगया, “लेकिन अब्बा जान, मेरी शादी मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ होनी चाहिए।”


“बताओ, तुम्हारी मर्ज़ी क्या है?”


“अगर आप ठंडे दिल से सुनें तो मैं अर्ज़ करूं।”


“मेरा दिल काफ़ी ठंडा है, तुम्हें जो कुछ कहना है फ़ौरन कह डालो, मैं
ज़्यादा देर इंतिज़ार नहीं कर सकता।”


सलीम ने रुक के कहा, “मुझे... मुझे एक लड़की से मुहब्बत है।”


उसका बाप गरजा, “किस लड़की से?”


सलीम थोड़ी देर हिचकिचाया, “एक लड़की है।”


“कौन है वो? क्या नाम है उसका?”


“सीमा... मेरे साथ कॉलिज में पढ़ती थी।”


“मियां इफ़्तिख़ार उद्दीन की लड़की?”


“जी हाँ, उसका नाम सीमा इफ़्तिख़ार है, मेरा ख़याल है वही है।”


उसके वालिद बेतहाशा हँसने लगे, “ख़याल के बच्चे, तुम्हारी शादी उसी लड़की से क़रार पाई है। क्या वो तुम्हें पसंद करती है?”


सलीम बौखला सा गया, ये सिलसिला कैसे हो गया? उसकी समझ में नहीं आता था कहीं उसका बाप झूट तो नहीं बोल रहा था। सलीम से जो सवाल किया गया था उसका जवाब उसके वालिद को नहीं मिला था, चुनांचे उन्होंने कड़क के पूछा, “सलीम मुझे बताओ क्या सीमा तुम्हें पसंद करती है?”


सलीम ने कहा, “जी नहीं।”


“तुमने ये कैसे जाना?”


“उससे... उससे एक बार मैंने मुख़्तसर अल्फ़ाज़ में मुहब्बत का इज़हार किया, लेकिन उसने मुझे...”


“तुम्हें दर-ख़ूर-ए-एतिना न समझा।”


“जी हाँ, बड़ी बे-रुख़ी बरती।”


सलीम के वालिद ने अपने गंजे सर को थोड़ी देर के लिए खुजलाया और कहा, “तो फिर ये रिश्ता नहीं होना चाहिए। मैं तुम्हारी माँ से कहता हूँ कि वो लड़की वालों से कह दे के लड़का रज़ामंद नहीं।”


सलीम एक दम जज़्बाती होगया, “नहीं अब्बा जान, ऐसा न कीजिएगा। शादी हो जाये तो सब ठीक हो जाएगा। मैं उससे मुहब्बत करता हूँ और किसी की मुहब्बत अकारत नहीं जाती, लेकिन आप लोगों को, मेरा मतलब है सीमा को ये पता न लगने दीजिए कि उसका ब्याह मुझसे हो रहा है जिससे वो बेरुख़ी और बे-एतिनाई का इज़हार कर चुकी है।”


उसके बाप ने अपने गंजे सर पर हाथ फेरा, “मैं इसके मुतअल्लिक़ सोचूंगा।”


ये कह कर वो चले गए, उन्हें एक ठेकेदार से रिश्वत वसूल करना थी, अपने टे की शादी के इख़राजात के सिलसिले में। शहज़ादा सलीम जब रात को पलंग पर सोने के लिए लेटा तो उसे अनार की कलियां ही कलियां नज़र आईं, सारी रात वो उनके ख़्वाब देखता रहा।


घोड़े पर सवार बाग़ में आया है, शाहाना लिबास पहने। अस्प ताज़ी से उतर कर बाग़ की एक रविश पर जा रहा है।


क्या देखता है कि सीमा अनार के बूटे की सबसे ऊँची शाख़ से एक नौ-ख़ेज़ कली तोड़ने की कोशिश कर रही है... उसकी भारी-भरकम किताबें ज़मीन पर बिखरी पड़ी हैं, ज़ुल्फ़ें उलझी हुई हैं और वो उचक-उचक कर उस शाख़ तक अपना हाथ पहुंचाने की कोशिश कर रही है, मगर हर बार नाकाम रहती है।


वो उसकी तरफ़ बढ़ा, अनार की झाड़ी के पीछे छुप कर उसने उस शाख़ को पकड़ा और झुका दिया। सीमा ने वो कली तोड़ ली जिसके लिए वो इतनी कोशिश करही थी, लेकिन फ़ौरन उसे इस बात का एहसास हुआ कि वो शाख़ नीचे कैसे झुक गई।


वो अभी ये सोच ही रही थी कि शहज़ादा सलीम उसके पास पहुंच गया। सीमा घबरा गई, लेकिन सँभल कर उसने अपनी किताबें उठाईं और बग़ल में दाब लीं। अनारकली अपने जूड़े में उड़स ली और ये ख़ुश्क अल्फ़ाज़ कह कर वहां से चली गई, “आपकी इमदाद की मुझे कोई ज़रूरत नहीं, बहरहाल शुक्रिया अदा किए देती हूँ।”


तमाम रात वो इसी क़िस्म के ख़्वाब देखता रहा। सीमा उसकी भारी-भरकम किताबें, अनार की कलियां और शादी की धूम-धाम।


शादी होगई। शहज़ादा सलीम ने उस तक़रीब पर अपनी अनारकली की एक झलक भी नहीं देख पाई थी, वो उस लम्हे के लिए तड़प रहा था जब सीमा उसकी आग़ोश में होगी। वो उसके इतने प्यार लेगा कि वो तंग आकर रोना शुरू कर देगी।


सलीम को रोने वाली लड़कियां बहुत पसंद थीं उसका ये फ़लसफ़ा था कि औरत जब रो रही हो तो बहुत हसीन हो जाती है। उसके आँसू शबनम के क़तरों के मानिंद होते हैं जो मर्द के जज़्बात के फूलों पर टपकते हैं जिनसे उसे ऐसी राहत, ऐसी फ़रहत मिलती है जो और किसी वक़्त नसीब नहीं हो सकती।


रात के दस बजे दूल्हन को हुज्ल-ए-उरूसी में दाख़िल कर दिया गया। सलीम को भी इजाज़त मिल गई कि वो उस कमरे में जा सकता है। लड़कियों की छेड़छाड़ और रस्म-ओ-रसूम सब ख़त्म होगई थीं वो कमरे के अंदर दाख़िल हुआ। फूलों से सजी हुई मसहरी पर दुल्हन घूंघट काढ़े रेशम की गठड़ी सी बनी बैठी थी। शहज़ादा सलीम ने ख़ास एहतिमाम कर लिया था कि फूल, अनार की कलियां हों। वो धड़कते हुए दिल के साथ मसहरी की तरफ़ बढ़ा और दुल्हन के पास बैठ गया।


काफ़ी देर तक वो अपनी बीवी से कोई बात न कर सका। उसको ऐसा महसूस होता था कि उसकी बग़ल में किताबें होंगी जिनको वो उठाने नहीं देगी। आख़िर उसने बड़ी जुर्रत से काम लिया और उसे कहा, “सीमा...”


ये नाम लेते ही उसकी ज़ुबान ख़ुश्क हो गई लेकिन उसने फिर जुर्रत फ़राहम की और अपनी दुल्हन के चेहरे से घूंघट उठाया और भौंचक्का रह गया, ये सीमा नहीं थी कोई और ही लड़की थी। अनार की सारी कलियां उसको ऐसा महसूस हुआ कि मुरझा गई हैं। 

पुस्तक लेखन प्रतियोगिता - 2023
42
रचनाएँ
सआदत हसन मंटो की इरोटिक कहानियाँ
0.0
सवाल यह हैं की जो चीज जैसी हैं उसे वैसे ही पेश क्यू ना किया जाये मैं तो बस अपनी कहानियों को एक आईना समझता हूँ जिसमें समाज अपने आपको देख सके.. अगर आप मेरी कहानियों को बर्दास्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब यह हैं की ये ज़माना ही नक़ाबिल-ए-बर्दास्त हैं||
1

खुदकुशी का इक़दाम

23 अप्रैल 2022

0
0
1

खुदकुशी का इक़दाम

23 अप्रैल 2022
0
0
2

औरत ज़ात

23 अप्रैल 2022

1
1
2

औरत ज़ात

23 अप्रैल 2022
1
1
3

ब्लाउज़

23 अप्रैल 2022

2
0
3

ब्लाउज़

23 अप्रैल 2022
2
0
4

इंक़िलाब पसंद

23 अप्रैल 2022

0
0
4

इंक़िलाब पसंद

23 अप्रैल 2022
0
0
5

बू

23 अप्रैल 2022

0
0
5

बू

23 अप्रैल 2022
0
0
6

अक़्ल दाढ़

23 अप्रैल 2022

0
0
6

अक़्ल दाढ़

23 अप्रैल 2022
0
0
7

इज़्ज़त के लिए

23 अप्रैल 2022

0
0
7

इज़्ज़त के लिए

23 अप्रैल 2022
0
0
8

दो क़ौमें

23 अप्रैल 2022

0
0
8

दो क़ौमें

23 अप्रैल 2022
0
0
9

मेरा नाम राधा है

23 अप्रैल 2022

0
0
9

मेरा नाम राधा है

23 अप्रैल 2022
0
0
10

चौदहवीं का चाँद

23 अप्रैल 2022

0
0
10

चौदहवीं का चाँद

23 अप्रैल 2022
0
0
11

ठंडा गोश्त

23 अप्रैल 2022

1
1
11

ठंडा गोश्त

23 अप्रैल 2022
1
1
12

काली शलवार

23 अप्रैल 2022

0
0
12

काली शलवार

23 अप्रैल 2022
0
0
13

खोल दो

23 अप्रैल 2022

0
0
13

खोल दो

23 अप्रैल 2022
0
0
14

टोबा टेक सिंह

23 अप्रैल 2022

1
0
14

टोबा टेक सिंह

23 अप्रैल 2022
1
0
15

1919 की एक बात

23 अप्रैल 2022

0
0
15

1919 की एक बात

23 अप्रैल 2022
0
0
16

बेगू

24 अप्रैल 2022

0
0
16

बेगू

24 अप्रैल 2022
0
0
17

बाँझ

24 अप्रैल 2022

0
0
17

बाँझ

24 अप्रैल 2022
0
0
18

बारिश

24 अप्रैल 2022

0
0
18

बारिश

24 अप्रैल 2022
0
0
19

औलाद

24 अप्रैल 2022

0
0
19

औलाद

24 अप्रैल 2022
0
0
20

उसका पति

24 अप्रैल 2022

0
0
20

उसका पति

24 अप्रैल 2022
0
0
21

नंगी आवाज़ें

24 अप्रैल 2022

0
0
21

नंगी आवाज़ें

24 अप्रैल 2022
0
0
22

आमिना

24 अप्रैल 2022

0
0
22

आमिना

24 अप्रैल 2022
0
0
23

हतक

24 अप्रैल 2022

0
0
23

हतक

24 अप्रैल 2022
0
0
24

आम

24 अप्रैल 2022

0
0
24

आम

24 अप्रैल 2022
0
0
25

वह लड़की

24 अप्रैल 2022

0
0
25

वह लड़की

24 अप्रैल 2022
0
0
26

असली जिन

24 अप्रैल 2022

0
0
26

असली जिन

24 अप्रैल 2022
0
0
27

जिस्म और रूह

24 अप्रैल 2022

0
0
27

जिस्म और रूह

24 अप्रैल 2022
0
0
28

बादशाहत का ख़ात्मा

24 अप्रैल 2022

0
0
28

बादशाहत का ख़ात्मा

24 अप्रैल 2022
0
0
29

ऐक्ट्रेस की आँख

24 अप्रैल 2022

0
0
29

ऐक्ट्रेस की आँख

24 अप्रैल 2022
0
0
30

अल्लाह दत्ता

24 अप्रैल 2022

0
0
30

अल्लाह दत्ता

24 अप्रैल 2022
0
0
31

झुमके

24 अप्रैल 2022

0
0
31

झुमके

24 अप्रैल 2022
0
0
32

गुरमुख सिंह की वसीयत

24 अप्रैल 2022

0
0
32

गुरमुख सिंह की वसीयत

24 अप्रैल 2022
0
0
33

इश्क़िया कहानी

24 अप्रैल 2022

0
0
33

इश्क़िया कहानी

24 अप्रैल 2022
0
0
34

बाबू गोपीनाथ

24 अप्रैल 2022

0
0
34

बाबू गोपीनाथ

24 अप्रैल 2022
0
0
35

मोज़ेल

24 अप्रैल 2022

0
0
35

मोज़ेल

24 अप्रैल 2022
0
0
36

एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा

24 अप्रैल 2022

0
0
36

एक ज़ाहिदा, एक फ़ाहिशा

24 अप्रैल 2022
0
0
37

बुर्क़े

24 अप्रैल 2022

0
0
37

बुर्क़े

24 अप्रैल 2022
0
0
38

आँखें

24 अप्रैल 2022

0
0
38

आँखें

24 अप्रैल 2022
0
0
39

अनार कली

24 अप्रैल 2022

0
0
39

अनार कली

24 अप्रैल 2022
0
0
40

टेटवाल का कुत्ता

24 अप्रैल 2022

0
0
40

टेटवाल का कुत्ता

24 अप्रैल 2022
0
0
41

धुआँ

24 अप्रैल 2022

0
0
41

धुआँ

24 अप्रैल 2022
0
0
42

आर्टिस्ट लोग

24 अप्रैल 2022

0
0
42

आर्टिस्ट लोग

24 अप्रैल 2022
0
0
---