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Shambhu Sadharan

आंखों के सामने जो नज़र आता है उसे ही शब्दों में ढाल देता हूं।

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आंखों के सामने जो नज़र आता है उसे ही शब्दों में ढाल देता हूं।

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कुमार संदीप

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कुमार संदीप

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संस्कृति

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नवलपाल प्रभाकर दिनकर

संस्कृति हमारी संस्कृति जर्जर सी पुराने मकान की नींव पर खड़ी है । जिस मकान की नींव ही पुरानी हो चुकी है, तथा उसके कभी भी ढहने की आशंका है भला हममें स

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नवलपाल प्रभाकर दिनकर

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saddambdh

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सद्दाम हुसैन

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सद्दाम हुसैन

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Kavita pal "babli" की डायरीबावरा ये मन मेरा, शरण में है तिहारी  "मन मंदिर में मेरे तुम हो किस तरह समाए जानते हो तुम सांवरे शब्दों में कैसे बताए"  आ रही हूं सांवरे मैं दीदार को तिहारे सांसों को मेरी तुम, थाम के रखना बिसरा ना दूँ, मैं सुध बुध भी अपनी इस तरह से मेरा, ख्याल तुम रखना  सेवा हो धर्म मेरा, परहित हो कर्म मेरा जिव्हा पर मेरी तुम लगाम अपनी रखना  बावरा ये मन अब शरण में है तिहारी लाज मेरी सांवरे, संभाल तुम ही रखना  "सांवरे अब ये जीवन जितना भी मैं पाऊं बस चरणों में आपके ही शीश मैं झुकाऊँ"  कविता पाल बबली

Kavita pal "babli" की डायरीबावरा ये मन मेरा, शरण में है तिहारी "मन मंदिर में मेरे तुम हो किस तरह समाए जानते हो तुम सांवरे शब्दों में कैसे बताए" आ रही हूं सांवरे मैं दीदार को तिहारे सांसों को मेरी तुम, थाम के रखना बिसरा ना दूँ, मैं सुध बुध भी अपनी इस तरह से मेरा, ख्याल तुम रखना सेवा हो धर्म मेरा, परहित हो कर्म मेरा जिव्हा पर मेरी तुम लगाम अपनी रखना बावरा ये मन अब शरण में है तिहारी लाज मेरी सांवरे, संभाल तुम ही रखना "सांवरे अब ये जीवन जितना भी मैं पाऊं बस चरणों में आपके ही शीश मैं झुकाऊँ" कविता पाल बबली

Kavita pal "babli"

प्रभु के चरणों में समर्पित चंद पंक्तियाँ

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Kavita pal "babli" की डायरीबावरा ये मन मेरा, शरण में है तिहारी  "मन मंदिर में मेरे तुम हो किस तरह समाए जानते हो तुम सांवरे शब्दों में कैसे बताए"  आ रही हूं सांवरे मैं दीदार को तिहारे सांसों को मेरी तुम, थाम के रखना बिसरा ना दूँ, मैं सुध बुध भी अपनी इस तरह से मेरा, ख्याल तुम रखना  सेवा हो धर्म मेरा, परहित हो कर्म मेरा जिव्हा पर मेरी तुम लगाम अपनी रखना  बावरा ये मन अब शरण में है तिहारी लाज मेरी सांवरे, संभाल तुम ही रखना  "सांवरे अब ये जीवन जितना भी मैं पाऊं बस चरणों में आपके ही शीश मैं झुकाऊँ"  कविता पाल बबली

Kavita pal "babli" की डायरीबावरा ये मन मेरा, शरण में है तिहारी "मन मंदिर में मेरे तुम हो किस तरह समाए जानते हो तुम सांवरे शब्दों में कैसे बताए" आ रही हूं सांवरे मैं दीदार को तिहारे सांसों को मेरी तुम, थाम के रखना बिसरा ना दूँ, मैं सुध बुध भी अपनी इस तरह से मेरा, ख्याल तुम रखना सेवा हो धर्म मेरा, परहित हो कर्म मेरा जिव्हा पर मेरी तुम लगाम अपनी रखना बावरा ये मन अब शरण में है तिहारी लाज मेरी सांवरे, संभाल तुम ही रखना "सांवरे अब ये जीवन जितना भी मैं पाऊं बस चरणों में आपके ही शीश मैं झुकाऊँ" कविता पाल बबली

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प्रभु के चरणों में समर्पित चंद पंक्तियाँ

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अजय सोनी

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शत्रु

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Saud Ahmed Khan

दुश्मन(शत्रु) भाग-1(chapter-1) लेखक-सऊद अहमद कहानी उस वक़्त की है जब भारत आज़ाद बस हुआ ही था| क़ई मुस्लिम परिवार पाकिस्तान गए मगर जिन्होंने हिंदुस्तान क

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Saud Ahmed Khan

दुश्मन(शत्रु) भाग-1(chapter-1) लेखक-सऊद अहमद कहानी उस वक़्त की है जब भारत आज़ाद बस हुआ ही था| क़ई मुस्लिम परिवार पाकिस्तान गए मगर जिन्होंने हिंदुस्तान क

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प्रहलादभाई

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प्रहलादभाई

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अनीष कुमार

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अनीष कुमार

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Dinesh Dubey

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Pankaj Mishra

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बांगर रेड्डी

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गोपाल दीक्षित

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पुरुषोत्तम पोखरेल

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विपुल कांसल्य

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शैलेन्द्रकुमार

हिंदी लिखने और बोलने की भाषा

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PAVAN KUMAR YADAV

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एस बी सिंह यादव

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एस बी सिंह यादव

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