जब से हम प्रतिलिपि पर लिखने लगे
श्रीमती जी को बहुत खटकने लगे
इश्क मुहब्बत वाले गीत गजल मुक्तक
और हसीन फोटो से वे उबलने लगे
एक दिन स्टारमेकर पर गाते देख लिया
किसी स्वर कोकिला से सुर मिलाते देख लिया
तब से वो हम पर निगाह रखने लगे
चुपके चुपके मोबाइल चैक करने लगे
उनकी हरकतों पे हमें हंसी आ रही थी
पर उनकी जान हलक में फंसी जा रही थी
उनकी जासूसी उनके कोई काम नहीं आई
क्योंकि जैसा वो सोच रही थी वैसा था नहीं, भाई
हर औरत अपने आप में जासूस होती है
कुछ बहुत भोली कुछ "खडूस" होती हैं
पुलिस से ज्यादा खौफ बीवी का होता है
संभल के रहना, हर घर में जासूस होता है
श्री हरि
25.9.22