औरतें हर जगह अपना हक जताती है ..........
कंघे में बाल भरकर खुद ही आंख दिखाती हैं.........
टाॅवल में काजल पोछकर शीशे पर बिंदी लगातीं हैं.......
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है..........
अलमारी में अपने कपड़े सहज सहज कर सजाती है........
बच्चे जब बीमार पड़ जाए तो खुद ही डाॅक्टर बन जाती है......
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है...........
छोटी छोटी बातों से डरने वाली बड़ी से बड़ी मुसिबतों से टकरा जाती हैं................
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है..........
छिपकली को देख कर पति के पीछे छिप जाती हैं.......
बात आए जब बच्चों पर जिंदा सांप पकड़ लेती है.....
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है.........
कामकाज हो मायके में ससुराल में धूम मचाती है........
पति, बच्चे और घर परिवार के लिए दुनिया से लड़ जाती हैं...
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है.........
मोम जैसी होती हैं ये चोट लगें जब दिल पर इनके तो पत्थर ये बन जाती हैं......
ये औरतें हर जगह अपना हक जताती है.............
हर मौसम से करती हैं प्यार, बारिशों का करे इंतज़ार.......
जब जोरों की बारिश बरसे, भीगनें को तब भी तरसे.....
ये औरतें भी कमाल करती हैं.........
हर जगह अपना हक जताती है..............!!