किसी अतिथि की तरह से आती हैं
मगर मन को तरबतर कर जातीं हैं
ये बारिश की बूंदें भी कमाल होती हैं
जब भी आती हैं मालामाल कर जाती हैं
किसान की आंखों में सपने सी आती हैं
गोरी की जुल्फों में उलझकर रह जाती हैं
जिसे देखो वही दीवाना है बारिश की बूंदों का
हर किसी को खुशियों की सौगातें लाती हैं
बारिश की बूंदों से झरनों की रवानी है
इन्हीं से ही सरसब्ज नदियों की जवानी है
ताल, तलैया, झील, कुएं सब इनसे आबाद हैं
ये ना हों तो समझो खत्म जीवन की कहानी है
हरिशंकर गोयल "हरि"
28.10.21