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मैं मृत्यु सिखाता हूं - ओशो

ओशो

16 अध्याय
6 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
25 पाठक
25 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

इस किताब के माध्यम से ओशो समझाते हैं कि जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के को दो पहलू हैं। जन्म और मृत्यु को मिलाकर ही पूरा जीवन बनता है। जो अपने जीवन को सही और पूरे ढंग से नहीं जी पाते, वही मृत्यु से घबराते हैं। सच तो यह है ओशो जीवन को पूरे आनंद के साथ जीने की कला सिखाते हैं और यही कला मृत्यु के भय से हमें बचाती और जगाती है। 

main mrityu sikhata hun osho

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पुस्तक के भाग

1

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-01

16 अक्टूबर 2021
14
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योजित मृत्यु अर्थात ध्यान और समाधि के प्रायोगिक रहस्य—(प्रवचन—पहला) यह शरीर एक बीज है और जीवन चेतना और आत्मा का एक अंकुर भीतर है। जब वह अंकुर फूटता है तो मनुष्य का बीज होना समाप्त होता है और मनुष

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-02

16 अक्टूबर 2021
3
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0

आध्यात्मिक विश्व आंदोलन—ताकि कुछ व्‍यक्‍ति प्रबुद्ध हो सकें—(प्रवचन—दूसरा) जिनके भीतर भी पुकार है उनके ऊपर एक बड़ा दायित्व है आज जगत के लिए। आज तो जगत के कोने— कोने में जाकर कहने की यह बात है कि क

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-03

16 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61436549a620e6740d74

4

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-04

19 अक्टूबर 2021
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जीवन के मंदिर में द्वार है मृत्‍यु का—(प्रवचन—तीसरा) मृत्‍यु से न तो मुक्‍त होना है और न मृत्‍यु को जीतना है। मृत्‍यु को जानना है। जानना ही मुक्‍ति बन जाता है। जानना ही जीत जाता है। मरने से हम

5

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-05

19 अक्टूबर 2021
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सजग मृत्‍यु और जाति—स्‍मरण के रहस्य जितनी घनी अंधेरी रात हो, तारे उतने ही चमकते दिखाई पड़ते है। और जितने काले बादल हों, बिजली की चमक चाँदी बन जाती है। जब मृत्‍यु पूरी तरह चारों तरफ खड़ी हो जाती

6

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-06

19 अक्टूबर 2021
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निद्रा, स्‍वप्‍न, सम्‍मोहन और मूर्च्‍छा से जागृति की निद्रा में भी हम वहीं पहुंचते हैं जहां ध्यान में पहुंचते हैं लेकिन फर्क इतना ही है कि निद्रा में हम बेहोश होते हैं और ध्यान में हम जाग्रत होते हैं

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-07

19 अक्टूबर 2021
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मूर्च्छा में मृत्यु है—और जागृति में जीवन बिना विचारे कुछ करने की प्रवृत्ति पहली चीज है जिसको तोड़ डालना है। विचार करने की प्रवृत्ति पैदा करनी है और बिना विचार किए मान लेने की प्रवृत्ति तोड़ देनी है।

8

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-08

19 अक्टूबर 2021
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<figure><img height="auto" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61436549a620e6740d

9

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन 09

20 अक्टूबर 2021
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आने वाले भविष्य में अगर मनुष्य को विक्षिप्त होने से पागल होने से बचाना हो तो पूरी जिंदगी को स्वीकार करना पड़ेगा। को के को। उसमें कोई खंड काटकर विरोध में खड़े नहीं करने पड़ेगे। मेरे प्रिय आत्मन्। आज बह

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-10

20 अक्टूबर 2021
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अंधकार से आलोक और मूर्च्छा से परम जागरण की ( धयान मूल तत्व जिसकी तरलता जिसकी सघनता विरलता जिसका ठोसपन तय करता है कि आपको जाग्रत कहें या आपको सोया हुआ कहें। जागरण और मूर्च्छा के बीच जो तत्व यात्रा करत

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-11

20 अक्टूबर 2021
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संकल्यवान—हो जाता है आत्‍मवान (वापस लौटना सदा आसान मालूम पड़ता है। क्यों? क्योंकि जहां हम लौट रहे हैं वह परिचित भूमि है। आगे बढ़ना हमेशा खतरनाक मालूम पड़ता है क्योंकि जहां हम जा रहे हैं वहां का हमें को

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-12

21 अक्टूबर 2021
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नाटकीय जीवन के प्रति साक्षी चेतना का जागरण (रुक जाएं और एक क्षण को किसी भी क्षण को, जागने का क्षण बना लें और क्या हो रहा है। आप साक्षी रह जाए सिर्फ।) भगवान श्री मृत्यु में भी जागे रहने के लिए या ध्य

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-13

21 अक्टूबर 2021
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सूक्ष्‍म शरीर, ध्यान—साधना एवं तंत्र—साधना के कुछ गुप्‍त आयाम (दो शरीर के मिलने से तो सिर्फ हम एक शरीर को जन्मने की सुविधा देते हैं। लेकिन जब दो आत्माएं भी मिलती है, तब हम एक विराट आत्‍मा को उतरने की

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-14

21 अक्टूबर 2021
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धर्म की महायात्रा में स्वयं को दांव पर लगाने का साहस (प्रतीक्षा बना देती है दर्पण चेतना को। और जिस दिन हम दर्पण बन जाते हैं उसी दिन सब मिल जाता है। क्योंकि सब तो सदा ही था सिर्फ हम नहीं थे। दर्पण होक

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मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-15

21 अक्टूबर 2021
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(साक्षी की साधना करना बहुत बड़ा संकल्प है और तथाता की साधना करना तो साक्षी से भी बड़ा संकल्प है। यह महासंकल्प है। जब एक आदमी यह तय करता है कि मैं साक्षी बनकर जीऊंगा, तो इससे बड़ा संकल्प नहीं है दूसरा।)

16

मैं मृत्‍यु सिखाता हूं - प्रवचन-16

22 अक्टूबर 2021
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संकल्प से साक्षी और साक्षी से आगे तथाता की परम उपलब्धि (साक्षी की साधना करना बहुत बड़ा संकल्प है और तथाता की साधना करना तो साक्षी से भी बड़ा संकल्प है। यह महासंकल्प है। जब एक आदमी यह तय करता है कि मैं

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