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ज्ञान योग

स्वामी विवेकानंद

17 अध्याय
21 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
52 पाठक
7 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग में मायावाद,मनुष्य का यथार्थ व प्रकृत स्वरूप,माया और मुक्ति,ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत, बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन,आत्मा का मुक्त स्वभाव आदि नामों से उनके द्वारा दिये भाषणों का संकलन है। 

gyan yog

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पुस्तक के भाग

1

मनुष्य का यथार्थ स्वरूप

25 अप्रैल 2022
33
1
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“मनुष्य का यथार्थ स्वरूप” नामक यह भाषण स्वामी विवेकानंद ने लंदन में दिया था। यह उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ज्ञान योग का प्रथम अध्याय है। इसमें स्वामी जी ने आत्मा के यथार्थ स्वरूप का निरूपण किया है कि किस तर

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मनुष्य का वास्तविक और प्राति भासिक स्वरूप

26 अप्रैल 2022
6
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0

हम यहाँ खड़े है, परन्तु हमारी दृष्टि दूर बहुत दूर, और कभी-कभी तो, कोसों दूर चली जाती है। जब से मनुष्य ने विचार करना आरम्भ किया, तभी से वह ऐसा करता आ रहा है। मनुष्य सदैव आगे और दूर देखने का प्रयत्न करता

3

माया और भ्रम

26 अप्रैल 2022
3
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माया शब्द प्रायः तुम सभी ने सुना होगा। इसका व्यवहार साधारणतः भ्रम, भ्रान्ति अथवा इसी प्रकार के अर्थ में किया जाता है, किन्तु यह उसका वास्तविक अर्थ नहीं है। मायावाद उन स्तम्भों में से एक है, जिन पर वेद

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माया और ईश्वर-धारणा का क्रमविकास

26 अप्रैल 2022
3
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हमने देखा कि अद्वैत वेदान्त का एक आधारभूत सिद्धान्त मायावाद बीज रूप से संहिताओं में भी देखा जाता है, और जिन विचारों का विकास उपनिषदों में हुआ है वे वस्तुतः किसी न किसी रूप में संहिताओं में विद्यमान है

5

माया और मुक्ति

26 अप्रैल 2022
3
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कवि कहता है “हम जगत् में अपने पीछे मानो एक हिरण्मय मेघजाल लेकर प्रवेश करते हैं ।” पर सच पूछो तो हममें से सभी इस प्रकार महिमामण्डित होकर संसार में प्रवेश नहीं करते; हममें से बहुत से तो अपने पीछे कुहरे

6

ब्रह्म एवं जगत

26 अप्रैल 2022
1
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अद्वैत वेदान्त की इस एक बात की धारणा करना अत्यन्त कठिन है कि जो ब्रह्म अनन्त है, वह सान्त अथवा ससीम किस प्रकार हुआ। यह प्रश्न मनुष्य सर्वदा करता रहेगा, पर जीवन भर इस प्रश्न पर विचार करते रहने पर भी उस

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विश्व बृहत ब्रह्मांड

26 अप्रैल 2022
1
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सर्वत्र विद्यमान फूल सुन्दर है, प्रभात के सूर्य का उदय सुन्दर है, प्रकृति के विविध रंग और वर्णावली सुन्दर है। समस्त जगत् सुन्दर है और मनुष्य जब से पृथ्वी पर आया है, तभी से इस सौन्दर्य का उपभोग कर रहा

8

विश्व सूक्ष्म ब्रह्माण्ड

26 अप्रैल 2022
1
0
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स्वभाव से ही मनुष्य का मन बाहर की ओर प्रवृत्त होता है, मानो वह इन्द्रियों के द्वारा शरीर के बाहर झाँकना चाहता हो। आँखें अवश्य देखेंगी, कान अवश्य सुनेंगे, इन्द्रियाँ अवश्य बाहरी जगत् को प्रत्यक्ष करेंग

9

अमरत्व

26 अप्रैल 2022
1
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जीवात्मा के अमरत्व के प्रश्न के सिवा अन्य कौन-सा प्रश्न अधिक बार पूछा गया है, अन्य किस तत्त्व के रहस्य का उद्घाटन करने के लिए मनुष्य ने सारे जगत् की इतनी अधिक खोज की है, अन्य कौन-सा प्रश्न मानव-हृदय क

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बहुत्व में एकत्व

26 अप्रैल 2022
1
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स्वयम्भू ने इन्द्रियों को बहिर्मुख होने का विधान बनाया है, इसीलिए मनुष्य सामने की ओर (विषयों की ओर) देखता है, अन्तरात्मा को नहीं देखता। अमृतत्व-प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले किसी किसी ज्ञानी ने विषयों से

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सभी वस्तुओं में ब्रह्मदर्शन

26 अप्रैल 2022
1
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हमने देखा कि हम अपने दुःखों को दूर करने की कितनी ही चेष्टा क्यों न करें, परन्तु फिर भी हमारे जीवन का अधिकांश भाग अवश्यमेव दुःखपूर्ण रहेगा। और यह दुःखराशि वास्तव में हमारे लिए एक प्रकार से अनन्त है। हम

12

अपरोक्षानुभूति

26 अप्रैल 2022
0
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मैं तुम लोगों को एक दूसरी उपनिषद् से कुछ अंश पढ़कर सुनाऊंगा! यह अत्यन्त सरल एवं अतिशय कवित्वपूर्ण है । इसका नाम है कठोपनिषद! सर एडविन अर्नाल्ड कृत इसका अनुवादक1 शायद तुममें से कुछ ने पड़ा होगा। हम लोगों

13

आत्मा का मुक्त स्वभाव

26 अप्रैल 2022
0
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हम जिस कठोपनिषद् की चर्चा कर रहे थे, वह छान्दोग्योपनिषद् के, जिसकी हम अब चर्चा करेंगे बहुत समय बाद रचा गया था। कठोपनिषद् की भाषा अपेक्षाकृत आधुनिक है, उसकी चिन्तन-शैली भी सब से अधिक प्रणालीबद्ध है। प्

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धर्म की आवश्यकता

26 अप्रैल 2022
3
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मानव-जाति के भाग-निर्माण में जितनी शक्तियों ने योगदान दिया है और दे रही हैं उन सब में धर्म के रूप में प्रगट होनेवाली शक्ति से अधिक महत्त्वपूर्ण कोई नहीं है। सभी सामाजिक संगठनों के मूल में कहीं न कहीं

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आत्मा

26 अप्रैल 2022
1
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तुममें से बहुतों ने मैक्समूलर की सुप्रसिद्ध पुस्तक ‘वेदान्त दर्शन पर तीन व्याख्यान’को पड़ा होगा और शायद कुछ लोगों ने इसी विषय पर प्रोफेसर डॉयसन की जर्मन भाषा में लिखित पुस्तक पढ़ी हो। ऐसा लगता है कि पश्

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आत्मा उसके बंधन तथा मुक्ति

26 अप्रैल 2022
2
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1

अद्वैत दर्शन के अनुसार विश्व में केवल एक ही वस्तु सत्य है, और वह है ब्रह्म। ब्रह्मेतर समस्त वस्तुएँ मिथ्या है, ब्रह्म ही उन्हें माया के योग से बनाता एवं अभिव्यक्त करता है। उस ब्रह्म की पुनःप्राप्ति ही

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सन्यासी का गीत

26 अप्रैल 2022
12
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(1) छेड़ो संन्यासी, छेड़ते छेड़ो वह तान मनोहर, गाओ वह गान, जगा जो अत्युच्च हिमाद्रि-शिखर पर  सुगभीर अरण्य जहाँ है, पार्वत्य प्रदेश जहाँ हैं भव-पाप-ताप ज्वालामय करते न प्रवेश जहाँ है  जो संगीत-ध्वनि-

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