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श्रीमद्भगवत गीता

भारतीय धार्मिक ग्रंथ

18 अध्याय
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7 पाठक
12 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि जो भी मनुष्य भगवद गीता की अठारह बातों को अपनाकर अपने जीवन में उतारता है वह सभी दुखों से, वासनाओं से, क्रोध से, ईर्ष्या से, लोभ से, मोह से, लालच आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानते हैं भगवद गीता की 18 ज्ञान की बातें। 1. आनंद मनुष्य के भीतर ही निवास करता है। हरियाणा के कुरुक्षे‍त्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी।श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा मै ही अविनाशी परमात्मा हूं। जब जब अधर्म की मात्रा बढ़ती है, जब जब धर्म की हानि होती है मैं योग माया से अधर्म के नाश के लिए और धर्म की पुर्नस्थापना के लिए जन्म लेता हूं। 

shrimadbhalagat gita

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पुस्तक के भाग

1

पहला अध्याय - श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद

4 मई 2022
3
1
0

(योद्धाओं की गणना और सामर्थ्य) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१) भावार्थ : धृतराष्ट्र ने कहा - हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि म

2

दूसरा अध्याय - सांख्य योग

4 मई 2022
0
0
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(अर्जुन के शोक का कारण) संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌ । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ (१) भावार्थ : संजय ने कहा - इस प्रकार करुणा से अभिभूत, आँसुओं से भरे हुए व्याकुल नेत्

3

तीसरा अध्याय - कर्म योग

4 मई 2022
0
0
0

(कर्म-योग और ज्ञान-योग का भेद) अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन। तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने कहा - हे जनार्दन! हे केशव! यदि आप निष्काम-कर्म म

4

चौथा अध्याय - ज्ञान कर्म सन्यास योग

4 मई 2022
1
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(कर्म-अकर्म और विकर्म का निरुपण) श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्‌ । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्‌ ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - मैंने इस अविनाशी योग-विधा

5

पांचवा अध्याय - कर्म सन्यास योग

4 मई 2022
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0
0

(सांख्य-योग और कर्म-योग के भेद) अर्जुन उवाच संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम्‌ ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण! कभी आप सन्यास-माध्यम (स

6

छठवाँ अध्याय - आत्म संयम योग

4 मई 2022
1
0
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(योग में स्थित मनुष्य के लक्षण) श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - जो मनुष्य बिना किसी फ़ल की इच्

7

सातवाँ अध्याय - ज्ञान विज्ञानं योग

4 मई 2022
0
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(विज्ञान सहित तत्व-ज्ञान) श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः। असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे पृथापुत्र! अब उसको सुन जिससे तू योग

8

आठवां अध्याय - अक्षर ब्रह्मं योग

4 मई 2022
1
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(अर्जुन के सात प्रश्नो के उत्तर) अर्जुन उवाच किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम। अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे पुरुषोत्तम! यह "ब्रह्म" क्या ह

9

नवा अध्याय - राज विद्या राज गुह्यः योग

4 मई 2022
0
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(सृष्टि का मूल कारण) श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌ ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे अर्जुन! अब मैं तुझ ईर्ष्या न कर

10

दसवाँ अध्याय - विभूति योग

4 मई 2022
0
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(भगवान की ऎश्वर्य पूर्ण योग-शक्ति) श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान्‌ ने कहा - हे महाबाहु अर्जुन! तू मेरे परम-प

11

ग्यारहवा अध्याय - विश्व रूप दर्शन योग

4 मई 2022
1
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(अर्जुन द्वारा विश्वरूप के दर्शन के लिये प्रार्थना) अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने कहा - मुझ पर कृपा करने के

12

बारहवाँ अध्याय - भक्ति योग

5 मई 2022
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अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते । ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे भगवन! जो विधि आपने बतायी है उसी विधि के अनुसार अनन्य भक्ति से आप

13

तेरहवाँ अध्याय क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग

10 मई 2022
0
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(क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय) अर्जुन उवाच प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च । एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे केशव! मैं आपसे प्रकृति एवं पुरुष

14

चौदवां अध्याय - गुण त्रय विभाग योग

10 मई 2022
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(प्रकृति और पुरुष द्वारा जगत्‌ की उत्पत्ति) श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे अर्जुन!

15

पंद्रहवाँ अध्याय - पुरुषोत्तमयोग

10 मई 2022
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अथ पञ्चदशोऽध्यायः- पुरुषोत्तमयोग संसाररूपी अश्वत्वृक्ष का स्वरूप और भगवत्प्राप्ति का उपाय श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ৷৷1৷৷

16

सोलहवाँ अध्याय - देव असुर संपदा विभाग योग

12 मई 2022
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(दैवीय स्वभाव वालों के लक्षण) श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः । दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌ ॥ (१) भावार्थ : श्री भगवान ने कहा - हे भरतवंशी अर्जुन! परमात्मा पर

17

सत्रहवाँ अध्याय - श्रद्धा त्रय विभाग योग

12 मई 2022
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(स्वभाव के अनुसार श्रद्धा) अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः । तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्रों के

18

अठारवा अध्याय - मोक्ष सन्यास योग

12 मई 2022
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त्याग का विषय अर्जुन उवाच सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ । त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ॥ भावार्थ :  अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्‌! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग

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