shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

संत रविदास जी की पदावली

संत रविदास

122 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
17 जून 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

जिस प्रकार चंदन की सुगंध पानी के बूँद-बूँद में समा जाती है उसी प्रकार प्रभु की भक्ति भक्त के अंग-अंग में समा जाती है। यदि प्रभु बादल है तो भक्त मोर के समान है जो बादल को देखते ही नाचने लगता है। यदि प्रभु चाँद है तो भक्त उस चकोर पक्षी की तरह है जो बिना अपनी पलकों को झपकाए चाँद को देखता रहता है। संत रविदास जी ने हमेशा अपने दोहों और रचनाओं के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों और कुरीतियों को दूर किया है। संत रविदास जी ने सभी को भगवान की भक्ति करके सचाई की राह पर चलने की प्रेरणा दी है। इन्होंने सभी लोगों को एकता के सूत्र में चलने का भी विशेष प्रयास किया है। अपनी काव्य-रचनाओं में खड़ी-बोली, राजस्थानी, अवधी और उर्दू-फारसी जैसी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया है। जो भी संत रविदास जी के दोहे पढ़ता है तो वह उन दोहों से बड़ी सिख लेता है। इनकी रचनाएं हास्यस्पर्शी होती हैं।  

sant ravidas ji ki padavali

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

रैदास के दोहे

16 जून 2022
0
0
0

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।। कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा। वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।। कह रैदास तेरी भगति दू

2

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी

16 जून 2022
0
0
0

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥ प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥ प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥ प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत स

3

प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी

16 जून 2022
0
0
0

प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी।जग-जीवन राम मुरारी॥ गली-गली को जल बहि आयो, सुरसरि जाय समायो। संगति के परताप महातम, नाम गंगोदक पायो॥ स्वाति बूँद बरसे फनि ऊपर, सोई विष होइ जाई। ओही बूँद कै मोती निपजै,

4

परचै राम रमै जै कोइ

16 जून 2022
0
0
0

परचै राम रमै जै कोइ। पारस परसें दुबिध न होइ।। टेक।। जो दीसै सो सकल बिनास, अण दीठै नांही बिसवास। बरन रहित कहै जे रांम, सो भगता केवल निहकांम।।१।। फल कारनि फलै बनराइं, उपजै फल तब पुहप बिलाइ। ग्यांनह

5

अब मैं हार्यौ रे भाई

16 जून 2022
0
0
0

अब मैं हार्यौ रे भाई। थकित भयौ सब हाल चाल थैं, लोग न बेद बड़ाई।। टेक।। थकित भयौ गाइण अरु नाचण, थाकी सेवा पूजा। काम क्रोध थैं देह थकित भई, कहूँ कहाँ लूँ दूजा।।१।। रांम जन होउ न भगत कहाँऊँ, चरन पखाल

6

गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ

16 जून 2022
0
0
0

गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ। गांवणहारा कौ निकटि बतांऊँ।। टेक।। जब लग है या तन की आसा, तब लग करै पुकारा। जब मन मिट्यौ आसा नहीं की, तब को गाँवणहारा।।१।। जब लग नदी न संमदि समावै, तब लग बढ़ै अहंकारा। जब म

7

राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ

16 जून 2022
0
0
0

राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ, सेवा करौं न दासा। गुनी जोग जग्य कछू न जांनूं, ताथैं रहूँ उदासा।। टेक।। भगत हूँ वाँ तौ चढ़ै बड़ाई। जोग करौं जग मांनैं। गुणी हूँ वांथैं गुणीं जन कहैं, गुणी आप कूँ जांनैं।।१।

8

अब मोरी बूड़ी रे भाई

16 जून 2022
0
0
0

अब मोरी बूड़ी रे भाई। ता थैं चढ़ी लोग बड़ाई।। टेक।। अति अहंकार ऊर मां, सत रज तामैं रह्यौ उरझाई। करम बलि बसि पर्यौ कछू न सूझै, स्वांमी नांऊं भुलाई।।१।। हम मांनूं गुनी जोग सुनि जुगता, हम महा पुरिष र

9

तेरा जन काहे कौं बोलै

16 जून 2022
0
0
0

तेरा जन काहे कौं बोलै। बोलि बोलि अपनीं भगति क्यों खोलै।। टेक।। बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई। बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ खाई।।१।। बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई। उर

10

भाई रे भ्रम भगति सुजांनि

16 जून 2022
0
0
0

भाई रे भ्रम भगति सुजांनि। जौ लूँ नहीं साच सूँ पहिचानि।। टेक।। भ्रम नाचण भ्रम गाइण, भ्रम जप तप दांन। भ्रम सेवा भ्रम पूजा, भ्रम सूँ पहिचांनि।।१।। भ्रम षट क्रम सकल सहिता, भ्रम गृह बन जांनि। भ्रम करि

11

त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे

16 जून 2022
0
0
0

त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे, अंतरि ल्यौ लागी। एक अनूपम अनभई, किम होइ बिभागी।। टेक।। इक अभिमानी चातृगा, विचरत जग मांहीं। जदपि जल पूरण मही, कहूं वाँ रुचि नांहीं।।१।। जैसे कांमीं देखे कांमिनीं, हिरदै सूल

12

आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां

16 जून 2022
0
0
0

आयौ हो आयौ देव तुम्ह सरनां। जांनि क्रिया कीजै अपनों जनां।। टेक।। त्रिबिधि जोनी बास, जम की अगम त्रास, तुम्हारे भजन बिन, भ्रमत फिर्यौ। ममिता अहं विषै मदि मातौ, इहि सुखि कबहूँ न दूभर तिर्यौं।।१।। तुम

13

भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो

16 जून 2022
0
0
0

भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो। सति रांम ताकै निकटि न आवो।। टेक।। राम कहत जगत भुलाना, सो यहु रांम न होई। करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।१।। जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई।

14

ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै

16 जून 2022
0
0
0

ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै। साहिब मेरौ मिलै तौ को बिगरावै।। टेक।। सब मैं हरि हैं हरि मैं सब हैं, हरि आपनपौ जिनि जांनां। अपनी आप साखि नहीं दूसर, जांननहार समांनां।।१।। बाजीगर सूँ रहनि रही जै, बाजी का भर

15

अखि लखि लै नहीं

16 जून 2022
0
0
0

अखि लखि लै नहीं का कहि पंडित, कोई न कहै समझाई। अबरन बरन रूप नहीं जाके, सु कहाँ ल्यौ लाइ समाई।। टेक।। चंद सूर नहीं राति दिवस नहीं, धरनि अकास न भाई। करम अकरम नहीं सुभ असुभ नहीं, का कहि देहु बड़ाई।।१।

16

नरहरि चंचल मति मोरी

16 जून 2022
0
0
0

नरहरि चंचल मति मोरी। कैसैं भगति करौ रांम तोरी।। टेक।। तू कोहि देखै हूँ तोहि देखैं, प्रीती परस्पर होई। तू मोहि देखै हौं तोहि न देखौं, इहि मति सब बुधि खोई।।१।। सब घट अंतरि रमसि निरंतरि, मैं देखत ही

17

राम बिन संसै गाँठि न छूटै

16 जून 2022
0
0
0

राम बिन संसै गाँठि न छूटै। कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।। हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी संन्यासी। ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।१।। पढ़ें गुनें कछू संमझि न

18

तब राम राम कहि गावैगा

16 जून 2022
0
0
0

तब रांम रांम कहि गावैगा। ररंकार रहित सबहिन थैं, अंतरि मेल मिलावैगा।। टेक।। लोहा सम करि कंचन समि करि, भेद अभेद समावैगा। जो सुख कै पारस के परसें, तो सुख का कहि गावैगा।।१।। गुर प्रसादि भई अनभै मति, व

19

संतौ अनिन भगति

16 जून 2022
0
0
0

संतौ अनिन भगति यहु नांहीं। जब लग सत रज तम पांचूँ गुण ब्यापत हैं या मांही।। टेक।। सोइ आंन अंतर करै हरि सूँ, अपमारग कूँ आंनैं। कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।१।। सति सनेह इष्ट अंगि लाव

20

ऐसी भगति न होइ रे भाई

16 जून 2022
0
0
0

ऐसी भगति न होइ रे भाई। रांम नांम बिन जे कुछ करिये, सो सब भरम कहाई।। टेक।। भगति न रस दांन, भगति न कथै ग्यांन, भगत न बन मैं गुफा खुँदाई। भगति न ऐसी हासि, भगति न आसा पासि, भगति न यहु सब कुल कानि गँवाई

21

भगति ऐसी सुनहु रे भाई

16 जून 2022
0
0
0

भगति ऐसी सुनहु रे भाई। आई भगति तब गई बड़ाई।। टेक।। कहा भयौ नाचैं अरु गायैं, कहौं भयौ तप कीन्हैं। कहा भयौ जे चरन पखालै, जो परम तत नहीं चीन्हैं।।१।। कहा भयौ जू मूँड मुंड़ायौ, बहु तीरथ ब्रत कीन्हैं।

22

अब कुछ मरम बिचारा

16 जून 2022
0
0
0

अब कुछ मरम बिचारा हो हरि। आदि अंति औसांण राम बिन, कोई न करै निरवारा हो हरि।। टेक।। जल मैं पंक पंक अमृत जल, जलहि सुधा कै जैसैं। ऐसैं करमि धरमि जीव बाँध्यौ, छूटै तुम्ह बिन कैसैं हो हरि।।१।। जप तप बि

23

नरहरि प्रगटसि

16 जून 2022
0
0
0

नरहरि प्रगटसि नां हो प्रगटसि नां। दीनानाथ दयाल नरहरि।। टेक।। जन मैं तोही थैं बिगरां न अहो, कछू बूझत हूँ रसयांन। परिवार बिमुख मोहि लाग, कछू समझि परत नहीं जाग।।१।। इक भंमदेस कलिकाल, अहो मैं आइ पर्यौ

24

त्यू तुम्ह कारन केसवे

16 जून 2022
0
0
0

त्यू तुम्ह कारन केसवे, लालचि जीव लागा। निकटि नाथ प्रापति नहीं, मन मंद अभागा।। टेक।। साइर सलिल सरोदिका, जल थल अधिकाई। स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।१।। जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी।

25

गौब्यंदे भौ जल

16 जून 2022
0
0
0

गौब्यंदे भौ जल ब्याधि अपारा। तामैं कछू सूझत वार न पारा।। टेक।। अगम ग्रेह दूर दूरंतर, बोलि भरोस न देहू। तेरी भगति परोहन, संत अरोहन, मोहि चढ़ाइ न लेहू।।१।। लोह की नाव पखांनि बोझा, सुकृत भाव बिहूंनां

26

कहा सूते मुगध नर

16 जून 2022
0
0
0

कहा सूते मुगध नर काल के मंझि मुख। तजि अब सति राम च्यंतत अनेक सुख।। टेक।। असहज धीरज लोप, कृश्न उधरन कोप, मदन भवंग नहीं मंत्र जंत्रा। विषम पावक झाल, ताहि वार न पार, लोभ की श्रपनी ग्यानं हंता।।१।। वि

27

कांन्हां हो जगजीवन

16 जून 2022
0
0
0

।। राग रामकली।।    कांन्हां हो जगजीवन मोरा। तू न बिसारीं रांम मैं जन तोरा।। टेक।। संकुट सोच पोच दिन राती, करम कठिन मेरी जाति कुभाती।।१।। हरहु बिपति भावै करहु कुभाव, चरन न छाड़ूँ जाइ सु जाव। कहै

28

सेई मन संमझि

16 जून 2022
0
0
0

सेई मन संमझि समरंथ सरनांगता। जाकी आदि अंति मधि कोई न पावै।। कोटि कारिज सरै, देह गुंन सब जरैं, नैंक जौ नाम पतिव्रत आवै।। टेक।। आकार की वोट आकार नहीं उबरै, स्यो बिरंच अरु बिसन तांई। जास का सेवग तास

29

है सब आतम सोयं

16 जून 2022
0
0
0

है सब आतम सोयं प्रकास साँचो। निरंतरि निराहार कलपित ये पाँचौं।। टेक।। आदि मध्य औसान, येक रस तारतंब नहीं भाई। थावर जंगम कीट पतंगा, पूरि रहे हरिराई।।१।। सरवेसुर श्रबपति सब गति, करता हरता सोई। सिव न

30

पहलै पहरै रैंणि

16 जून 2022
0
0
0

पहलै पहरै रैंणि दै बणजारिया, तै जनम लीया संसार वै।। सेवा चुका रांम की बणजारिया, तेरी बालक बुधि गँवार वे।। बालक बुधि गँवार न चेत्या, भुला माया जालु वे।। कहा होइ पीछैं पछतायैं, जल पहली न बँधीं पाल वे

31

देवा हम न पाप

16 जून 2022
0
0
0

देवा हम न पाप करंता। अहो अंनंता पतित पांवन तेरा बिड़द क्यू होता।। टेक।। तोही मोही मोही तोही अंतर ऐसा। कनक कुटक जल तरंग जैसा।।१।। तुम हीं मैं कोई नर अंतरजांमी। ठाकुर थैं जन जांणिये, जन थैं स्वांमी

32

है सब आतम सोयं

16 जून 2022
0
0
0

 है सब आतम सोयं प्रकास साँचो। निरंतरि निराहार कलपित ये पाँचौं।। टेक।। आदि मध्य औसान, येक रस तारतंब नहीं भाई। थावर जंगम कीट पतंगा, पूरि रहे हरिराई।।१।। सरवेसुर श्रबपति सब गति, करता हरता सोई। सिव न

33

कोई सुमार न देखौं

16 जून 2022
0
0
0

कोई सुमार न देखौं, ए सब ऊपिली चोभा। जाकौं जेता प्रकासै, ताकौं तेती ही सोभा।। टेक।। हम ही पै सीखि सीखि, हम हीं सूँ मांडै। थोरै ही इतराइ चालै, पातिसाही छाडै।।१।। अति हीं आतुर बहै, काचा हीं तोरै। कु

34

पहलै पहरै रैंणि

16 जून 2022
0
0
0

पहलै पहरै रैंणि दै बणजारिया, तै जनम लीया संसार वै।। सेवा चुका रांम की बणजारिया, तेरी बालक बुधि गँवार वे।। बालक बुधि गँवार न चेत्या, भुला माया जालु वे।। कहा होइ पीछैं पछतायैं, जल पहली न बँधीं पाल वे

35

देवा हम न पाप

16 जून 2022
0
0
0

देवा हम न पाप करंता। अहो अंनंता पतित पांवन तेरा बिड़द क्यू होता।। टेक।। तोही मोही मोही तोही अंतर ऐसा। कनक कुटक जल तरंग जैसा।।१।। तुम हीं मैं कोई नर अंतरजांमी। ठाकुर थैं जन जांणिये, जन थैं स्वांमी

36

या रमां एक तूं दांनां

16 जून 2022
0
0
0

या रमां एक तूं दांनां, तेरा आदू बैश्नौं। तू सुलितांन सुलितांनां बंदा सकिसंता रजांनां।। टेक।। मैं बेदियांनत बदनजर दे, गोस गैर गुफतार। बेअदब बदबखत बीरां, बेअकलि बदकार।।१।। मैं गुनहगार गुमराह गाफिल,

37

अब हम खूब बतन

16 जून 2022
0
0
0

अब हम खूब बतन घर पाया। उहॉ खैर सदा मेरे भाया।। टेक।। बेगमपुर सहर का नांउं, फिकर अंदेस नहीं तिहि ठॉव।।१।। नही तहॉ सीस खलात न मार, है फन खता न तरस जवाल।।२।। आंवन जांन रहम महसूर, जहॉ गनियाव बसै माबँू

38

राम गुसईआ जीअ के जीवना

16 जून 2022
0
0
0

राम गुसईआ जीअ के जीवना। मोहि न बिसारहु मै जनु तेरा।। टेक।। मेरी संगति पोच सोच दिनु राती। मेरा करमु कटिलता जनमु कुभांति।।१।। मेरी हरहु बिपति जन करहु सुभाई। चरण न छाडउ सरीर कल जाई।।२।। कहु रविदास पर

39

सगल भव के नाइका

16 जून 2022
0
0
0

सगल भव के नाइका। इकु छिनु दरसु दिखाइ जी।। टेक।। कूप भरिओ जैसे दादिरा, कछु देसु बिदेसु न बूझ। ऐसे मेरा मन बिखिआ बिमोहिआ, कछु आरा पारु न सूझ।।१।। मलिन भई मति माधव, तेरी गति लखी न जाइ। करहु क्रिपा भ

40

मो सउ कोऊ न कहै समझाइ

16 जून 2022
0
0
0

मो सउ कोऊ न कहै समझाइ। जाते आवागवनु बिलाइ।। टेक।। सतजुगि सतु तेता जगी दुआपरि पूजाचार। तीनौ जुग तीनौ दिड़े कलि केवल नाम अधार।।१।। पार कैसे पाइबो रे।। बहु बिधि धरम निरूपीऐ करता दीसै सभ लोइ। कवन कर

41

मरम कैसैं पाइबौ रे

16 जून 2022
0
0
0

मरम कैसैं पाइबौ रे। पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।१।। अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद

42

जीवत मुकंदे मरत मुकंदे

16 जून 2022
0
0
0

जीवत मुकंदे मरत मुकंदे। ताके सेवक कउ सदा अनंदे।। टेक।। मुकंद-मुकंद जपहु संसार। बिन मुकंद तनु होइ अउहार। सोई मुकंदे मुकति का दाता। सोई मुकंदु हमरा पित माता।।१।। मुकंद-मुकंदे हमारे प्रानं। जपि मुकंद

43

साध का निंदकु कैसे तरै

16 जून 2022
0
0
0

साध का निंदकु कैसे तरै। सर पर जानहु नरक ही परै।। टेक।। जो ओहु अठिसठि तीरथ न्हावै। जे ओहु दुआदस सिला पूजावै। जे ओहु कूप तटा देवावै। करै निंद सभ बिरथा जावै।।१।। जे ओहु ग्रहन करै कुलखेति। अरपै नारि स

44

केसवे बिकट माया तोर

16 जून 2022
0
0
0

केसवे बिकट माया तोर। ताथैं बिकल गति मति मोर।। टेक।। सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख। निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।१।। इन्द्रीयादिक दुख दारुन, असंख्यादिक पाप। तोहि भजत रघुनाथ

45

बरजि हो बरजि बीठल

16 जून 2022
0
0
0

बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। महा प्रबल सब हीं बसि कीये, सुर नर मुनि भरमाया।। टेक।। बालक बिरधि तरुन अति सुंदरि, नांनां भेष बनावै। जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न पावै।।१।। बाजीगर की बाजी कार

46

रांमहि पूजा कहाँ चढ़ँऊँ।

16 जून 2022
0
0
0

रांमहि पूजा कहाँ चढ़ँाऊँ। फल अरु फूल अनूप न पांऊँ।। टेक।। थनहर दूध जु बछ जुठार्यौ, पहुप भवर जल मीन बिटार्यौ। मलियागिर बेधियौ भवंगा, विष अंम्रित दोऊँ एकै संगा।।१।। मन हीं पूजा मन हीं धूप, मन ही सेऊ

47

बंदे जानि साहिब गनीं

16 जून 2022
0
0
0

बंदे जानि साहिब गनीं। संमझि बेद कतेब बोलै, ख्वाब मैं क्या मनीं।। टेक।। ज्वांनीं दुनी जमाल सूरति, देखिये थिर नांहि बे। दम छसै सहंस्र इकवीस हरि दिन, खजांनें थैं जांहि बे।।१।। मतीं मारे ग्रब गाफिल, ब

48

सु कछु बिचार्यौ ताथैं

16 जून 2022
0
0
0

सु कछु बिचार्यौ ताथैं मेरौ मन थिर के रह्यौ। हरि रंग लागौ ताथैं बरन पलट भयौ।। टेक।। जिनि यहु पंथी पंथ चलावा, अगम गवन मैं गमि दिखलावा।।१।। अबरन बरन कथैं जिनि कोई, घटि घटि ब्यापि रह्यौ हरि सोई।।२।। ज

49

माधौ संगति सरनि तुम्हारी

16 जून 2022
0
0
0

माधौ संगति सरनि तुम्हारी। जगजीवन कृश्न मुरारी।। टेक।। तुम्ह मखतूल गुलाल चत्रभुज, मैं बपुरौ जस कीरा। पीवत डाल फूल रस अंमृत, सहजि भई मति हीरा।।१।। तुम्ह चंदन मैं अरंड बापुरौ, निकटि तुम्हारी बासा। न

50

माधौ अविद्या हित कीन्ह

16 जून 2022
0
0
0

माधौ अविद्या हित कीन्ह। ताथैं मैं तोर नांव न लीन्ह।। टेक।। मिग्र मीन भ्रिग पतंग कुंजर, एक दोस बिनास। पंच ब्याधि असाधि इहि तन, कौंन ताकी आस।।१।। जल थल जीव जंत जहाँ-जहाँ लौं करम पासा जाइ। मोह पासि

51

देहु कलाली एक पियाला

16 जून 2022
0
0
0

देहु कलाली एक पियाला। ऐसा अवधू है मतिवाला।। टेक।। ए रे कलाली तैं क्या कीया, सिरकै सा तैं प्याला दीया।।१।। कहै कलाली प्याला देऊँ, पीवनहारे का सिर लेऊँ।।२।। चंद सूर दोऊ सनमुख होई, पीवै पियाला मरै न

52

संत ची संगति संत कथा रसु

16 जून 2022
0
0
0

संत ची संगति संत कथा रसु। संत प्रेम माझै दीजै देवा देव।। टेक।। संत तुझी तनु संगति प्रान। सतिगुर गिआन जानै संत देवा देव।।१।। संत आचरण संत चो मारगु। संत च ओल्हग ओल्हगणी।।२।। अउर इक मागउ भगति चिंतामण

53

तुझहि चरन अरबिंद

16 जून 2022
0
0
0

तुझहि चरन अरबिंद भँवर मनु। पान करत पाइओ, पाइओ रामईआ धनु।। टेक।। कहा भइओ जउ तनु भइओ छिनु छिनु। प्रेम जाइ तउ डरपै तेरो जनु।।१।। संपति बिपति पटल माइआ धनु। ता महि भगत होत न तेरो जनु।।२।। प्रेम की जेवर

54

हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे

16 जून 2022
0
0
0

हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे। हरि सिमरत जन गए निसतरि तरे।। टेक।। हरि के नाम कबीर उजागर। जनम जनम के काटे कागर।।१।। निमत नामदेउ दूधु पीआइया। तउ जग जनम संकट नहीं आइआ।।२।। जनम रविदास राम रंगि राता। इउ

55

माटी को पुतरा कैसे नचतु है

16 जून 2022
0
0
0

माटी को पुतरा कैसे नचतु है। देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतु है।। टेक।। जब कुछ पावै तब गरबु करतु है। माइआ गई तब रोवनु लगतु है।।१।। मन बच क्रम रस कसहि लुभाना। बिनसि गइआ जाइ कहूँ समाना।।२।। कहि रविदा

56

भाई रे सहज बन्दी लोई

17 जून 2022
0
0
0

भाई रे सहज बन्दी लोई, बिन सहज सिद्धि न होई। लौ लीन मन जो जानिये, तब कीट भंृगी होई।। टेक। आपा पर चीन्हे नहीं रे, और को उपदेस। कहाँ ते तुम आयो रे भाई, जाहुगे किस देस।।१।। कहिये तो कहिये काहि कहिये,

57

ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं

17 जून 2022
0
0
0

ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं। हिरदै राम गौब्यंद गुन सारं।। टेक।। सुरसुरी जल लीया क्रित बारूणी रे, जैसे संत जन करता नहीं पांन। सुरा अपवित्र नित गंग जल मांनियै, सुरसुरी मिलत नहीं होत आंन।।१।। ततकरा अ

58

पार गया चाहै सब कोई

17 जून 2022
0
0
0

पार गया चाहै सब कोई। रहि उर वार पार नहीं होई।। टेक।। पार कहैं उर वार सूँ पारा, बिन पद परचै भ्रमहि गवारा।।१।। पार परंम पद मंझि मुरारी, तामैं आप रमैं बनवारी।।२।। पूरन ब्रह्म बसै सब ठाइंर्, कहै रैदास

59

बपुरौ सति रैदास कहै

17 जून 2022
0
0
0

 बपुरौ सति रैदास कहै। ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै रे।।१।। त्रिबिधि संसार कवन बिधि ति

60

इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे

17 जून 2022
0
0
0

 इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे। निस बासुरि गुन गाँऊँ रांम तेरे।। टेक।। तुम्ह च्यतंत मेरी च्यंता हो न जाई, तुम्ह च्यंतामनि होऊ कि नांहीं।।१।। भगति हेत का का नहीं कीन्हा, हमारी बेर भये बल हीनां।।२।। कहै

61

रांम राइ का कहिये यहु ऐसी

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।   रांम राइ का कहिये यहु ऐसी। जन की जांनत हौ जैसी तैसी।। टेक।। मीन पकरि काट्यौ अरु फाट्यौ, बांटि कीयौ बहु बांनीं। खंड खंड करि भोजन कीन्हौं, तऊ न बिसार्यौ पांनी।।१।। तै हम बाँधे मोह

62

रे मन माछला संसार समंदे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  रे मन माछला संसार समंदे, तू चित्र बिचित्र बिचारि रे। जिहि गालै गिलियाँ ही मरियें, सो संग दूरि निवारि रे।। टेक।। जम छैड़ि गणि डोरि छै कंकन, प्र त्रिया गालौ जांणि रे। होइ रस लुबधि रम

63

रे चित चेति चेति अचेत काहे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  रे चित चेति चेति अचेत काहे, बालमीकौं देख रे। जाति थैं कोई पदि न पहुच्या, राम भगति बिसेष रे।। टेक।। षट क्रम सहित जु विप्र होते, हरि भगति चित द्रिढ नांहि रे। हरि कथा सूँ हेत नांहीं,

64

रथ कौ चतुर चलावन हारौ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  रथ कौ चतुर चलावन हारौ। खिण हाकै खिण ऊभौ राखै, नहीं आन कौ सारौ।। टेक।। जब रथ रहै सारहीं थाके, तब को रथहि चलावै। नाद बिनोद सबै ही थाकै, मन मंगल नहीं गावैं।।१।। पाँच तत कौ यहु रथ साज

65

जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।   जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं। तुम सौं तोरि कवन सूँ जोरौं।। टेक।। तीरथ ब्रत का न करौं अंदेसा, तुम्हारे चरन कवल का भरोसा।।१।। जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ तुम्हारी पूजा, तुम्ह सा देव अवर

66

किहि बिधि अणसरूं रे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।। किहि बिधि अणसरूं रे, अति दुलभ दीनदयाल। मैं महाबिषई अधिक आतुर, कांमना की झाल।। टेक।। कह द्यंभ बाहरि कीयैं, हरि कनक कसौटी हार। बाहरि भीतरि साखि तू, मैं कीयौ सुसा अंधियार।।१।। कहा भयौ

67

माधवे का कहिये भ्रम ऐसा

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  माधवे का कहिये भ्रम ऐसा। तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।। न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी। अछित राज बहुत दुख पायौ, सा गति भई हमारी।।१।। जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तु

68

माधौ भ्रम कैसैं न बिलाइ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  माधौ भ्रम कैसैं न बिलाइ। ताथैं द्वती भाव दरसाइ।। टेक।। कनक कुंडल सूत्र पट जुदा, रजु भुजंग भ्रम जैसा। जल तरंग पांहन प्रितमां ज्यूँ, ब्रह्म जीव द्वती ऐसा।।१।। बिमल ऐक रस, उपजै न बिन

69

मन मेरे सोई सरूप बिचार

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  मन मेरे सोई सरूप बिचार। आदि अंत अनंत परंम पद, संसै सकल निवारं।। टेक।। जस हरि कहियत तस तौ नहीं, है अस जस कछू तैसा। जानत जानत जानि रह्यौ मन, ताकौ मरम कहौ निज कैसा।।१।। कहियत आन अनुभ

70

जिनि थोथरा पिछोरे कोई

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  जिनि थोथरा पिछोरे कोई। जो र पिछौरे जिहिं कण होई।। टेक।। झूठ रे यहु तन झूठी माया, झूठा हरि बिन जन्म गंवाया।।१।। झूठा रे मंदिर भोग बिलासा, कहि समझावै जन रैदासा।।२।।

71

न बीचारिओ राजा राम को रसु

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।। न बीचारिओ राजा राम को रसु। जिह रस अनरस बीसरि जाही।। टेक।। दूलभ जनमु पुंन फल पाइओ बिरथा जात अबिबेके। राजे इन्द्र समसरि ग्रिह आसन बिनु हरि भगति कहहु किह लेखै।।१।। जानि अजान भए हम बाव

72

हरि हरि हरि न जपहि रसना

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  हरि हरि हरि न जपहि रसना। अवर सम तिआगि बचन रचना।। टेक।। सुख सागरु सुरतर चिंतामनि कामधेनु बसि जाके। चारि पदारथ असट दसा सिधि नवनिधि करतल ताके।।१।। नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अखर

73

माधवे तुम न तोरहु तउ हम नहीं तोरहि

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।। माधवे तुम न तोरहु तउ हम नहीं तोरहि। तुम सिउ तोरि कवन सिउ जोरहि।। टेक।। जउ तुम गिरिवर तउ हम मोरा। जउ तुम चंद तउ हम भए है चकोरा।।१।। जउ तुम दीवरा तउ हम बाती। जउ तुम तीरथ तउ हम जाती।।२

74

प्रानी किआ मेरा किआ तेरा

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  प्रानी किआ मेरा किआ तेरा। तैसे तरवर पंखि बसेरा।। टेक।। जल की भीति पवन का थंभा। रकत बूंद का गारा। हाड़ मास नाड़ी को पिंजरू। पंखी बसै बिचारा।।१।। राखहु कंध उसारहु नीवां। साढ़े तीनि

75

चमरटा गाँठि न जनई

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।  चमरटा गाँठि न जनई। लोग गठावै पनही।। टेक।। आर नहीं जिह तोपउ। नहीं रांबी ठाउ रोपउ।।१।। लोग गंठि गंठि खरा बिगूचा। हउ बिनु गांठे जाइ पहूचा।।२।। रविदासु जपै राम नाम, मोहि जम सिउ नाही क

76

पांडे कैसी पूज रची रे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सोरठी।।   पांडे कैसी पूज रची रे। सति बोलै सोई सतिबादी, झूठी बात बची रे।। टेक।। जो अबिनासी सबका करता, ब्यापि रह्यौ सब ठौर रे। पंच तत जिनि कीया पसारा, सो यौ ही किधौं और रे।।१।। तू ज कहत है य

77

तुझा देव कवलापती सरणि आयौ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।   तुझा देव कवलापती सरणि आयौ। मंझा जनम संदेह भ्रम छेदि माया।। टेक।। अति संसार अपार भौ सागरा, ता मैं जांमण मरण संदेह भारी। कांम भ्रम क्रोध भ्रम लोभ भ्रम, मोह भ्रम, अनत भ्रम छेदि मम

78

मेरी प्रीति गोपाल सूँ जिनि घटै हो

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।   मेरी प्रीति गोपाल सूँ जिनि घटै हो। मैं मोलि महँगी लई तन सटै हो।। टेक।। हिरदै सुमिरंन करौं नैन आलोकनां, श्रवनां हरि कथा पूरि राखूँ। मन मधुकर करौ, चरणां चित धरौं, रांम रसांइन रसना

79

कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।  कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे। धरि धरि देखैं मैं अजब अभावनौं रे।। टेक।। मैला मैला कपड़ा केताकि धोउँ, आवै आवै नींदड़ी कहाँ लौं सोऊँ।।१।। ज्यूँ ज्यूँ जोड़ौं त्यूँ त्यूँ फाटे

80

जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।  जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव। हरि बिश्न बैक्ऎंुठ मधुकीटभारी।। कृश्न केसों रिषीकेस कमलाकंत। अहो भगवंत त्रिबधि संतापहारी।। टेक।। अहो देव संसार तौ गहर गंभीर। भीतरि भ्रमत दिसि ब दि

81

मैं का जांनूं देव मैं का जांनू

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।। मैं का जांनूं देव मैं का जांनू। मन माया के हाथि बिकांनूं।। टेक।। चंचल मनवां चहु दिसि धावै; जिभ्या इंद्री हाथि न आवै। तुम तौ आहि जगत गुर स्वांमीं, हम कहियत कलिजुग के कांमी।।१।। लो

82

त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन

17 जून 2022
0
0
0

। राग धनाश्री।। त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन। अतिसै सूल सकल बलि जांवन।। टेक।। कांम क्रोध लंपट मन मोर, कैसैं भजन करौं रांम तोर।।१।। विषम विष्याधि बिहंडनकारी, असरन सरन सरन भौ हारी।।२।। देव देव दर

83

जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।  जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया। कठन फंध पर्यौ पंच जमइया।। टेक।। तुम बिन देव सकल मुनि ढूँढ़े, कहूँ न पायौ जम पासि छुड़इया।।१।। हमसे दीन, दयाल न तुमसे, चरन सरन रैदास चमइया।।२

84

हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।। हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने। कारन कवन अबोल।। टेक।। हम सरि दीनु दइआलु न तुमसरि। अब पतीआरु किआ कीजै। बचनी तोर मोर मनु मानैं। जन कउ पूरनु दीजै।।१।। बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु

85

नामु तेरो आरती भजनु मुरारे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।  नामु तेरो आरती भजनु मुरारे। हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे।। टेक।। नामु तेरो आसनो नामु तेरो उरसा नामु तेरा केसरो ले छिड़का रे। नामु तेरा अंमुला नामु तेरो चंदनों, घसि जपे नामु ले

86

अहो देव तेरी अमित महिमां, महादैवी माया

17 जून 2022
0
0
0

।। राग धनाश्री।।  अहो देव तेरी अमित महिमां, महादैवी माया। मनुज दनुज बन दहन, कलि विष कलि किरत सबै समय समंन।। निरबांन पद भुवन, नांम बिघनोघ पवन पात।। टेक।। गरग उत्तम बांमदेव, विस्वामित्र ब्यास जमदंग्

87

क्या तू सोवै जणिं दिवांनां

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।।  क्या तू सोवै जणिं दिवांनां। झूठा जीवनां सच करि जांनां।। टेक।। जिनि जीव दिया सो रिजकअ बड़ावै, घट घट भीतरि रहट चलावै। करि बंदिगी छाड़ि मैं मेरा, हिरदै का रांम संभालि सवेरा।।१।ं जो

88

खांलिक सकिसता मैं तेरा

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।। खांलिक सकिसता मैं तेरा। दे दीदार उमेदगार बेकरार जीव मेरा।। टेक।। अवलि आख्यर इलल आदंम, मौज फरेस्ता बंदा। जिसकी पनह पीर पैकंबर, मैं गरीब क्या गंदा।।१।। तू हानिरां हजूर जोग एक, अवर न

89

जो मोहि बेदन का सजि आखूँ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।। जो मोहि बेदन का सजि आखूँ। हरि बिन जीव न रहै कैसैं करि राखूँ।। टेक।। जीव तरसै इक दंग बसेरा, करहु संभाल न सुरि जन मोरा। बिरह तपै तनि अधिक जरावै, नींदड़ी न आवै भोजन नहीं भावै।।१।। सख

90

ताथैं पतित नहीं को अपांवन

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।। ताथैं पतित नहीं को अपांवन। हरि तजि आंनहि ध्यावै रे। हम अपूजि पूजि भये हरि थैं, नांउं अनूपम गावै रे।। टेक।। अष्टादस ब्याकरन बखांनै, तीनि काल षट जीता रे। प्रेम भगति अंतरगति नांहीं, त

91

तू जानत मैं किछु नहीं भव खंडन राम

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।।  तू जानत मैं किछु नहीं भव खंडन राम। सगल जीअ सरनागति प्रभ पूरन काम।। टेक।। दारिदु देखि सभ को हसै ऐसी दसा हमारी। असटदसा सिधि कर तलै सभ क्रिया तुमारी।।१।। जो तेरी सरनागता तिन नाही भा

92

जिह कुल साधु बैसनो होइ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।।  जिह कुल साधु बैसनो होइ। बरन अबरन रंकु नहीं ईसरू बिमल बासु जानी ऐ जगि सोइ।। टेक।। ब्रहमन बैस सूद अरु ख्यत्री डोम चंडार मलेछ मन सोइ। होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।१।

93

गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।।  गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी। उर भुअंग भस्म अंग संतत बैरागी।। टेक।। जाके तीन नैन अमृत बैन, सीसा जटाधारी, कोटि कलप ध्यान अलप, मदन अंतकारी।।१।। जाके लील बरन अकल ब्रह्म, गले रुण्डम

94

नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर

17 जून 2022
0
0
0

।। राग विलावल।।  नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर। जाकै सुर नर संत सरन अभिअंतर।। टेक।। जहाँ जहाँ गयौ, तहाँ जनम काछै, तृबिधि ताप तृ भुवनपति पाछै।।१।। भये अति छीन खेद माया बस, जस तिन ताप पर नगरि हतै तस।।२

95

भेष लियो पै भेद न जान्यो

17 जून 2022
0
0
0

।। राग भैरूँ (भैरव)।। भेष लियो पै भेद न जान्यो। अमृत लेई विषै सो मान्यो।। टेक।। काम क्रोध में जनम गँवायो, साधु सँगति मिलि राम न गायो।।१।। तिलक दियो पै तपनि न जाई, माला पहिरे घनेरी लाई।।२।। कह रैद

96

ऐसा ध्यान धरूँ बनवारी

17 जून 2022
0
0
0

।। राग भैरूँ।।। ऐसा ध्यान धरूँ बनवारी। मन पवन दिढ सुषमन नारी।। टेक।। सो जप जपूँ जु बहुरि न जपनां, सो तप तपूं जु बहुरि न तपनां। सो गुर करौं जु बहुरि न करनां, ऐसे मरूँ जैसे बहुरि न मरनां।।१।। उलटी

97

अबिगत नाथ निरंजन देवा

17 जून 2022
0
0
0

अबिगत नाथ निरंजन देवा। मैं का जांनूं तुम्हारी सेवा।। टेक।। बांधू न बंधन छांऊँ न छाया, तुमहीं सेऊँ निरंजन राया।।१।। चरन पताल सीस असमांना, सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।।२।। सिव सनिकादिक अंत न पाया, ख

98

पांवन जस माधो तोरा

17 जून 2022
0
0
0

।। राग टोड़ी।। पांवन जस माधो तोरा। तुम्ह दारन अध मोचन मोरा।। टेक।। कीरति तेरी पाप बिनासै, लोक बेद यूँ गावै। जो हम पाप करत नहीं भूधर, तौ तू कहा नसावै।।१।। जब लग अंग पंक नहीं परसै, तौ जल कहा पखालै।

99

आज नां द्यौस नां ल्यौ बलिहारा

17 जून 2022
0
0
0

।। राग गुंड।। आज नां द्यौस नां ल्यौ बलिहारा। मेरे ग्रिह आया राजा रांम जी का प्यारा।। टेक।। आंगण बठाड़ भवन भयौ पांवन, हरिजन बैठे हरि जस गावन।।१।। करूँ डंडौत चरन पखालूँ, तन मन धंन उन ऊपरि वारौं।।२।।

100

सब कछु करत न कहु कछु कैसैं

17 जून 2022
0
0
0

।। राग जैतश्री।। सब कछु करत न कहु कछु कैसैं। गुन बिधि बहुत रहत ससि जैसें।। टेक।। द्रपन गगन अनींल अलेप जस, गंध जलध प्रतिब्यंबं देखि तस।।१।। सब आरंभ अकांम अनेहा, विधि नषेध कीयौ अनकेहा।।२।। इहि पद क

101

जग मैं बेद बैद मांनी जें

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सारंग।। जग मैं बेद बैद मांनी जें। इनमैं और अंगद कछु औरे, कहौ कवन परिकीजै।। टेक।। भौ जल ब्याधि असाधिअ प्रबल अति, परम पंथ न गही जै। पढ़ैं गुनैं कछू समझि न परई, अनभै पद न लही जै।।१।। चखि बिहू

102

चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ

17 जून 2022
0
0
0

।। राग कानड़ा।।  चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ।। टेक।। गुरु की साटि ग्यांन का अखिर, बिसरै तौ सहज समाधि लगाऊँ।।१।। प्रेम की पाटी सुरति की लेखनी करिहूं, ररौ ममौ लिखि आंक दिखांऊँ।।२।। इहिं बिधि मुक्ति भये

103

माया मोहिला कान्ह

17 जून 2022
0
0
0

।। राग कानड़ा।। माया मोहिला कान्ह। मैं जन सेवग तोरा।। टेक।। संसार परपंच मैं ब्याकुल परंमांनंदा। त्राहि त्राहि अनाथ नाथ गोब्यंदा।।१।। रैदास बिनवैं कर जोरी। अबिगत नाथ कवन गति मोरी।।२।।

104

कहि मन रांम नांम संभारि

17 जून 2022
0
0
0

।। राग केदारौ।। कहि मन रांम नांम संभारि। माया कै भ्रमि कहा भूलौ, जांहिगौ कर झारि।। टेक।। देख धूँ इहाँ कौन तेरौ, सगा सुत नहीं नारि। तोरि तंग सब दूरि करि हैं, दैहिंगे तन जारि।।१।। प्रान गयैं कहु कौ

105

हरि को टाँडौ लादे जाइ रे

17 जून 2022
0
0
0

।। राग केदारौ।।  हरि को टाँडौ लादे जाइ रे। मैं बनिजारौ रांम कौ।। रांम नांम धंन पायौ, ताथैं सहजि करौं ब्यौपार रे।। टेक।। औघट घाट घनो घनां रे, न्रिगुण बैल हमार। रांम नांम हम लादियौ, ताथैं विष लाद्य

106

प्रीति सधारन आव

17 जून 2022
0
0
0

।। राग केदारा।।  प्रीति सधारन आव। तेज सरूपी सकल सिरोमनि, अकल निरंजन राव।। टेक।। पीव संगि प्रेम कबहूं नहीं पायौ, कारनि कौण बिसारी। चक को ध्यान दधिसुत कौं होत है, त्यूँ तुम्ह थैं मैं न्यारी।।१।। भो

107

दरसन दीजै राम दरसन दीजै

17 जून 2022
0
0
0

।। राग केदारा।।  दरसन दीजै राम दरसन दीजै। दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।। दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।१।। माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।२।। तन धन जोबन झू

108

सो कत जानै पीर पराई

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सूही।।  सो कत जानै पीर पराई। जाकै अंतरि दरदु न पाई।। टेक।। सह की सार सुहागनी जानै। तजि अभिमानु सुख रलीआ मानै। तनु मनु देइ न अंतरु राखै। अवरा देखि न सुनै अभाखै।।१।। दुखी दुहागनि दुइ पख हीनी

109

इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी

17 जून 2022
0
0
0

।। राग सूही।।  इहि तनु ऐसा जैसे घास की टाटी। जलि गइओ घासु रलि गइओ माटी।। टेक।। ऊँचे मंदर साल रसोई। एक घरी फुनी रहनु न होई।।१।। भाई बंध कुटंब सहेरा। ओइ भी लागे काढु सवेरा।।२।। घर की नारि उरहि तन ल

110

ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

17 जून 2022
0
0
0

ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै । गरीब निवाजु गुसाईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥ जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै । नीचउ ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥ नामदेव कबीरू तिलोचनु सधना सैनु तरै । कहि रविद

111

हरि हरि हरि न जपसि रसना

17 जून 2022
0
0
0

।। राग मारू।।  हरि हरि हरि न जपसि रसना। अवर सभ छाड़ि बचन रचना।। टेक।। सुध सागर सुरितरु चिंतामनि कामधैन बसि जाके रे। चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि करतल ताकै।।१।। नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अ

112

तू कांइ गरबहि बावली

17 जून 2022
0
0
0

।। राग बसंत।।  तू कांइ गरबहि बावली। जैसे भादउ खूंब राजु तू तिस ते खरी उतावली।। टेक।। तुझहि सुझंता कछू नाहि। पहिरावा देखे ऊभि जाहि। गरबवती का नाही ठाउ। तेरी गरदनि ऊपरि लवै काउ।।१।। जैसे कुरंक नहीं

113

हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास

17 जून 2022
0
0
0

।। राग मल्हार।। हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास पति तास समतुलि नहीं आन कोऊ। एक ही एक अनेक होइ बिसथरिओ आन रे आन भरपूरि सोऊ।। टेक।। जा कै भागवतु लेखी ऐ अवरु नहीं पेखीऐ तास की जाति आछोप छीपा। बिआस महि लेखी

114

मिलत पिआरों प्रान नाथु कवन भगति ते

17 जून 2022
0
0
0

।। राग मल्हार।। मिलत पिआरों प्रान नाथु कवन भगति ते। साध संगति पाइ परम गते।। टेक।। मैले कपरे कहा लउ धोवउ, आवैगी नीद कहा लगु सोवउ।।१।। जोई जोई जोरिओ सोई-सोई फाटिओ। झूठै बनजि उठि ही गई हाटिओ।।२।। क

115

ऐसे जानि जपो रे जीव

17 जून 2022
0
0
0

।। राग गौड़।।  ऐसे जानि जपो रे जीव। जपि ल्यो राम न भरमो जीव।। टेक।। गनिका थी किस करमा जोग, परपूरुष सो रमती भोग।।१।। निसि बासर दुस्करम कमाई, राम कहत बैकुंठ जाई।।२।। नामदेव कहिए जाति कै ओछ, जाको जस

116

अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी

17 जून 2022
0
0
0

अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी । प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी , जाकी अँग-अँग बास समानी । प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा , जैसे चितवत चंद चकोरा । प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती , जाकी जोति बरै दिन राती । प्रभ

117

जब रामनाम कहि गावैगा

17 जून 2022
0
0
0

जब रामनाम कहि गावैगा, तब भेद अभेद समावैगा ॥टेक॥ जे सुख ह्वैं या रसके परसे, सो सुखका कहि गावैगा ॥१॥ गुरु परसाद भई अनुभौ मति, बिस अमरित सम धावैगा ॥२॥ कह रैदास मेटि आपा-पर, तब वा ठौरहि पावैग

118

रामा हो जगजीवन मोरा

17 जून 2022
0
0
0

रामा हो जगजीवन मोरा। तूँ न बिसारि राम मैं जन तोरा॥टेक॥ संकट सोच पोच दिनराती। करम कठिन मोरि जाति कुजाती॥१॥ हरहु बिपति भावै करहु सो भाव। चरण न छाड़ौं जाव सो जाव॥२॥ कह रैदास कछु देहु अलंबन।

119

राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ

17 जून 2022
0
0
0

राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ । फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ॥टेक॥ थन तर दूध जो बछरू जुठारी । पुहुप भँवर जल मीन बिगारी ॥१॥ मलयागिर बेधियो भुअंगा । विष अमृत दोउ एक संगा ॥२॥ मन ही पूजा मन ही धूप । मन ह

120

यह अंदेस सोच जिय मेरे

17 जून 2022
0
0
0

यह अंदेस सोच जिय मेरे । निसिबासर गुन गाऊ~म तेरे ॥टेक॥ तुम चिंतित मेरी चिंतहु जाई । तुम चिंतामनि हौ एक नाई ॥१॥ भगत-हेत का का नहिं कीन्हा । हमरी बेर भए बलहीना ॥२॥ कह रैदास दास अपराधी । जेहि

121

आज दिवस लेऊँ बलिहारा

17 जून 2022
0
0
0

आज दिवस लेऊँ बलिहारा । मेरे घर आया रामका प्यारा ॥टेक॥ आँगन बँगला भवन भयो पावन । हरिजन बैठे हरिजस गावन ॥१॥ करूँ डंडवत चरन पखारूँ । तन-मन-धन उन उपरि वारूँ ॥२॥ कथा कहै अरु अरथ बिचारैं । आप त

122

कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे

17 जून 2022
0
0
0

कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे । घर घर देखों मैं अजब अभावनो रे ॥टेक॥ मैला मैला कपड़ा केता एक धोऊँ । आवै आवै नींदहि कहाँलों सोऊँ ॥१॥ ज्यों ज्यों जोड़ै त्यों त्यों फाटै । झूठै सबनि जरै उड़ि गये हा

---

किताब पढ़िए