shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अनबीता व्यतीत

कमलेश्वर

2 अध्याय
5 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
14 पाठक
28 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

देखिए मैं आपकी पत्नी जरूर हूँ लेकिन मैं एक औरत भी हूँ...जिस दुनियां में आप रहते हैं, वह भी सही है और जिस दुनियाँ में मैं रह सकती हूँ वह भी सही है...मेरा शरीर संतृप्त होता रहे और मेरा मन तृप्त होता रहे, यह मुझे आप के साथ बहुत दूर तक नहीं ले जा सकता...मैं जानती हूँ, पंछियों के कैमीकल से युक्त भूसा भरे शरीरों के करोड़ों रूपये के बिजनेस को छोड़ना या बन्द करना आपके लिए मुमकिन नहीं होगा...लेकिन मेरे लिए यह मुमकिन होगा कि मैं मुर्दो की इस दुनिया से बाहर चली जाऊँ।’’ (इसी उपन्यास से) 1947 के बाद सामन्ती युग का पतन, पर्यावरण, पक्षियों से प्रेम तथा सहज मानवीय कोमल सम्बन्धों की यह कहानी बरबस ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगी। ‘‘कुँवर जी, एक बात आप अच्छी तरह समझ लीजिए।’’  

anbita vyatit

0.0(0)

किताब पढ़िए