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श्री लाल शुक्ल की व्यंग्यात्मक रचनाएँ

पंडित श्री लाल शुक्ल

11 अध्याय
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28 पाठक
28 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

श्रीलाल शुक्ल को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से निवृत्त हुए। उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है और इसी के साथ हिंदी गद्य का एक गौरवशाली अध्याय आकार लेने लगता है। उनका पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' है। श्रीलाल शुक्ल का व्यक्तित्व अपनी मिसाल आप था। सहज लेकिन सतर्क, विनोदी लेकिन विद्वान, अनुशासनप्रिय लेकिन अराजक। श्रीलाल शुक्ल अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी भाषा के विद्वान थे। श्रीलाल शुक्ल संगीत के शास्त्रीय और सुगम दोनों पक्षों के रसिक-मर्मज्ञ थे। 'कथाक्रम' समारोह समिति के वह अध्यक्ष रहे। श्रीलाल शुक्ल जी ने गरीबी झेली, संघर्ष किया, मगर उसके विलाप से लेखन को नहीं भरा। उन्हें नई पीढ़ी भी सबसे ज़्यादा पढ़ती है।  

shri lal shukl ki vyangyatmak rachnaen

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पुस्तक के भाग

1

उमरावनगर में कुछ दिन

26 जुलाई 2022
17
1
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बकरी, मुर्गी, और फटी कमीजें बस में जहाँ मैं बैठा था, वहाँ बकरी न थी; मेरे पास बैठे आदमी की गोद में सिर्फ मुर्गी थी। बकरियाँ पीछे थी। उस भीड़‌-‌‌भक्कड़ में अगर कहीं कोई बकरी का बच्चा आदमी की गोद में थ

2

संस्कृत‌‌‌-पाठशाला में प्रसाद

26 जुलाई 2022
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पंडितपुर की संस्कृत‌‌‌-पाठशाला का प्रसंग है। पंडित प्रेमनाथ शास्त्री भाषा और संस्कृत के विद्वान हैं। वे दकियानूस नहीं हैं। इसलिए भारवि और माघ के साथ-ही-साथ कभी-कभी प्रसाद और निराला का भी नाम ले लेते ह

3

सकल बन ढूँढ़ूँ : एक सांगीतक

26 जुलाई 2022
2
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बाबा अंबिकानंदनशरण ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए गदगद कंठ से कहा, 'धन्य है! धन्य है प्रभु, आपने ऐसा संगीत सुनाया है कि धन्य है! धन्य है!' इसके पहले नगर की प्रसिद्ध गायिका सुरमादेवी ने लगभग घंटे-भर त

4

पुराना पेंटर और नई कलम

26 जुलाई 2022
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प्रोफेसर पन्नालाल निशात थिएट्रिकल कंपनी के प्रसिद्ध चित्रकार रह चुके हैं। उनके रंगे हुए पर्दों की रंगीनी देखने के लिए किसी जमाने में लोग बंबई से कलकत्ता जाते थे और यदि कंपनी बंबई में हुई तो कलकत्ता से

5

प्रभात-समीरण उर्फ सुबह की हवाएँ

26 जुलाई 2022
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(एक ऐसी प्रेम-कथा, जो कई फिल्मों के आधार पर बनी है और जिसके आधार पर कई फिल्में बनी हैं। उसमें दो फिल्मों का परिचय इस प्रकार दिया जा सकता है:) 'एक महान देश के अतीत की महान सांस्कृतिक विभूतियों को चित्

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दो आदमी पुराने

26 जुलाई 2022
6
1
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कुछ दिन हुए, रामानंदजी और राकेशजी अपने-अपने पेशे से रिटायर हो कर सिविल लाइन्स में बस गए थे। अपने यहाँ का चलन है कि रिटायर होने के बाद और इस लोक से ट्रांसफर होने के पहले बहुत से लोग सिविल लांइस में बँग

7

साहब का बाबा

26 जुलाई 2022
1
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चपरासी ने अदब से परदा उठा कर गोल कमरे में मेरा प्रवेश करा दिया। मैं सोफे पर बैठ गया तो उस कमरे में पहुँचाने के एहसान का बदला पाने की गरज से बड़ी मित्रता-सी दिखाते हुए उसने पूछा, 'बिजली के छोटे इंजीनिय

8

कलिदास का संक्षिप्त इतिहास

26 जुलाई 2022
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 लोक - कथाओं के आधार पर कालिदास का जन्म एक गड़रिए के घर में हुआ था। उनके पिता मूर्ख थे। उपन्यासकार नागार्जुन ने जिस वीरता से अपने पिता के विषय में ऐसा ही तथ्य स्वीकार किया है, वह वीरता कालिदास में न थ

9

अंगद का पाँव

26 जुलाई 2022
2
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1

>वैसे तो मुझे स्टेशन जा कर लोगों को विदा देने का चलन नापसंद है, पर इस बार मुझे स्टेशन जाना पड़ा और मित्रों को विदा देनी पड़ी। इसके कई कारण थे। पहला तो यही कि वे मित्र थे। और, मित्रों के सामने सिद्धांत

10

कुंती देवी का झोला

26 जुलाई 2022
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वसंत का प्रभात था। कहने की जरूरत नहीं कि सुहावना था। कविता की परंपरा में वह इसके अलावा और क्या-क्या था, यह कहने की तो बिल्कुल जरूरत नहीं। जो कहना है वह यह कि ऐसे ही प्रभात में कुंती देवी के साथ के पाँ

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गँजहों के गाँव का लोकतंत्र

26 जुलाई 2022
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तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गाँव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता। शिवपालगंज में एक गाँव-सभा थी और गाँववाले उसे गाँव-सभा ही बनाए रखना चाहते थे ताकि उन्हें टाउन एरियावाल

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