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प्रथम प्रयास

डॉ. निशा नंंदिनी भारतीय

111 अध्याय
20 लोगों ने खरीदा
20 पाठक
24 अगस्त 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-94582-06-4
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

"प्रथम प्रयास" असम प्रांत की अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की बहनों का "प्रथम साझा काव्य संकलन" है। इस संकलन की रचनाओं में सभी बहनों ने अपने हृदय-उद्गार उड़ेल कर रख दिए हैं।नारी सृष्टि का एक अनमोल उपहार है। समाज का एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है। समाज की धुरी है।सभ्य एवं सशक्त समाज के निर्माण का महत्वपूर्ण आधार है।नारी प्रकृति के कण-कण का सूक्ष्मविश्लेषण करने की क्षमता रखती है। नारी अपनी कलम को सत्य की स्याही में डुबोकर पन्नों पर बिखेर देती है। नारी सिर्फ दृष्टा नहीं होती वह भोक्ता होती है इसलिए उसके लिखे एक-एक अक्षर से उसकी आत्मा दृष्टिगोचर होती है।नारी प्रकृति के कण-कण में रसानुभूति करती है। समय के महत्व को समझकर बीजारोपण की कोशिश करती है। छोटे से माटी के दीपक से प्रेरणा लेकर पग-पग पर समझौते करती हुई आगे बढ़ती है इसलिए नारी लेखन हर किसी के हृदय में उतर जाता है। पिछले कुछ दशक में हिंदी साहित्य में नारी लेखन का व्यापक प्रस्फुटन एक अनूठी और ऐतिहासिक घटना है। जहां एक तरफ नारी लेखन एक सामाजिक सच्चाई और अस्मिता के संघर्ष की चुनौती के रूप में सामने आता है तो वहीं दूसरी तरफ नारी अस्तित्व को फिर से केंद्र में लाने और उसकी मानवीय गरिमा को प्रतिष्ठित करने का अभियान है।  

pratham prayas

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अति सुन्दर संकलन। उभरती हुई कवियित्रियों के उद्गार को प्रकाशित करने का प्रथम प्रयास बहुत ही सराहनीय है।


“प्रथम प्रयास “काव्य संकलन असम प्रांत के नवांकुरों द्वारा लिखित रचनाओं का संग्रह है । सभी रचनाकारों ने अपने उद्गारों को सरल शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है । असम प्रांत की साहित्य प्रमुख आ. निशा नंदिनी जी के अथक् प्रयास से इस संकलन का प्रकाशन संभव हो पाया है। आशा है भविष्य में हमें और भी ऐसे अवसर मिलते रहेंगे ।


Bahot sunder prayas.... Uvartai huai rachnakaro k liyai sunhaira munch


"प्रथम प्रयास" अति सुंदर संकलन। नवांकुरों द्वारा लिखित रचनाओं का संग्रह है। डॉ निशा नंदिनी जी भारतीय के अथक प्रयास से इस संकलन का प्रकाशन संभव हो पाया है। हमें आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहे।

पुस्तक के भाग

1

संपादकीय

5 अगस्त 2022
6
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1

"प्रथम प्रयास" असम प्रांत की अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की बहनों का "प्रथम साझा काव्य संकलन" है। इस संकलन की रचनाओं में सभी बहनों ने अपने हृदय-उद्गार उड़ेल कर रख दिए हैं। नारी सृष्टि का एक अनम

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परिचय : पूनम अग्रवाल

5 अगस्त 2022
4
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पूनम अग्रवाल,  गोलाघाट, असम मोबाइल नंबर 9864907303 मैं पूनम अग्रवाल I मेरा जन्म डिब्रूगढ़ असम में हुआ, वही मैंने "पीस कॉटेज स्कूल "और बाद में "एम डी के जी कानोई गर्ल्स कॉलेज "से पढ़ाई की I  सन 200

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1- नारी नहीं तो कुछ नहीं (पूनम अग्रवाल )

5 अगस्त 2022
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नारी नहीं तो कुछ नहीं बिन नारी जग सूना सुना होगा यह संसार अधूरा होगा हर परिवार। ना होगी कोई संतान सोचो बिन नारी कैसे होगा इस सृष्टि का कल्याण। घर कैसे मंदिर बन पाएगा सोचो कौन ईश्वर के  आगे द

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2- देश प्रेम (पूनम अग्रवाल )

5 अगस्त 2022
2
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0

धन्य भाग हमारे जो हम  इस धरती मां की संतान है।  जन्मे जहां गांधी,सुभाष , तिलक, लक्ष्मीबाई जैसे स्वतंत्र सेनानी  जिन पर हमें अभिमान है।  अपने रक्त और सांसों को  किया था कुर्बान ताकि धरती माता

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3- हमारी मातृभाषा हिंदी (पूनम अग्रवाल )

5 अगस्त 2022
2
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हमारी मातृभाषा हिंदी जन-जन की पहचान हिंदी  पूरे देश को एक सूत्र में बांधे  वह डोर हिंदी। हमारी संस्कृति  हमारी आत्मा की आवाज हिंदी हमारी वेदना हमारा  आचरण हिंदी  जैसे तिरंगा हमको प्यारा वैस

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4- मेरी सखियां बड़ी निराली (पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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2
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मेरी सखियां बड़ी निराली  मौज मस्ती की धुन में रहती  जिंदादिली से जीवन जीती हंसी ठिठोली से  एक दूजे को मोह लेती।  मेरी सखियां जैसे उपवन में रंग  बिरंगी तितलियां  छम-छम करती नाचती नचाती गुनगुन

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5- मत कर अनादर अन्न का (पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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मत कर अनादर अन्न का मत बना जूठन का हिस्सा देख कैसे एक भूखा  खाली पेट सो रहा है।  देख कैसे एक मासूम  एक मुट्ठी अन्न के अभाव में  जार जार रो रहा है।  क्यों जाया कर देते हो  यूंही एक अनाज से

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6- मेरा रसोई मेरी पहचान (पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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3
1

मेरा रसोई मेरी पहचान बनाती हूं यहां में अनगिनत पकवान बस्ती है रसोई मे मेरी जान स्वादिष्ट भोजन से  रसोई बढ़ाती है मेरी शान मेरा रसोई मेरी पहचान। भावनाओं का भंडार है रसोई  एक ग्रहणी का प्यार है

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7- हे मानव (पूनम अग्रवाल )

5 अगस्त 2022
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0

हे मानव तू क्यों चिंताओं से है घिरा क्यों तू उदास बैठा तोड़ दे इस मोह माया के  जाल को भर दे अपने जीवन में  सकारात्मक ऊर्जा। कर ले तू प्रेम खुद से इस धरा से इन वादियों से देख ऊंचे नीले गगन क

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8- पेड़ लगाओ ( पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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2
0

पेड़ लगाओ  पेड़ लगाओ इस धरा को  सुंदर और समृद्ध बनाओ। क्यों ना हम सब हर रोज  पर्यावरण दिवस मनाएं। जब भी मौका मिले  पेड़ पौधे लगाएं साथ ही इनका पालन पोषण करें, उचित देखभाल और जल से सीचें, इस

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9- दर्पण ( पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
2
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मैं हूं दर्पण सच्चाई को अर्पण मैं नन्ही सी गुड़िया थी दर्पण के आगे बैठाकर मां मेरी चोटी बनाती। मैं बड़ी हुई,  खुद ही दर्पण के आगे  अपने केस सवारने लगी अपनी सुंदरता के घमंड में दर्पण को ही का

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10- राम रस प्याला ( पूनम अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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हे मानव! तू पी ले  राम रस प्याला राम नाम सुमिरन करले जग कल्याण होए मन में प्रेम दीप जग जाए, त्याग से भय ना होए I आंसू भी अमृत बन जावे  रोग कष्ट लुप्त हो जावे I राम नाम ही जीवन का आधार राम न

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परिचय: सरला बजाज

5 अगस्त 2022
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  सरला  बजाज ,गोलाघाट आसाम मोबाइल नंबर 7002215601 मेरा जन्म राजस्थान में हुआ, मैंने 1982 में  हायर  सेकेंडरी पास की, 1983 में मेरी  शादी गोलाघाट निवासी देवकिशन बजाज के साथ हुई, मुझे साहित्य में रु

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1- दीपक का सफ़र ( सरला बजाज)

5 अगस्त 2022
1
1
1

मैं एक माटी का दीपक  मेरा सफर बताता हूं।  अंधेरे में राह दिखा कर जीने की राह सिखाता हूं।  मेरी जननी मिट्टी है मैं मां की गोद में सोया था सहन कर कुदाल प्रहार फिर गधे पीठ पर ढोया था।  कुंभका

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2- खुशी और गम (सरला बजाज)

5 अगस्त 2022
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खुशी और गम  दोनों है जिंदगी के दस्तूर  हर इंसान के जीवन में   दोनों आते हैं जरूर। कभी तो हम मिलते हैं  ऐसे हो जाते हैं  खुशियों से भरपूर  कभी ऐसा ही होता है  वह हो जाता है गमों से चूर। मग

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3- बेटी का जन्म ( सरला बजाज)

5 अगस्त 2022
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मेरी जिंदगी का  अहम दिन है आज नन्ही गुड़िया मेरी गोद में  आई थी आज। नाजुक सी परी मेरे घर आई थी रोशनी बन के आसमां पे छाई थी।  खुशबू से महकता हमारा घर द्वार  तुम्हारे होने से ही पूरा हुआ  हमार

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4- मजदूर को नमन ( सरला बजाज)

5 अगस्त 2022
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मैं नमन करती हूं तुझे हे मजदूर। चंद पैसों में ही  हर रोज बिकता है महल बना कर भी  ज़मीं पर सोता है।  मैं समझ गई हूं तूं है कितना मजबूर मैं नमन करती हूं तुझे हे मजदूर। मिटा हाथों की लकीर

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5- अक्षय तृतीया ( सरला बजाज)

5 अगस्त 2022
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पावन पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अक्षय तृतीया। इसी दिन  महाभारत का युद्ध समापन  वेदव्यास द्वारा ग्रंथ लेखन  मां गंगा का धरा आगमन बद्रीनाथ के होते दर्शन  कहते कृतयुगादि तृतीया। विवाह

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6- हे सैनिक भाई तुझे नमन (सरला बजाज)

10 अगस्त 2022
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मेरे देश के सुरक्षा प्रहरीयों आपकी बदौलत हमारे त्योहार सरहद पर खड़े मेरे सैनिक भाई सौ सौ जन्म तुम पर न्योछावर कर जौड़ करते नमन, हे सैनिक भाई तुझे नमन। अक्षत रोली का टीका लगाकर कलाई में राखी स

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परिचय : अनु शर्मा

5 अगस्त 2022
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परिचय : अनु शर्मा मोबाइल न : ७००२८६३०९२ गृहणी रुचि:  बागवानी,लेखन,कुकिंग, समाज – सेवा अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन महिला काब्य मंच शिवसागर शाखा  असम आत्मविश्वास

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1- आत्मविश्वास ( अनु शर्मा)

5 अगस्त 2022
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हम वो परिंदे नहीं जो उड़ना छोड़ देंगे ये आसमां छिन गया तो क्या हुआ नया ढूंढ लेंगे।  ये पारावर छुट गया तो क्या हुआ नया सागर ढूंढ लेंगे  हम वो कश्तियां नहीं जो तैरना छोड़ देंगे।  कदम चलते रहेंगे

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2- नारी शक्ति (अनु शर्मा)

5 अगस्त 2022
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मैं नारी हूं ! मैं नारी हूं ! मैं मेरे देश की शक्ति और भक्ति हूं।                  मेरा हर एक रूप बड़ा है कभी मां दुर्गा तो कभी मैं काली हूं।                  मेरी अपनी सोच अलग है कभी मैं सरल हूँ

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3- एहसास ( अनु शर्मा)

5 अगस्त 2022
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अनकहे लफ्जों के एहसास,  दबे लबों के एहसास  किसी के छुने में एहसास   किसी के दिल के कोने में  दबे हुए एहसास। अगर पढ़ सको तो नजरों में एहसास सुनो तो अधरो में एहसास। एहसास है तो आंखों में बहते

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4- गुलमोहर (अनु शर्मा)

5 अगस्त 2022
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जब इस बार तुम आना तो गुलमोहर लाना मख़मली सुर्ख़ लाल होटों सा फिर मुझको मनाना। मालूम है मेरी पसंद है पीले गुलाब पर इस बार तुम्हारी पसंद  आजमाना गुलमोहर लाना। कागज़ के पन्नो पे लिख छोड़े है  कुछ

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5- ये मलाल नहीं मिटता (अनु शर्मा)

10 अगस्त 2022
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ये मलाल नहीं मिटता, क्यों वो ख्याल नहीं मिटता मिट जाते है गुलों-गुलज़ार, फिर क्यों तुम पे ऐतबार नहीं मिटता  हर  सोच में शामिल है  वो इस कदर ज़ालिम,  होश तो मिट जाता है मगर खुमार नहीं मिटता  वो श

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6- रक्षा-बंधन (अनु शर्मा)

10 अगस्त 2022
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अगस्त का महिना सावन की रिमझिम बारिश की फुहार भाई बहन का सुनहरा मौका और खुशीयों का लम्हा  भाई की उम्मीद बहन का प्यार मुबारक हो सभी को ये रक्षा बंधन का त्योहार खुबसूरत और अनमोल जन्म-जन्म का पवित्र सच

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परिचय : मंजु बंसल “मुक्ता मधुश्री “

5 अगस्त 2022
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परिचय — मैं मंजु बंसल “मुक्ता मधुश्री “ जोरहाट असम से हूँ । मेरी जन्म स्थली कलकत्ता है व विवाहोपरांत जोरहाट वास स्थान बना व मैंने हिंदी प्रतिष्ठा में स्नातक कलकत्ता विश्वविद्यालय से ही किया है ।मैं

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1- स्वतंत्रता (मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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सहस्त्रों वर्षों की ग़ुलामी से स्वतंत्रता हमने पाई है दासता की बेड़ियों से मुक्त हो भारत माता मुस्काई है, जान पर अपनी खेलकर हमें आज़ादी दिलवाई है शहीद हो गये उन वीरों की स्मृति आज आई है । हो ग

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2- नारी की महिमा (मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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नारी ही सृष्टिकर्ता जगत का आधार है नारी से ही संचालित  ये सारा संसार है, धरा की सहनशीलता का  है वो आगार बलिदान, त्याग की मूर्ति  वात्सल्य की है भरमार । फ़लक से अवतरित धरा पर अनुपम स्वरूपधार

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3- प्रदूषित पर्यावरण ( मंजु बंसल )

5 अगस्त 2022
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2
1

पर्यावरण प्रदूषित हो रहा वातावरण कलुषित हो रहा।  प्यासी धरती बंजर बन रही प्रचंड सूर्य आतप दे रहा।  दरख्त भी काटे जा रहे खगों का बसेरा छीन रहा।  जीवन का आधार खो रहा  व्याकुल हर कोई हो रहा । नदि

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4- रामराज्य की कल्पना ( मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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रामराज्य की कल्पना  कर रहे हम सदियों से अथाह समंदर में मोती  ढूँढ रहे हम सदियों से, नफ़रत की दीवारें  बन रहे अभेद्य क़िले बढ़ते जा रहे हम  अन्तस् की संकुचित गलियों में।  मानवता व सदाचार अब 

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5- नशा ( मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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पश्चिमी सभ्यता का रंग  युवा पीढ़ी पर इस कदर चढ़ा  निज संस्कृति को विस्मृत कर जीवन नशे की भेंट चढ़ा। नशे से इन्होंने कर ली यारी  भूल गये सब दुनियादारी तन-मन-धन की परवाह नहीं  नशे में सिमटी दुनि

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6- मृगतृष्णा ( मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
1
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मानव- मन ताउम्र भागता मिथ्या मृगतृष्णा के पीछे अनजानी डगर अनजानी राहों पर अन्तस् की सुरम्य वादियों में प्रस्फुटित होते अनेकों पुष्प  मूर्तरूप में जो साकार हो नहीं पाते।  लालसाओं का न कोई आदि

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7- आधुनिक नारी (मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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फ़लक से उतरी सृष्टि सजाई विश्व की ये बगिया महकाई देवों की हूँ प्रथम मैं वाणी युग निर्मात्री मैं कहलाई । अबला नहीं सबला हूँ मैं अवचेतन नहीं चेतन हूँ मैं जगजननी कहलाती सबकी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस

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8- शिव स्तुति ( मंजु बंसल)

5 अगस्त 2022
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0

हे शिवशंकर औघड़दानी तुझको पूजे दुनिया सारी त्रिपुरारी,मृगछालाधारी महिमा है तुम्हारी अति भारी आशुतोष हो कैलाश वासी भक्तों के लिये संकट नाशी त्रिशूलधारी हे काशीवासी त्रिनेत्रधारी घट घट वासी ।

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परिचय : सुमन शर्मा

5 अगस्त 2022
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परिचय   सुमन शर्मा शिवसागर (असम) मोबाइल न. : ९४३५५१६५६४ गृहणी कला स्नातक रुचि - पठन, लेखन, बागवानी ,संगीत सुनना, समाज सेवा, कुछ रचनाएं समाचार पत्रों में प्रकाशित अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला  सम्

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1-पुस्तक ( सुमन शर्मा)

5 अगस्त 2022
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यादों को संजोए रखती है, पंक्तियों में सिमटाये रखती है। भूल न जाए हम उपदेश कहीं, इसलिए शब्दों को संभाल कर रखती है । संस्कारों से परिचय इतिहास का बखान खुद में समाए हुए है जानकारियों के भंडार, ज्ञ

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2- बदली नारी की परिभाषा ( सुमन शर्मा)

5 अगस्त 2022
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बदला ज़माना बदला स्वरूप बदली नारी की परिभाषा, अबला का दामन छूटा  पूरी हुई मन की अभिलाषा। वजूद अपना जब पहचाना आत्मविश्वास तोहफ़े में पाया, उठी संभली और ना रुकने का अलख अपने मन में जगाया कदमों तल

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3- नेत्रदान महादान ( सुमन शर्मा)

5 अगस्त 2022
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0

उसने पूछा जब  सुना है ! सुबह हो गई...  सुबह का स्वरूप क्या है? पंछी चहचहा रहे हैं...  पंछियों का आकार क्या है? कैसे समझाऊँ उसे कि  ये संसार कितना मनोहर है, रंगों से सराबोर ये चमन  कितना मनभा

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4- धरती का श्रृंगार पर्यावरण ( सुमन शर्मा)

5 अगस्त 2022
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2
1

स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ पर्यावरण धरती का श्रृंगार है ये आवरण इस आवरण के आंचल तले  फलते पेड़ पौधे अनंत, गोद में इसकी विचरते अनेकों जीवन और मरण। नदी तालाब झील और झरने, शीतलता के ये अनमोल गहने। फू

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5- अधबुने फंदे ( सुमन शर्मा)

5 अगस्त 2022
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बुने थे कुछ सपने और चुनी थी कुछ राहें, फंदे अभी पूरे से पड़े भी ना थे, मंज़िल का तस्सवुर भी हुआ ना था। ना जाने कहां से कहर बरपाता एक झोंका आया, आगोश में जिसके सब कुछ समाया। अधबुने फंदे जैसे स

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परिचय : निशा काबरा, देरगांव

5 अगस्त 2022
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निशा काबरा, देरगांव मेरा जन्म असम के जोरहाट जिले में हुआ।जोरहाट में पली बढ़ी।मेरी शिक्षा भी जोरहाट में ही संपन्न हुई। मैंने सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमबीए डिग्री ली।बचपन से ही मुझे लिखने का शौ

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1-धन्य है हमारा देश ( निशा काबरा)

5 अगस्त 2022
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धन्य हैं हमारे वीर धीर और बड़े गंभीर  दुश्मनों को मारने के लिए हैं वे बड़े अधीर धन्य हैं हमारे वीर। धन्य हैं हमारा भारत युद्ध हुआ यहां महाभारत करते हैं पड़ोसी देश हमें बार बार आहत उन दुश्मन

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2- हिंदी हैं हम ( निशा काबरा )

5 अगस्त 2022
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हिंदी को नई पहचान दिलाई  मोदी जी ने हिंदी को ऊंचा मुकाम दिलाया मोदी जी ने हिंदी को जन जन तक पहुंचाया मोदी जी ने विश्व में हिंदी का झंडा फहराया  मोदी जी ने। भारतवासियों को हिंदी का  महत्व सम

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3- नारी सृष्टि की रचियता ( निशा काबरा )

5 अगस्त 2022
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0

नारी का ना करो अपमान नारी का करो सम्मान नारी का तुम रखो ध्यान नारी से जग की पहचान। नारी की सहनशक्ति अपार नारी कभी ना माने हार नारी गुणों का हैं भंडार नारी दुर्गा,काली का अवतार नारी शक्ति की

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4- बच्चों का जीवन (निशा काबरा )

5 अगस्त 2022
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बच्चों के जीवन को बोझ ना बनाओ बच्चों को खुलकर हंसना सिखाओ बच्चों का जीवन ना मुरझाओ बच्चों पर कंपीटिशन का प्रेशर ना बनाओ। कक्षा में प्रथम, आर्ट में प्रथम, डांस में प्रथम,स्पोर्ट्स में प्रथम, हर

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5- मां ( निशा काबरा)

5 अगस्त 2022
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मां तो मां होती है मां सपनों की परी होती है। मां जादू की छड़ी होती है मां आंखों की नमी होती है।            मां तो मां होती हैं मां बच्चे को जन्म देती हैं। मां बच्चें का पालन पोषण  करती है मां

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6- आतंकवादी और आम इंसान ( निशा काबरा)

12 अगस्त 2022
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आतंकवादी के लिए बम फोड़ना आसान है मगर आम इंसान के लिए बम के गम को भुलाना आसान नहीं। आतंकवादी के लिए घरों को उजाड़ना आसान है मगर आम इंसान के लिए टूटे हुए घरों को जोड़ना आसान नहीं। आतंकवादी के ल

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7- गौ सेवा ( निशा काबरा)

5 अगस्त 2022
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गौ सेवा हैं पुण्य महान गौ सेवा को उत्तम जान गौ सेवा भारत की शान गौ सेवा से सृष्टि जहान। गौ सेवा मातृभूमि की पुकार गौ माता का ना कर अपकार गौ माता सृष्टि का आधार गौ सेवा से रखे सरोकार। गौ मा

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परिचय : सुधा केजड़ीवाल

5 अगस्त 2022
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मैं सुधा केजड़ीवाल तिनसुकिया से हूँ।  मेरा जन्म स्थान नवगाँव है।  मैंने अपनी शिक्षा नवंगाव से पूरी की है। मेरी शादी तिनसुकिया के एक संयुक्त परिवार में हुई है। मेरे पति एक बिजनेस मैन है। मेरे दो

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1- माँ ( सुधा केजड़ीवाल)

5 अगस्त 2022
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माँ शब्द है कितना प्यारा इसलिए दुनिया से न्यारा माँ आप कितनी महान बताता ये सारा जहान। नौ महीने हमें कोख में पालती तिलतिल कर के मरती परिवार के जुल्म सहती फिर भी हर पल मुस्कराती। काम कर कर क

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2- लेखनी ( सुधा केजड़ीवाल)

5 अगस्त 2022
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लेखनी मेरी तू चलती रह  चलती रह कहीं भी नहीं रुक  कहीं भी नहीं रुक। लेखनी तू समय से कुछ सीख उसके जैसे तू भी नहीं रुक  नहीं रुक। तुम हो रचनाओं की शक्ति चाहिए सफलता करनी पड़ेगी तुम्हारी भक्ति

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3- नारी शक्ति राष्ट्र शक्ति ( सुधा केजड़ीवाल )

5 अगस्त 2022
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नारी से नर उपजे  नारी बड़ी महान मत करो इसका अपमान नारी है गुणों की खान। देश की महान नारियां कनकलता सती जयमती  झाँसी की रानी पग-पग पर याद आती है इनकी महान कुरबानी । मत समझो नारी को कमजोर

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4- ईर्ष्या ( सुधा केजड़ीवाल )

5 अगस्त 2022
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ईर्ष्या शब्द ही बड़ा खराब यह करता सब कुछ बर्बाद इसे रखने वाला इंसान कभी नहीं होता आबाद। ईर्ष्यालु इंसान यह नहीं जानता लेकर मैं क्या करूंगा इतना रह जायेगा सब यही पर बटोरूंगा मैं भी कितना ।

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5- साँझा चूल्हा ( सुधा केजड़ीवाल )

5 अगस्त 2022
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एक वक्त था जब परिवार में  होता साँझा चूल्हा न कोई साझेदारी न कोई बैर बस प्यार ही प्यार। एक ही चूल्हे पर बनता सारे परिवार का खाना घर के घी की भीनी-भीनी सुगंध वाली रोटी जिस में बसता माँ,बड़ी म

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परिचय : कविता अग्रवाला

5 अगस्त 2022
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मैं कविता अग्रवाला , एक संयुक्त परिवार में रहती हूँ। मेरा विवाह श्री सुशीलजी अग्रवाला से सं 1997 में हुआ था । हमारे 22 साल का होनहार पुत्र है , जिसका नाम राघव है। मेरे पिताजी का नाम स्वर्गीय प्रह्ला

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1- क्या है मेरी पहचान ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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खुद की एक पहचान चाहिए खोया हुआ वजूद चाहिए क्यूँ इस दुनिया में आई हूँ मैं क्या मेरा कोई है अस्तित्व? उमर बीत गयी चलते चलते, अच्छा कभी कुछ कर ना पायी  कुछ तो ऐसा करना चाहूँ, सब के मन को मैं भा

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2- मेरी माँ ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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शब्द नहीं कुछ कहने को फिर भी कलम उठाई है, मुझमें यह सामर्थ्य कहाँ की तेरा कुछ बखान करूँ। शक्त्ति अनोखी तूने पायी महिमा तेरी वर्णी न जाई, संभाला है व्यापार तुम्हीं ने संभाला है परिवार तुम्हीं

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3- भगवान तू कहाँ ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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ढूँढोगे तुम कहाँ कहाँ फिरते गिरते यहाँ वहाँ। अंतर्मन में झाँक तू प्यारे धरती के उजियारे तारे, पाओगे मुझे हर कण कण में सुख दुख के जीवन दर्पण में। आसमान के बादल में  सूरज चंदा तारों में, सन

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4- कबूतर ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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रोज सवेरे जब मैं उठती पहले इनको दाना देती।  शांति दूत उड़-उड़ कर आते चुग-चुग कर दाना खाते।  नहीं ईर्ष्या एक दूजे से  अपने-अपने हक़ का खाते। कितने सुंदर कितने प्यारे मासूम से जीव ये सारे। कुछ

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5- बादल ( कविता अग्रवाला )

5 अगस्त 2022
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बादल टहले मस्त मगन हो नील गगन के अम्बर पर , अलग अलग आकार लिए  एक दूजे संग चलते सब। कोई सफेद कबूतर दिखता  कोई कभी फिर शेर बन जाता, शेर कबूतर एक संग रहते नील गगन के साये में। उड़ते घोड़े देखे

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6- हमारी प्रकृति ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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प्रकृति न जाने ऊँच नीच कुछ उसके लिए बराबर सब कुछ। वर्षा सब पे बराबर बरसे बच्चे, बूढ़े या अमीर गरीब पे, गंदी नाली ,या गंगा का पानी कभी किसी में फर्क न जानी। निर्मल जल सब पे बरसाती , धरती में फि

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7- नन्ही पत्ती ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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आज जब एक फूल  अपनी बगिया से तोड़कर  करने चली मैं प्रभु को अर्पण। उस फूल के साथ एक  नन्ही पत्ती भी  खुद का करना चाहती  थी समर्पण। पर जाने अनजाने न जाने कैसे उस पत्ती को फूल से  अलग कर दिया म

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8- मिले सुर मेरा तुम्हारा ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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प्यार के रंग अपनों के संग, झूमें ,नाचे, गाएँ एक दूजे संग हम। आओ छेड़ें कोई तराने गीतों के हम नए पुराने, खुशियों की इन लहरों में चलो खो जाए हम। प्यार के बहते  सागर हो लहरों संग किनारा हो,

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9 - एक शाम सुहानी ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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एक शाम सुहानी संग अपने लायी, ठंडी ठंडी पुरवाई जो मन को बहुत ही भाई। वो हल्का सा स्पर्श  वो मीठी सी महक, जैसे दे रही हो संदेश एक। वो चिड़ियों की चहक वो फूलों की महक, वो तितली की उड़ान वो बच

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10- किस्सा चाबी का ( कविता अग्रवाला)

22 अगस्त 2022
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आज मेरी चाबी कहीं गुम गयी  न जाने कहां खो गयी ? ढूंढा बहुत मैंने उसको  पर मिली नहीं वो कहीं भी मुझको। गद्दे के नीचे अलमारी के पीछे मेज के ऊपर और तकिये के नीचे रसोई के अंदर चूल्हे के बगल में प

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11- मैं और मेरे मफलर टोपी ( कविता अग्रवाला)

5 अगस्त 2022
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आज अचानक टोपी और मफलर  करने लगे बातें मुझसे यू आकर, ठंडी हवा का एक झोंका आया पास में उन दोनों को पाया । महीनों से हम बंधे पड़े थे  बंध गठरी में अकड़े हुए थे  खुली हवा महसूस करेंगे  जल्दी से ले

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परिचय : पिंकी बजाज (अग्रवाल)

5 अगस्त 2022
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पिंकी बजाज (अग्रवाल),सरुपथार, असम मोबाइल -  8638700464    9706535455 असम के जोरहाट जिले के छोटे से गाँव तिताबर में जन्म। तिताबर में ही प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर,वहीं पर ही एन. एन. सइकिया कॉलेज

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1.हमारें गुरुजन ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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जिनमें बसते स्वयं परमेश्वर, वे होते हैं  हमारें गुरुजन।        जीवन पथ पर चलना सिखातें जीवन जीने  की कला बताते अथाह सागर रूपी संसार में अस्तित्व हमें दिलाते।         ईश्वर ने मानव तन गढ़ा मन को

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2- माँ तुम्हारी उपमा नहीं ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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मुझसे कहा गया माँ पर कविता लिखो सोचकर कुछ देर बैठी लिखने कलम उठा जोड़ने लगी आखर शुरू हुई अब शब्दों से जद्दोजहद।        सागर, पवन, गगन पर्वत ऐसे ही कई अनगिनत शब्द  निकले शब्द कोश के पीटारे से

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3- मैं धरती हूँ ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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मैं धरती हूँ,सुंदर सुशांत  शस्य-श्यामला,स्वर्ण शरीरा, मृदु भाषी और पूर्ण यौवना, देख मुझे है अम्बर का भी जी ललचाता। मेरे आँचल में लहराए, खेले डोले ये गेहूँ की बाली, जिनकी स्वर्णिम आभा से,  मैं

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4- यह नारी जीवन ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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यह नारी जीवन कभी बंजर, कभी निर्जन कभी खिला उपवन यह नारी जीवन। नींदों मे जगना जगते हुए सोना रो कर हँसना, हँसकर रोना यही नारी जीवन । गिरकर उठना उठकर चलना जिम्मेदारियों का बोझ उठाना यही ना

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5- नशे को मार गिराना है ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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देखो,मेरे देश के नौजवानों को  यह क्या हो गया हैं  खुद डूब रहें नशे मे और  डूबो रहे अपनो को हैं,  देखो,मेरे देश नौजवानों यह क्या हो गया है।  छा रहा मातम घरों में ममता रो रही है, विधवा हो रही ह

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6- देश के वीर सिपाही ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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देश के वीर सिपाही  तुम्हें नमन है, तुम्हें नमन है। बहनों के वीर भाई  तुम्हें नमन है, तुम्हें नमन है। देश की सुरक्षा के खातिर सरहद पर तुम डटें रहते तुम्हीं से सुरक्षित हम बहनें हैं तुम्हीं से

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7.आज मेरी लेखनी में ( पिंकी बजाज)

22 अगस्त 2022
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बरसों बीत गए, बचपन को पीछे छोडे़ सोचती हूँ  आज मेरी लेखनी में  अपना बचपन लिख डालूं मैं। तपती धूप मे रेत का घरौंदा बनाना  बारिश में कागज की कश्ती तैराना खेल कूद करना ऊधम मचाना, माँ की प्यार भ

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8- नेत्रदान की अभिलाषा ( पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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मन में हैं अभिलाषाएँ अनेक, कुछ विचित्र,कुछ विशेष,  एक अभिलाषा नेत्रदान की जो है अमूल्य,जो है श्रेष्ठ।    मृत्यु के बाद भले ही, मिट जाए मेरे सारे अवशेष, पर दो नेत्र बचाके शेष,  दान उनका कर जाऊं

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9- तिरंगा अपना (पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' अपना, इसकी गजब शान है,  उन्मुक्त गगन में  लहराता यह,  स्वाधीनता की पहचान है। सब देशों में न्यारा तिरंगा, हमें प्राणों से प्यारा हैं,  इसकी सुरक्षा के खातिर, प्राण वीरो

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10- दर्द से हमदर्दी (पिंकी बजाज)

5 अगस्त 2022
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आज दिवस है उनका,  जिन्हें मिला हैं खिताब, भारत के राष्ट्रीय पशु का। यह राष्ट्रीय पशु हैं बाघ हमारे,  जो हैं भारत की शान पर आज विलुप्ति की ओर चलें हैं, आओ बचालें इनके प्राण। कल तक जो बाघ, 

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11- कल ( पिंकी बजाज)

22 अगस्त 2022
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क्या है कल?  कैसा होगा यह कल?  यह वो नहीं जो आज बीते,  आ जाता है कल, या फिर जो चला गया  वह बन जाता है कल,        उठ सोच विचार करले, यह कैसा होता कल।  सोचो यह कल ऐसा हो जब बेईमानी,भ्रष्टाचार

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12-अमलतास तुम खिल रहे हो ( पिंकी बजाज )

5 अगस्त 2022
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जेठ महिने की भीषण गर्मी में भी, खिलखिला कर अमलतास तुम खिल रहे मानो पलाश को चुनौती हो दे रहे।  पीले फूलों के गजरे से, खुद को तुम सुसज्जित करते,  गरम लू के थपेड़े खाकर भी हरपल तुम मुस्काते रहे,

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परिचय : संतोष मोदी

5 अगस्त 2022
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मैं संतोष मोदी असम प्रांत के जोरहाट शहर से हूँ । मेरी शिक्षा वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान) के छात्रावास में रहकर हुई।मेरा जन्म असम प्रांत के सरूपथार गाँव में हुआ। मेरी शादी जोरहाट शहर के खेमराज मोदी स

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1- पंचतत्व ( संतोष मोदी)

5 अगस्त 2022
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जल,वायु,अग्नि,पृथ्वी,आकाश  पंच तत्वों से ये काया बनी है, अंत  इसी में विलीन होना इस जीवन की यही कहानी है।  काया से लेकर माया तक सबका दाता परमपिता है।  फिर क्यूँ करता तेरी- मेरी, सब यहीं धरा र

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2 -किसान ( संतोष मोदी)

5 अगस्त 2022
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जेठ दुपहरी बदन जलावे पर कांसे कहने को जावे। सीकर से लथपथ है काया बोझा ढोना तनिक न भावे। सूरज को भी तरस न आवे पावक गोली लो बन जावे। नहीं मेघ का पता ठिकाना जो आवे तो मन को भावे। हवा निगोड़ी

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3- रिश्ता ( संतोष मोदी )

5 अगस्त 2022
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जब देखा उसे मैंने पहली बार, अँखियाँ सजल हो उठीं अश्रु धारा बह चली,पर मन पुलकित हो उठा। नौ महीनों की मेरी साधना फलीभूत हो गई देखो आज  गोद में आया जब मेरे वो, नाज़ुक सा प्यारा सा। नन्ही नन्ही

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4- पीड़ा (संतोष मोदी )

5 अगस्त 2022
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किसने समझी अंतस की पीड़ा  सब भोगे अपनी-अपनी पीड़ा। दो जून की रोटी को तरसता वर्षा,धूप,सरदी,गरमी सहता मेहनत करके पेट है भरता  जानिए किसी गरीब की पीड़ा। घर परिवार से दूर वो रहता बच्चों से मिलन

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5- गुरू की महिमा ( संतोष मोदी)

5 अगस्त 2022
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गुरू ही मेरा जीवन गुरु ही प्राणाधार गुरु बिन जग सूना गुरु ही है आधार।  गुरुवर गुरु ही है आधार। नैया मेरी डगमग डोले आप ही खेवनहार नैया मोरी पार करो अटकी है मँझधार। गुरूवर अटकी है मँझधार।

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परिचय : ममता गिनोड़िया

5 अगस्त 2022
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मेरा संक्षिप्त परिचय नाम- ममता गिनोड़िया "मुग्धा" गृहणी हू । स्थान :-जोरहाट(असम)से हू  भिरुचि  -लेखन ,अध्यन सामाजिक व धार्मिक कार्य मे योगदान व नाटको में अभिनय करना व नाटक लिखना  हसॅंना व हसाना  2

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1- कविता (ममता गिनोड़िया)

5 अगस्त 2022
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ध्यान, ज्ञान लगाते एड़ी से चोटी का कुछ बताते हो कुछ पूछते हो सत्य का पथ  बता दें इतिहास के पन्ने उलटा दो ज्ञान अधूरा है  आज का इतिहास कहता है सच्चे ज्ञान की  आवश्यकता है। भक्ति भाव सिखा

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2- समय ( ममता गिनोड़िया)

5 अगस्त 2022
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समय  स-वह और मय-तल्लीन होना समय बहता जा रहा है उम्र निकल गई मेरी ईश्वर में तल्लीन  कहां हो पायी ? समय को खाती रही कीमत करना भूल गयी समय कहता है  तेरे साथ ही तो हूं बुढ़ापा आया मोह माया न

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3 - रस (ममता गिनोड़िया)

5 अगस्त 2022
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भीतर का रस अनुभूति देता है रस ब्रह्म है हैं यह अनोखा रस से परिपूर्ण रसीला है  प्रकृति के कण-कण में रस का ढेला है फल , फूल अनाज निहित होता है। रसहीन बनकर सूखे पत्ते से  न बन मानव तू प्

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4- चंचरी छंद ( ममता गिनोड़िया)

5 अगस्त 2022
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भजन रंजन नहीं है,      भजन मन को पोषता,            भजन शांति देता है,                  भजन कीजिएगा। राम नाम जपते हैं,      साँस साँस रटते हैं,          बाधा हू विविध हरे,                     सद

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परिचय : श्रीमती नीलम चौधरी

5 अगस्त 2022
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श्रीमती नीलम चौधरी गुवाहाटी  (आसाम). मोबाइल नो. ९३६५२०८८५ ९. मैं गुवाहाटी में पली बढ़ी । मेरी स्नातक  परीक्षा गुवाहाटी से हुई। मुझे लेखन और चित्रकला में रुचि है।  रेजिन आर्ट का भी मुझे शौक है। मै

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1- बेटियां करें पुकार ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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कुहू- कुहू ! यह किस  कोयल की रागिनी है? जिसने पूरे वातावरण को संगीतमय बनाया है यह तो मेरी बेटी का कृंदन है जिसने मेरे घर में जन्म लिया है। मधुर रस मेरे कानों में  वह घोल रही है आकर्षण कुछ ऐ

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2- रंगो की चाह ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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तीन रंगो में लिपटा मेरे शहीद   पति की अर्थी आयी रंग-बिरंगे फूल कफन पर  बिखरे थे करुण क्रंदन की ध्वनि  चहुं दिशा में फ़ैल गयी।   रंग भरे थे जिंदगी में साजन ने,अपने साथ ही सब रंग ले गया। ज़ालिम

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3- दूर रहो मुझसे ( नीलम चौधरी)

18 अगस्त 2022
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दूर रहो मुझसे मैं कचरा बिनने वाली लड़की हूं। मेरे शरीर से उठती गंध लगती जिसकी सुगंध  मुझे इत्र जैसी, बन गई मेरा सुरक्षा कवच जो अहसास कराती  तुमको की मैं कचरा  बिनने वाली लड़की हूं। मेरे शरीर

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4- आजा बहना तेरा भाई पुकारता ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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प्रेमसिक्त भाई के दिल से  निकली है ये पुकार सुन ले मेरी प्यारी बहना! मां नहीं रही तो मायके आने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाना आंखें बिछाए बैठा है तेरा भाई मेरी प्यारी बहना अब आयी,अब आयी। ना कर

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5- रोटी का महत्व ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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पड़ी थी रोटी कचरे के ढेर में नजर पड़ी इंसान और कुत्ते की  उस रोटी पे शायद इंसान का पेट ज्यादा भूख से बिलबिला रहा होगा इसीलिए गति उसकी तेज थी रोटी उसके पंजे में आ गई। दुत्कारा उसने कुत्ते को ख

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6- राखी का कर्ज ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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ये रक्षाबंधन का त्योहार  याद दिलाता मुझे तेरी  मेरे वीर भाई, राखी बंधवाने को अब  तेरी बाहें नहीं हैं मेरे भाई देश की रक्षा करते करते  खो गई है जो कहीं। गुम हो गई मुझको चिढ़ाती  तेरी निश्छल स

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7- दिली तमन्ना एक फूल ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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उस राह की बनूं मै शोभा कुचला जाऊं उन वीरों के पैरो तले जो जा रहे अपने देश के लिए अपने प्राण न्योच्छावर करने। मेरी सुगंध रच बस जाए कुछ इस तरह उनके नथुनों में मातृभूमि  के लिए सर कटाने की तमन्ना ज

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8- नहीं बस अब और नहीं ( नीलम चौधरी)

5 अगस्त 2022
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कहना-सुनना बन गया एक खेल मर्द के हिस्से में कहना आया औरत बनी सुनने की भागीदार। किसने ये पैमाने तय किए जिसने खुद को संज्ञा दी कि वो है एक चौकीदार। सिर झुका कर सुनना नारी की नियति बन गयी।  बंद

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परिचय : डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

5 अगस्त 2022
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मैं डॉ.निशा नंदिनी भारतीय  हिंदी साहित्य को समर्पित शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. निशा गुप्ता उर्फ (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय) का जन्म रामपुर(उत्तर प्रदेश) में 13 सितंबर 1962 में हुआ। आपने साहित्य के सा

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01:- मेरा भारत बदल रहा है (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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मेरा भारत बदल रहा है सतयुग की ओर चल रहा है।  सुरमई श्यामल भोर हुई है प्रेमिल सूरज उदय हुआ है।  मेरा भारत बदल रहा है...। उदित हुआ है ज्ञान प्रकाश अंधकार का नाश हुआ है।  पोखर-पोखर कमल खिले हैं 

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02- इंडिया नहीं है अब ये भारत(डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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मेरा भारत नवीन भारत इंडिया नहीं है अब ये भारत। हर युवा अब राम बनेगा  हर बालक इंसान बनेगा।  भक्ति ज्ञान कर्म का देश ग्रंथ,मंत्र संत का देश।  ध्येय मार्ग पे चलने वाला वीरों की अगुवाई वाला। अमृ

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03- मेरा भारत वंदनीय भारत (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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कण-कण मेरे देश का  मन-मन मुझे लुभाता है।  सपनीले गहरे नयनों को आनंदमय कर जाता है।  स्वर्ण माटी की महक भीनी  अंतर्मन अभिभूत है।  उज्जवल-उज्जवल गंगा जल शांति द्योतक दूत है।  प्रहरी रक्षक खड़ा

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04- दीप हूँ मैं माटी का(डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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 दीप हूँ मैं माटी का  किंतु अंधेरों से लड़ूँगा काट कर तम को जड़ से  प्रकाश की ओर बढूँगा। चाँद की मनमानी है  तारों ने भी ठानी है।  लड़कर अमावस्या से  पूर्णिमा की ओर बढूँगा। दीप हूँ मैं माटी क

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05- समय का पंछी उड़ता जाए(डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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समय का पंछी उड़ता जाए दूर गगन में पंख फैलाए।                                     हर जाने-आने वाले को ज्ञान संदेशा देता जाए। समझो समय की कीमत तुम मत इसको बर्बाद करो। अनर्गल की बातों में आकर मत

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06- हमारा नमन तुम्हारा नमन(डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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तिरंगे में लिपटे वीरों को नमन हमारा नमन तुम्हारा नमन। चल दिए मुस्कुरा कर वतन के लिए।  हो गए कुर्बां चमन के लिए                         ऐसे रण बाँकुरों को कण-कण का नमन। हमारा नमन तुम्हारा नमन त

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07- साथी आना हाथ बढ़ाना (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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नील नभ पर हिम्मत रखकर नव प्रभात रोशन करेंगे।  साथी आना हाथ बढ़ाना  मिलजुल कर हम संग चलेंगे।  देना एक दूजे का साथ कट जाएगी काली रात। नया सवेरा आने को है तम व्योम छटने को है।  हिम्मत अपनी रखना

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08- जीवन की नाव चली (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

5 अगस्त 2022
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जीवन की नाव चली जाने किस ठौर चली। सक्त गर्म दरिया पर इधर चली उधर चली। अनदेखी अनजानी राहों पर चल पड़ी।  स्वार्थ की गठरी ले इधर मुड़ी उधर मुड़ी। सक्त गर्म दरिया पर इधर चली उधर चली। जीवन की न

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09 सच्चे साथी (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

24 अगस्त 2022
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 आओ सभी हम वृक्ष लगाये  धरती को फिर स्वर्ग बनाये।  वृक्ष हमारे सच्चे साथी                   क्यों न इनसे हाथ मिलायें। आओ सभी हम वृक्ष लगायें धरती को फिर स्वर्ग बनायें। आती जब मानव पे विपदा  क

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10 नव कोंपल मचल रही है (डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)

24 अगस्त 2022
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मधुमास का मौसम आया  वृक्षों पर किंशुक मुस्काया। नव कोंपल मचल रही हैं  उत्पत्ति को डोल रही हैं।  नव प्रभात की नव सौगात में  नव बयार संग आँखमिचौनी ठेल रही बूढ़े पल्लव को  नव पल्लव की नव वाहिनी।

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