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प्रसिद्ध कविताएँ

श्रीधर पाठक

25 अध्याय
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3 पाठक
16 अगस्त 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ - १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी। श्रीधर पाठक ने ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों में अच्छी कविता की हैं। उनकी ब्रजभाषा सहज और निराडम्बर है, खड़ी बोली में काव्य रचना कर श्रीधर पाठक ने गद्य और पद्य की भाषाओं में एकता स्थापित करने का एतिहासिक कार्य किया। खड़ी बोली के वे प्रथम समर्थ कवि भी कहे जा सकते हैं। यद्यपि इनकी खड़ी बोली में कहीं-कहीं ब्रजभाषा के क्रियापद भी प्रयुक्त है, एक ओर श्रीधर पाठक ने 'भारतोत्थान', 'भारत प्रशंसा' आदि देशभक्ति पूर्ण कवितायें लिखी हैं तो दूसरी ओर 'जार्ज वन्दना' जैसी कविताओं में राजभक्ति का भी प्रदर्शन किया है।  

prasiddh kavitayen

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पुस्तक के भाग

1

कुक्कुटी

16 अगस्त 2022
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कुक्कुट इस पक्षी का नाम, जिसके माथे मुकुट ललाम। निकट कुक्कुटी इसकी नार, जिस पर इसका प्रेम अपार। इनका था कुटुम परिवार, किंतु कुक्कुटी पर सब भार। कुक्कुट जी कुछ करें न काम, चाहें बस अपना आराम। च

2

उठो भई उठो

16 अगस्त 2022
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हुआ सवेरा जागो भैया, खड़ी पुकारे प्यारी मैया। हुआ उजाला छिप गए तारे, उठो मेरे नयनों के तारे। चिड़िया फुर-फुर फिरती डोलें, चोंच खोलकर चों-चों बोलें। मीठे बोल सुनावे मैना, छोड़ो नींद, खोल दो नैना

3

देल छे आए

16 अगस्त 2022
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बाबा आज देल छे आए, चिज्जी-पिज्जी कुछ ना लाए। बाबा, क्यों नहीं चिज्जी लाए, इतनी देली छे क्यों आए? काँ है मेला बला खिलौना, कलाकंद लड्डू का दोना चूँ-चूँ गाने वाली चिलिया, चीं-चीं करने वाली गुलिया।

4

तीतर

16 अगस्त 2022
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लड़को, इस झाड़ी के भीतर, छिपा हुआ है जोड़ा तीतर। फिरते थे यह अभी यहीं पर, चारा चुगते हुए जमीं पर। एक तीतरी है इक तीतर, हमें देखकर भागे भीतर। साभार: मनोविनोद, 35 आओ, इनको जरा डराकर, ढेला मार

5

बिल्ली के बच्चे

16 अगस्त 2022
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बिल्ली के ये दोनों बच्चे, कैसे प्यारे हैं, गोदी में गुदगुदे मुलमुले लगें हमारे हैं। भूरे-भूरे बाल मुलायम पंजे हैं पैने, मगर किसी को नहीं खौसते, दो बैठा रैने। पूँछ कड़ी है, मूँछ खड़ी है, आँखें चमकी

6

तोते पढ़ो

16 अगस्त 2022
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पढ़ मेरे तोते सीता-राम, सीता-राम राधा-श्याम। राधा-श्याम, श्याम-श्याम, श्याम-श्याम, सीता-राम। हरि मुरारे गोविंदे, श्री मुकुन्द, परमानंदे। परम पुरुष माधव मायेश, नारायण त्रैलोक्य नरेश। अलख निरंजन

7

मैना

16 अगस्त 2022
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सुन-सुन री प्यारी ओ मैना, जरा सुना तो मीठे बैना। काले पर, काले हैं डेना, पीली चोंच कंटीले नैना। काली कोयल तेरी मैना, यद्यपि तेरी तरह पढ़ै ना। पर्वत से तू पकड़ी आई, जगह बंद पिजड़े में पाई। बानी

8

चकोर

16 अगस्त 2022
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धन-धन सुगढ़ चकोर तू खग-कुल आगरिया, पाले नियम कठोर कि वंश उजागरिया। चंद तेरा चितचोर तू उस पर बावरिया, लख-लख उसकी ओर कि होय निछावरिया। चुगती अग्नि अंगार तू दृढ़ प्रण रावरिया, धन वन प्रेम अपार

9

मोर

16 अगस्त 2022
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अहो सलोने मोर, पंख अति सुंदर तेरे, रँगित चंदा लगे गोल अनमोल घनेरे। हरा, सुनहला, चटकीला, नीला रंग सोहे, रेशम के सम मृदुल बुनावट मन को मोहे। सिर पर सुघर किरीट नील कल-कंठ सुहावे, पंख उठाकर नाच, तेरा

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गुड्डी लोरी

16 अगस्त 2022
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सो जा, मेरी गोद में ऐ प्यारी गुड़िया, सो जा, गाऊँ गीत मैं वैसा ही बढ़िया। जैसा गाती है हवा, जब बच्ची चिड़िया। जैसा गाती है हवा, जब बच्ची चिड़िया, जाँय पेड़ की गोद में सोने की बिरियाँ। क्योंकि हवा

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कोयल

16 अगस्त 2022
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कुहू-कुहू किलकार सुरीली कोयल कूक मचाती है, सिर और चोंच झुकाए डाल पर बैठी तान उड़ाती है। एक डाल पर बैठ एक पल झट हवाँ से उड़ जाती है, पेड़ों बीच फड़कती फिरती चंचल निपट सुहाती है। डाली-डाली पर मतवाली

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स्मरणीय भाव

16 अगस्त 2022
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वंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज-अभिमानी हों बांधवता में बँधे परस्पर, परता के अज्ञानी हों निंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज अज्ञानी हों सब प्रकार पर-तंत्र, पराई प्रभुता के अभिमानी हों

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देश-गीत

16 अगस्त 2022
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1. जय जय प्यारा, जग से न्यारा शोभित सारा, देश हमारा, जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा जग-सौभाग्य, सुदेश। जय जय प्यारा भारत देश। 2. प्यारा देश, जय देशेश, अजय अशेष, सदय विशेष, जहाँ न संभव अघ का लेश, सं

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स्वराज-स्वागत-1

16 अगस्त 2022
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(भारत की ओर से) आऔ आऔ तात, अहो मम प्रान-पियारे सुमति मात के लाल, प्रकृति के राज-दुलारे इते दिननतें हती,तुम्हारी इतै अवाई आवत आवत अहो इति कित देर लगाई आऔ हे प्रिय, आज तुम्हें हिय हेरी लगाऊँ प्रेम

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सुंदर भारत

16 अगस्त 2022
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1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है शुचि भाल पै हिमाचल, चरणों पै सिंधु-अंचल उर पर विशाल-सरिता-सित-हीर-हार-चंचल मणि-बद्धनील-नभ का विस्तीर्ण-पट अचंचल सारा सुदृश्य-वैभव मन को लुभा रहा है भारत हमार

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स्वदेश-विज्ञान

16 अगस्त 2022
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जब तक तुम प्रत्येक व्यक्ति निज सत्त्व-तत्त्व नहिं जानोगे त्यों नहिं अति पावन स्वदेश-रति का महत्त्व पहचानोगे जब तक इस प्यारे स्वदेश को अपना निज नहिं मानोगे त्यों अपना निज जान सतत-शुश्रूषा-व्रत नहिं

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निज स्वदेश ही

16 अगस्त 2022
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निज स्वदेश ही एक सर्व-पर ब्रह्म-लोक है निज स्वदेश ही एक सर्व-पर अमर-ओक है निज स्वदेश विज्ञान-ज्ञान-आनंद-धाम है निज स्वदेश ही भुवि त्रिलोक-शोभाभिराम है सो निज स्वदेश का, सर्व विधि, प्रियवर, आराधन क

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बलि-बलि जाऊँ

16 अगस्त 2022
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1. भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया मैं बलि-बलि जाऊँ भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ

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हिंद-महिमा

16 अगस्त 2022
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जय, जयति–जयति प्राचीन हिंद जय नगर, ग्राम अभिराम हिंद जय, जयति-जयति सुख-धाम हिंद जय, सरसिज-मधुकर निकट हिंद जय जयति हिमालय-शिखर-हिंद जय जयति विंध्य-कन्दरा हिंद जय मलयज-मेरु-मंदरा हिंद

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स्मरणीय भाव

16 अगस्त 2022
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वंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज-अभिमानी हों।  बांधवता में बँधे परस्पर, परता के अज्ञानी हों।  निंदनीय वह देश, जहाँ के देशी निज-अज्ञानी हों।  सब प्रकार पर-तंत्र, पराई प्रभुता के अभिमानी हों॥ 

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सुंदर भारत

16 अगस्त 2022
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(1)  भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है  शुचि भाल पै हिमाचल, चरणों पै सिंधु-अंचल  उर पर विशाल-सरिता-सित-हीर-हार-चंचल  मणि-बद्धनील-नभ का विस्तीर्ण-पट  अचंचल सारा सुदृश्य-वैभव मन को लुभा रहा है  भा

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भारत-गगन

16 अगस्त 2022
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(1)  निरखहु रैनि भारत-गगन  दूरि दिवि द्युति पूरि राजत, भूरि भ्राजत-भगन  (2)  नखत-अवलि-प्रकाश पुरवत, दिव्य-सुरपुर-मगन  सुमन खिलि मंदार महकत अमर-भौनन-अँगन  निरखहु रैनि भारत-गगन  (3)  मिलन प्रिय

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भारत-श्री

16 अगस्त 2022
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जय जय जगमगित जोति,  भारत भुवि श्री उदोति कोटि चंद मंद होत,  जग-उजासिनी निरखत उपजत विनोद,  उमगत आनँद-पयोद सज्जन-गन-मन कमोद-वन-विकासिनी विद्याऽमृत मयूख,  पीवत छकि जात भूख उलहत उर ज्ञान-रूख,  सुख-प

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बलि-बलि जाऊँ

16 अगस्त 2022
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(1)  भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ  बलि बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ  हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ  मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का मन का,  मँदिरवा का प्यारा बसैया  मैं बलि-बलि जाऊँ  भारत पै सैयाँ मैं बलि-ब

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भारतोत्थान

16 अगस्त 2022
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भारत, चेतहु नींद निवारौ।  बीती निशा उदित भए दिन-मनि, कबकौ भयौ सकारौ॥  निरखहु यह शोभा-प्रभात वर, प्रभा भानु की अद्भुत।  किहि प्रकार क्रीड़ा-कलोल-मय विहग करहिं प्रात-स्तुत॥  बिनस्यौ तम-परिताप पाप सँ

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