हम अपने उलझें रहते है और खुद को ही खुद की खबर नहीं होती. अपने -आप में डूबे रहना और खुद से ही खुद को समझा लेना बड़ी कला होती है
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आत्मरति अर्थात हस्त-.....हम इसे अच्छा विषय नहीं मानते और इससे गुरेज करते है. एक ऐसा विषय जो पूर्ण रूप से वर्जित है जिस पर बात तक नहीं होती.लेकिन इसी एक समस्या से कितने ही नौजवानों की जिंदगी चली जाती ह
आत्म -रति और आत्म -सममोहन एक ही हो सकते है इंसान जो अपने आप में खोया रहें और आत्म -सममोहन हो जाये उसे यंही तो आत्म -रति है.आत्म -रति सिर्फ सेक्स नहीं है इसका सेक्स से कोई लेना -देना नहीं वरना ये आत्म