shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

सुन सखी

रश्मि गुप्ता

27 अध्याय
23 लोगों ने खरीदा
8 पाठक
4 सितम्बर 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-94582-23-1
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon Flipkart

सुन सखी, मेरा अपने प्रिय पाठकों से मिलने का नया बहाना है। आप सब की प्रेरणा और प्रशंसा दोनों ही मुझे जल्दी जल्दी आप से कुछ कहने और सुनने के लिए ललायित कर रहीं हैं। यदि आपका प्यार यूं ही बरसता रहा तो क़ोई आश्चर्य नही कि बाढ़ आ जाये। वो बाढ़ नहीं जो विध्वंस लाती है। ये वो बाढ़ है जो खुशियों का सैलाब लाती है। बने रहो मेरा दाहिना हाथ ताकि मैं सरपट लिख सकूँ। मैं वैसे तो कोई ऐसी बात नहीं लिखती जिस से किसी को ठेस पहुंचे फिर भी किसी को ऐसा लगे तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। बच्चे युवा और वृद्ध सब की सखी हूँ मैं। मेरी नजर जरा हट कर हैं सबसे, मुझे आम आदमी में बेहतरीन कलाकार, किसी मेहनत कश मजदूर में, साक्षात ईश्वर, और किसी भी शारीरिक रुप से अक्षम मनुष्य में संवेदनशीलता की असीम शक्ति दिखती है। चलो साथ साथ सब आनंद उठाते हैं सदैव आप सब की शुभचिंतक -------;---रश्मि 

sunn sakhi

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

सुन सखी

4 सितम्बर 2022
6
1
1

सुन सखी के माध्यम से मैंने अपने मन में छिपी तड़प को पन्नों में उकेरने का प्रयास किया है। कितना बदल गया है समय पिछले 7 दशक में । धर्म, संस्कृति, समाज, देश, परदेश सब कुछ बदला है, कुछ उन्नति क

2

कलाकार

4 सितम्बर 2022
0
0
0

पेंट का ब्रश पकड़े हुए, वो कोई नामचीन कलाकार नहीं है। दीवार की खुरचन झाड़ते झाड़ते अनायास ही उसके मुंह से निकल गया "मेरी भी क्या जिंदगी है, 12 वर्ष की उम्र में घर से आ गया था सिर्फ 6 क्लास तक ही पढ़ प

3

माताराम

4 सितम्बर 2022
0
0
0

बात 1972,1973 की है। उस समय मेरी उम्र लगभग 30 साल रही होगी । हम लोग एक सरकारी आवास में रहते थे। घर के साथ ही घर काम करने वालों के घर भी बने थे। अंग्रेज चले गए थे परन्तु अंग्रेजियत छोड़ गए धे&nbs

4

उधार का बोझ

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मैं एक पुस्तक पढ़ रही थी वह किसी महाशय ने मुझे पढ़ने के लिए दी थी। वैसे तो उसमें तमाम ज्ञान ध्यान की बातें ही थी । सबसे अहम बात थी कि परलोक कैसे सुधारा जाये। जाने माने विद्वान की लिखी हुई थी । अचानक म

5

गुलदस्ता

4 सितम्बर 2022
0
0
0

बहुत सालों से मेरे घर के मुख्य द्वार पर दाहिनी ओर एक टोकरी जो की बेंत से बुनी थी उसमें एक गुलदस्ता सजा था। आते जाते बीते दिनों की बातें याद आ जातीं। बिछुड़ी हुई सहेलियों के वो चटकारे दार जु

6

तर्पण

4 सितम्बर 2022
0
0
0

आज सासू माँ का श्राद्ध है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ अपने घर आते हैं और अपने आशीर्वादों से अपनी संतति को कृतकृत्य करते हैं । हम सब भी अपनी श्रृदानुसार अच्छे से अच्छा भोज उनके लिए बनाते हैं

7

अगले सावन

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मुझे वाट्सएप पर एक फोटो आया जिसमें गोदाम में भरे अनाज के बोरों को कोई पानी से सींच रहा है। शायद सूखे के पैदा हुए मरे, मरल्ले गेंहू पानी पा कर मोटे हो जायें और भारी होकर ज्यादा दामों में बि

8

प्रबंधन (Management) 

4 सितम्बर 2022
0
0
0

दरवाजे पर एक अनजानी वृद्धा ने दस्तक दी । अंदर से एक नवयुवक ने झांक कर देखा। उसनें बाहर से ही पूछा, बेटा विजय नहीं है क्या? अभी आये नहीं हैं 2 दिन की छुट्टी में घर गए हैं । बस थोड़ी लेट हो गई है

9

क्या ये मेरा कर्तव्य नहीं

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मेरे पति, मेरे लिए अपने जीते जी सब सुख सुविधा का ध्यान रखते हैं । तरह तरह की इंश्योरेंस पालिसी, मसलन स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा फिक्सड डिपौसिट और न जाने क्या क्या करते हैं कि ईश्वर न करे कभी कोई अनहोनी

10

दुनियां देख ली

4 सितम्बर 2022
0
0
0

कल ही रजनी पड़ौस वाली लड़की के घर गई थी। ये कहने के लिए कि अपने पति अमित से कहे कि अपनी गाड़ी पार्क करते समय, पहिया जरा सीधा कर दिया करे, अंकल को गाड़ी निकालने में परशानी हो जाती है। वह एक कश्मीरी लड़

11

सौ जोड़ी जूते

4 सितम्बर 2022
0
0
0

तरह तरह के ब्रैंडिड जूते चप्पलें बड़े करीने से हाल के बाहर बरामदे में रखे हुए, उन्हें पहनने वालों के व्यक्तित्व की छाप छोड़ रहे थे। जरुर संम्भ्रांत लोग ही होंगे क्योंकि साधारण आदमी तो ऐसा जूते पहनते न

12

स्वर्ग की सैर

4 सितम्बर 2022
0
0
0

स्वर्ग की कल्पना मात्र से मन रोमांचित हो जाता है। उस कल्पना में आप क्या सोचते हो, मैं नहीं जानती, मैं कुछ इस तरह सोचती हूँ । यदि मैं बचपन में सोच रही होती तो, मैं सोचती वहां मुझे खूब टाफी, चाकलेट

13

वीरांगना

4 सितम्बर 2022
0
0
0

वीरांगना सुनते ही एक बारगी दिमाग में आता है, ये रानी लक्ष्मीबाई तो नहीं हाथ में तलवार लिए, दुश्मनों के छक्के छुड़ा रही है। जिस वीरांगना की मैं बात कर रही हूं, उससे कहीं ज्यादा वीर है वो । सोचो क्

14

भंडारा

4 सितम्बर 2022
0
0
0

नवरात्रि कै दिनों में लोग जगह जगह भंडारा करते हैं । भजन कीर्तन करते हैं । माता की चौकी, या माता का जागरण भी करते हैं । खूब खाना पीना रात भर चलता है कहने का तात्पर्य कि सारा वातावरण माता मय हो जा

15

रिंग टोन

4 सितम्बर 2022
0
0
0

उसने मोबाइल पर नम्बर मिलाया। एक प्रौपर्टी खरीदना चाहती थी। प्रौपर्टी के मामले में किसी पर जल्दी विश्वास नहीं किया जा सकता । ना जाने कितने लोभ लालच दिलाये, ना जाने कौन सी बात छुपा ले । पर वह भी क्या कर

16

ठीक किया

4 सितम्बर 2022
0
0
0

आज एक छोटी सी पुस्तक मुझे कूड़े के डब्बे में पड़ी मिली। मुझे बहुत गुस्सा आया। मन ही मन मैं भुनभुनाई। ये भी अजीब हैं । किसी ने अपनी लड़की की शादी में भेंट स्वरूप वह किताब दी थी । शादी के बाद गृहस्थी को

17

दुनियादारी

4 सितम्बर 2022
0
0
0

उसकी भाभी का फोन आया था । दीदी मौका लगा तो आज आयेंगे । मिलने का मन तो बहुत करता है पर मौका ही कहाँ मिलता है। इसबार दिल्ली आये हुए हैं। नोयडा (NOIDA) पास ही है, कोशिश करेंगे पर पक्का नहीं है ।जैसा भी प

18

तोहफा

4 सितम्बर 2022
0
0
0

तोहफे का नाम सुनते ही मन प्रसन्न हो जाता है। तोहफा तो तोहफा है, वो खिलौना भी हो सकता है और कोई गहना भी । हमारी 25 वी शादी की सालगिरह थी, मैंने अपने पति से कहा इसबार तो मुझे कोई Gift देदो हर साल तो टाल

19

रानी की ड्यौडी

4 सितम्बर 2022
0
0
0

ये राजा रानी का जमाना तो नहीं पर मन बहलाने के लिए खुद को रानी मान भी लो तो क्या बुराई है। कहते हैं ना "मन के हारे, हार है । मन के जीते, जीत बस यही सोचकर शिखा ने अपने फ्लैट की बालकनी को सुंदर सजाय

20

शरणार्थी

4 सितम्बर 2022
0
0
0

वो छिपकली का बच्चा महज़ 2 इंच का होगा । वो भी क्या करे, भगवान ने जरुरतें तो हर जीव के लिए एक जैसी बनाई हैं और खाना सबका अलग अलग । वो जब देखो मेरी रसोई के प्लेटफार्म पर पड़ा रहता था ।

21

चीयर लीडर

4 सितम्बर 2022
0
0
0

टक की आवाज के साथ बाल बल्ले पर लगती है और ये लगा छक्का। क्या खेलने वाले क्या देखने वाले सब खुशी से झूम उठते हैं । सोने पर सुहागा को चरितार्थ करते हुए नाचती, खिलाड़ियों का उत्साह

22

कौन जाने

4 सितम्बर 2022
1
0
0

अभी 3,4 महीने पहले ही की तो बात है, शारदीय नवरात्रों में वह नीचे उतरी थी। कन्या जिमाना तो उसके बस की बात नहीं थी अब । सिर्फ नीचे बगीचे मे काम करने वाले मालियों से वो बहुत प्रभावित थी । उसे लगता था, कि

23

शर्मनाक हादसा

4 सितम्बर 2022
0
0
0

नहीं कह सकती की 28 अगस्त 22 को शर्मनाक कहूँ या गौरव मय लेकिन देश के इतिहास में पहली बार भ्रष्टाचार को यूँ सरेआम फांसी दी गई । चूंकि भ्रष्टाचार किसी दैत्याकार दानव से कम नहीं । राक्षस का अंत तो अवश्य ह

24

जब आवे संतोष धन

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मैंने एक लघु कहानी पढी । शीर्षक था, "संतोष" एक मार्मिक कथा पढकर मैं भावविभोर हो गई और उस पर अपनी प्रतिक्रिया लिखने बैठ गई । कहानी कुछ इस प्रकार है कि कड़कती सर्दी में, एक पत

25

वैलेंटाइन डे 

4 सितम्बर 2022
0
0
0

वैलेंटाइन डे पूरे विश्व में 14 फरवरी को प्रेम के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। प्रेमी जोड़े लाल गुलाब के फूल से अपने प्यार का इजहार करते हैं । अन्य उपहारों व ग्रीटिंग कार्ड से हजारों में

26

धर्म का इश्तिहारीकरण 

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मैं थर्म हूँ। हर काल में हर हाल में हर प्राणी के साथ हूँ। युग युगांतर से मेरा बाह्य रुप भिन्न हो सकता है, परन्तु आन्तरिक रुप केवल एक है और वो यही कि मैं धर्म हूँ । क्योंकि मैं धर्

27

संघर्ष

4 सितम्बर 2022
0
0
0

मुझे एक मैसेज मिला, संघर्ष को कुछ इस प्रकार देखो कि उसमें केवल हर्ष ही दिखाई दे कुछ और नहीं । मैं भी शत प्रतिशत इस बात से सहमत हूँ। संघर्ष ही तो एक मात्र शब्द है जिसमें जीवन की तमाम खुशियाँ झलकती

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए