चोको जो मुझे शादी के बाद पतिदेव से सौगात के रूप में मिली. घर में अकेली चौपाया जंतु , पर मर्म समझने में उसकी कोई सानी नहीं. उसके साथ बिताये कुछ पल ... शब्दों में
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<p>चोको से मेरी मुलाकात मेरी शादी के दूसरे दिन हुई थी, घर में नयी बहु के रूप में पहला कदम रखा
<p>मुलाकात के बाद जैसे एक दो दिनों में ही मुझे चोको की दिनचर्या और स्वभाव के बारे में का
<p>शुरुवात खीझ भरी हुई थी चोको के साथ, पर उसे तो जैसे दिल जीतना आता था . &nb
<p>चोको को छोड़ कर हम नॉएडा आ गए थे क्यूंकि अब शादी के लिए ली हुई छुट्टिया भी ख़तम हो गयी
<p>आठ घंटो का सफर तय करके जब चोको कानपूर से नॉएडाआयी तो ये मेरे लिए एक सरप्र
<p>धीरे धीरे दिन बीतने लगे, चोको कब दिनचर्या का हिस्सा बन गयी पता ही नहीं चला. सुबह सुबह
चोको ने सोसाइटी में अपनी पहचान मुहैया करवा ली थी , इसकी वजह सिर्फउसका डील डॉल और मस्तानी चाल ही नहीं थी , वरन वो सबसे ज्यादा शांत और मिलनसार थी , हम रोज़ शाम मेंसोसाइटी में घूमने जाते , जो की ह