मुलाकात के बाद जैसे एक दो दिनों में ही मुझे चोको की दिनचर्या और स्वभाव के बारे में काफी कुछ पता चला. सुबह होते ही उसे दूध और रोटी का सुबह का भोजन दिया जाता , फिर थोड़े देर बाद वो अपने दैनिक कार्यक्रम निवृत होती उसके लिए उसे दरवाजा खुलवाना होता था , जिसके लिए घर मे सभी को खास निर्देश दिए गए थे, की जैसे ही वो नियत समय पे इशारा करे दरवाजा खोल कर उसे फ़ौरन बाहर कर दिया जाए . घर में सबसे उसे थोड़ा डर होता था पर अमित(पियाजी) पर तो जैसे उसका सर्वांग अधिकार हो, इस तरह से वो उनसे इशारा किया करती की दरवाजा खोला जाए अब उसे बाहेर जाना है. ना सुनते तो अपना सर उनके घुटनो पर लगाती , जैसे लाड कर रही हो " बबुआ हमका ले चलो" और इस इशारे के साथ अगर मधुर कूंक में कु कु कर दे तो फिर तो दुनिया की कोई शक्ति अमित को चोको का हुक्म मान ने से नहीं रोक सकती .
यह सब देख कर इस नयी नवेली दुल्हन के मन में खीझ और जलन के भाव कहाँ से ना जागते , की घर में हम नए हैं और यहाँ पियाजी को सारा लाड प्यार इस चौपाये से लड़ाना है. खैर मौका देख कर कह ही दिया की जब इस से ही इतना प्रेम था तो इसी को ब्याह लाते , काहे हमारे हाथ पीले करवा दिए . अमित हंस पड़े बोले -तुम भी कहाँ इससे अपनी तुलना कर रही हो , कहाँ तुम कहाँ ये , ( मन में ख़ुशी की झलक आयी)
तुम तो घर की छोटी बहु हो , ये पहले आयी है तो यही बड़ी हुई न .
और दोनों जन मिल जुल कर रहना.
और मैं पैर पटकते हुए कमरे में आ गयी