इलाज
9 अगस्त 2022
कहानियाँ पढ़ना और सुनना लगभग प्रत्येक व्यक्ति को अच्छा लगता है, चाहे वह किसी भी आयु का व्यक्ति क्यों न हो। इसलिए प्रत्येक समाज में कहानियों की दीर्घ परम्परा मिलती हैं- वे चाहे मौखिक रूप में हों या लिखित रूप में। कहानी सुनने-सुनाने, पढ़ने और लिखने के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। लेकिन यह सत्य तथ्य है कि ऐसा करते समय हम जीवन-जगत के अनेक अनुभवों से गुज़रते हैं। इसीलिए आज विज्ञान और तकनीकी के युग में भी कहानी ने अपनी लोकप्रियता नहीं खोई है। कहानी लेखन में रूचि होने और नियमित रूप से प्रयासरत रहने के कारण मेरे पास अनेक कहानियाँ संग्रहीत हो गई थी। जिन्हें मैं एक संग्रह के रूप में प्रकाशित करवाने की आकांक्षा रखता था। लिखी गई कहानियों में से अधिकांश- कथाबिम्ब, साहित्यकुञ्ज, हिन्दीकुञ्ज, इन्कलाब, अनुभव, लाइव-रिपोर्ट, क्षितिज के पार, शाह टाइम्स आदि पत्र-पत्रिका में प्रकाशित भी हुई हैं। जिन पर पाठकों की अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं भी खूब मिली है। मेरे दृष्टिकोण से ये कहानियाँ कथ्य और शैली-शिल्प की दृष्टि से उत्कृष्ट हैं। ये उन अनुभवों का परिणाम हैं, जो सामाजिक जीवन में समय-समय पर मुझे प्राप्त हुए हैं। दैनिक जीवन में घटित होने वाली जिन घटनाओं, संवेदनाओं और अनुभूतियों ने मेरे हृदय को उद्वेलित किया, उन्हें ही मैंने कथा-कहानी के रूप में ढाला है। कुछ कटु सत्य ऐसे भी रहे हैं कि जब तक मैंने उन्हें कहानी के रूप में अभिव्यक्त नहीं किया, स्वयं को सहज महसूस नहीं कर सका। इन कहानियों में सत्य तथ्यों के साथ ही काल्पनिक चित्र भी हैं। क्योंकि बिना कल्पना के पंखों पर सवार हुए साहित्य रचा जाना सम्भव नहीं है। विभिन्न विषयों जैसे- मानवीय संवेदनाएं, मार्मिक भाव और जीवन की त्रासदी पर लिखी गई कहानियाँ अधिक मर्मस्पर्शी हैं। क्योंकि उनमें पाठकों को झकझोर देने की क्षमता है। परिस्थितियों और परिवेश को ध्यान में रखकर ही इन कहानियों का ताना-बाना बुना गया है। अत: उनमें क्षेत्रीयता का रंग भी परिलक्षित होता है। भाषा प्रयोग में सावधानी बरती गई है। उसे दुरूह और बोझिल होने से बचाया गया है। अत: इन कहानियों का आनन्द विद्वानों के साथ ही कम पढ़े-लिखे साधारण मनुष्य भी उठा सकते हैं।
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