12 मई 2022
गुरुवार
समय 11:20 (रात)
मेरी प्यारी सहेली,
फ्रिज का पानी गले को खराब कर रहा है, मटके के पानी से प्यास नहीं बुझ रही। पसीने हैं कि तर तर बहता जा रहा है। ऐसे में हाल बदतर से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो सांसे रूक रही है।
डिजिटल का बोलबाला देखा जा रहा है वहीं प्रतिलिपि पर 12 भाषाओं में लिखी जा रही रचनाएं सच काबिले तारीफ ही है। एक ऐसा मंच जिसमें, घर में रहते हुए अपने विचारों को पिरोने का लगभग अधिकांश लेखकों को मौका मिला है। अपनी छिपी प्रतिभा को निखारने का इसके लिए प्रतिलिपि ऐप सच काबिले तारीफ है।
आज जीवन में हर पथ पर डिजिटल के जरिए दुनिया, आगे से आगे बढ़ती जा रही है। जो इस के जरिए काम नहीं कर पाता उसे पिछड़ा हुआ माना जा रहा है।
इसके जरिए जहां वृद्ध लोगों को परेशानियां भी आ रही है वही युवा पीढ़ी डिजिटल के जरिए अपने आप को निरंतर अपडेट करने में लगा हुआ है।
आज प्रतिलिपि पर चर्चा का विषय है मेरी पहली कमाई। शायद यह विषय मुझे उन लम्हों की याद दिला देता है, जब मेरी आंखों में आंसू आ गए थे।
ग्रेजुएशन करने के बाद ही मैंने एक स्कूल में नौकरी करने का मन बनाया, अध्यापक के तौर पर। पिताजी की तरफ से मना ही नहीं थी। उनका तो कहना ही था कि ये जीवन की परीक्षाएं हैं जिसमें तुम्हें सोना बनकर निखरते हुए निकलना है।
एक महीने बाद पेमेंट मिलनी थी। लेकिन स्कूल का नियम था वे 15 दिन की पेमेंट अपने पास रख थे। तो मुझे 1 महीने बाद पेमेंट दिया गया। पेमेंट लेकर मैं घर पर आई उस समय दादा दादी भी वहीं बैठे थे। मैंने सौ रुपए दादा जी को और ₹100 दादी जी के हाथ में पकड़ाएं तो दादी जी की प्रतिक्रिया देखने लायक थी।
बेटी होने के कारण दादी मुझे कभी पसंद नहीं करती थी। पर ज्यों ही मैंने उनके हाथ में ₹100 पकड़ाएं और कहा दादी इससे पान खाना। वह खुश होती हुई बोली कौन कहता है लड़का लड़की समान नहीं होते? यह देखो पोता पैसे देता या नहीं लेकिन इसने मेरे हाथ में पैसे दिए हैं। मैं आशीर्वाद करती हूॅं, तुम्हारे हाथ सदा नोटों से भरे रहे, कहते हुए उन्होंने मुझे बहुत सारा आशीर्वाद दिया।
आज का दिन इंटरनेशनल नर्सेज डे के रुप में मनाया जाता है।
आज के लिए इतना ही फिर मिलते हैं।
शुभ रात्रि