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देवदास

शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय

3 अध्याय
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देवदास' शरतचंद्र की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है। मेरी बहुत पहले से इच्छा थी कि देवदास पढूं। आखिरकार मुझे इस किताब को पढ़ने का मौका मिल गया। यह कहानी है देवदास, पार्वती (पारो) और चंद्रमुखी की। बचपन के प्यार को देवदास समझ नहीं पाता है पर जब पारो उससे दूर होती है तब उसे आभास होता है कि उसने क्या खोया है। दरअसल देवदास हम लोगों के जैसा ही है। दो धाराओं में फंसा हुआ विचलित प्राणी, जो खुद को संभाल नहीं पाता है, जो विद्रोह कर रहा है पर किससे यह उसे खुद भी मालूम नहीं है। पारो एक सशक्त लड़की है, जिसे आगे बढ़ना आता है पर पारो भी फंसी होती है। वह प्यार जो उसे बचपन में देव से हुआ था, वह ना चाहते हुए भी उसे भुला नहीं पाती है। जब देवदास अपने गांव लौटता है, जो अब उन्नीस साल का एक सुंदर लड़का है, तो पारो उससे शादी करने के लिए कहती है। लेकिन देवदास अपने माता-पिता के विरोध के कारण पारो से शादी नहीं कर पाता है आख़िर क्या होगा पढ़िए इस उपन्यास में...।  

devdas

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पुस्तक के भाग

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देवदास - 1

24 जनवरी 2022
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एक दिन बैसाख के दोपहर मे जबकि चिलचिलाती हुई कड़ी धूप पड़ रही थी और गर्मी की सीमा नही थी, ठीक उसी समय मुखोपाध्याय का देवदास पाठशाला केएक कमरे के कोने मे स्लेट लिये हुए पांव फैलाकर बैठा था। सहसा वह अंगड़ाई

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देवदास 2

24 जनवरी 2022
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पानी मे डूबने से मनुष्य जिस प्रकार जमीन को पकड़ लेता है और फिर किसी भांति छोड़ना नही चाहता, ठीक उसी भांति पार्वती ने अज्ञानवत देवदास के दोनो पांवो को पकड़ रखा था। उसके मुख की ओर देखकर पार्वती ने कहा-‘मै

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देवदास 3

24 जनवरी 2022
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पिता की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे छः महीने बीत गये। देवदास घर में एकदम ऊब गये। सुख नही, शान्ति नही, उस पर एक ही तरह की जीवनचर्या से मन बिल्कुल विरक्त हो चला। तिस पर पार्वती की चिन्ता से चित और भी अव्यवस

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