Jeevan Ke Rang Osho Ke Sang Read more
जीवन-संगीतः 1942-2018 यह बात ध्यान देने की है कि यह बोध मेरे द्वारा किसी उपाय या चेष्टा से नहीं, बल्कि स्वयं उस सत्ता के वात्सल्य मय गुण के कारण, उसी की इच्छा से हो सका है। शायद इसी को सद्गुरू कृपा कहते हैं। (डायरी नं.-21 से साभार). Read more
अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है। लेखक
इन प्रवचनों में महावीर वाणी की व्याख्या करते हुए ओशो ने साधना जगत से जुड़े गूढ़ सूत्रों को समसामयिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इन सूत्रों में सम्मिलित हैं--समय और मृत्यु का अंतरबोध, अलिप्तता और अनासक्ति का भावबोध, मुमुक्षा के चार बीज, छह लेश्याएं: चेतन
इस किताब में संवाद के माध्यम से जीवन जीने का बेहतरीन समाधान किया गया है साथ ही धर्म दर्शन के विषयों पर प्रकाश डालते हुए क्या होना चाहिए क्या नही होना चाहिए इस तरह की शंका का समाधान किया गया है। एक आस्था ही इतना बड़ा सम्बल है कि मनुष्य अपनी घोर प्रतिकू
जब महर्षि दयानंद जी महाराज 'वेदों की ओर लौटो' का उद्घोष कर रहे थे तो उनके उद्घोष का अभिप्राय अपने स्वर्णिम अतीत की ओर लौटने से था अर्थात अपने स्वर्णिम इतिहास को खोजकर उसे वर्तमान में स्थापित करने का संकल्प दिलाने के लिए हम भारतवासियों को उन्होंने यह
फ़क़ीराना अंदाज़ शिर्डी साईबाबा के जीवन पर आधारित एक विशिष्ट उपन्यास है। हिंदी साहित्य में साईबाबा के जीवन पर यह पहला उपन्यास है। इसमें साईबाबा के जीवन के माध्यम से प्रेम के विराट स्वरूप को देखने का प्रयास किया गया है, उस प्रेम को जिसे कई बार लोग अनि
अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है- सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था।बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड
Ashtavakra Mahageeta Bhag-V Sannate Ki Sadhna Read more
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 6: Na Sansar Na Mukti Read more
'जीवन तो जैसा है वैसा ही रहेगा। वैसा ही रहना चाहिए। हां, इतना फर्क पड़ेगा... और वही वस्तुतः आमूल क्रांति है। आमूल का मतलब होता है : 'मूल से'। ...आमूल क्रांति का अर्थ होता है : जो अब तक सोये-सोये करते थे, अब जाग कर करते हैं। जागने के कारण जो गिर जाएगा
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 9: Anumaan Nahin Anubhav Read more
Kaha Kahun Us Desh Ki Read more
ओशो स्वयं तूफानों को पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकर उन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। यह अक्षर उन्हीं के नाम जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है, अर्पित करती हूं-'कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा।
सीधी अनुभूति है अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- - सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तु
Kahai Kabir Diwana Read more
Kahe Kabir Main Poora Paya Read more