महाभारत के पात्रो का वर्णन है किस प्रकार का उनका व्यवहार था किस प्रकार की उनकी सोच थी यह सब मैंने इस पुस्तक मई वर्णन किया है कृपया आप इसे पढ़ कर इसका मार्गदर्शन करें
भाग- 1. एक साधारण सा दिखाई देने वाला सनातनी धर्म संस्कृति का प्रतीक, लगभग भारत के हर घर में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखता है। जिसके प्रस्फुटन मात्र से दसों दिशाएं गुंजायमान हो उठती हैं। मान्यता है कि शंख बजाने से जहां तक उसकी ध्वनि जाती है, वहां तक सभी
इस आयाम के अंतर्गत, मैं नवरात्रि पर्व से सम्बंधित लेख, क्विज़ तथा अन्य रचनायें साझा चाहूंगी!
महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा का यह दूसरा चरण है। रोहन की वसीयत और उससे जुड़ी रोंगटे खड़े करने वाली वस्तुओं की गुत्थी में उलझे श्रीमंत परिवार को उस रहस्यमय यज्ञ के दर्शन हुए जिसे अदृश्य मुमुक्षुओं ने कुरुक्षेत्र में महाविनाश के उत्सव से दूर अपने त्
मनुष्य नहीं पैदा होता, एक समस्या पैदा होती है। हमारे शरीर में ही समस्या बैठी हुई है। और उसका उत्तर नहीं मिल रहा तो बाकी सब उत्तर व्यर्थ हैं। उपनिषद् उस मूल समस्या का समधान करते हैं जिसको अगर काट दिया तो बाकी सब समस्याएँ अपने आप ठीक हो जाती हैं।
आती जाती लहरों की तरह भावनाएं भी उमड़ती घुमड़ती रहतीं हैं और जो भावनाएं शब्द बन लेखनी द्वारा उकेरा जाएं तथा जन मानस के हृदय को स्पर्श करें। जनमानस द्वारा दिया गया प्यार ही हम लेखकों का सुख सागर है जिसमें गोता लगा नया सृजन निकलता है।
मानव जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है ! बिना संस्कार के मनुष्य होकर भी मनुष्य पशु के ही समान है ! संस्कारों के महत्व को देखते हुए मानव जीवन में जन्म के पहले से लेकर मृत्युपर्यन्त १६ संस्कारों की व्यवस्था सनातन धर्म में बनाई गयी है ! इस पुस्तक क
‘मसीही काव्य संग्रह’ मसीही कविताओं का संग्रह है जिसमे प्रभु यीशु मसीह की महिमा हेतु स्वरचित कविताओं एवं गीतों का संकलन किया गया है।
इस पुस्तक में वेद पुराण संहिता आदि से लेकर भगवान नारायण माता लक्ष्मी राधा कृष्ण सीताराम सहित अन्य देवी देवताओं की स्तुतियों का संग्रह किया है जिससे हमारे सभी सनातन प्रेमियों तक यह ज्ञान पहुंच सके जय श्रीमन्नारायण
दानिय्येल की पुस्तक के दूसरे अध्याय में नबूकदनेस्सर के विचित्र स्वप्न का वर्णन किया गया है। उस स्वप्न को वह भूल गया जिसके कारण वह विचलित हो गया। उसकी नींद में व्यवधान पहुंचा। उसने अपने ज्योतिषियों और टोहनों को आज्ञा दी कि वे उसके स्वप्न और उसके अर्थ
शिव अपनी शक्तियां जुटा रहा है। वह नागाओं की राजधानी पंचवटी पहुंचता है और अंततः बुराई का रहस्य सामने आता है। नीलकंठ अपने वास्तविक शत्रु के विरुद्ध धर्म युद्ध की तैयारी करता है। एक ऐसा शत्रु जिसका नाम सुनते ही बड़े से बड़ा योद्धा थर्रा जाता है। एक के बाद