ईश्वर क्या है?’ जे. कृष्णमूर्ति की चर्चित और लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है। यह पुस्तक उस पावन परमात्मा के लिए हमारी खोज को केंद्र में रखती है। ‘‘कभी आप सोचते हैं कि जीवन यांत्रिक है तथा कठिन अवसरों पर, जब दुख और असमंजस घेर लेते हैं तो आप आस्था की ओर
रायपुर के मौदहापारा मे मुसलिम संगठनों व ब्राहमण पारा में हिन्दु संगठनों द्वारा बैठकें की जा रही हैं की कोकराझार आसाम में हुई घटना के बाद हमें किस तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिए ।
इस पुस्तक में प्रतिदिन का पंचांग एवं राशिफल प्रेषित होगा।
मानव जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है ! बिना संस्कार के मनुष्य होकर भी मनुष्य पशु के ही समान है ! संस्कारों के महत्व को देखते हुए मानव जीवन में जन्म के पहले से लेकर मृत्युपर्यन्त १६ संस्कारों की व्यवस्था सनातन धर्म में बनाई गयी है ! इस पुस्तक क
‘मसीही काव्य संग्रह’ मसीही कविताओं का संग्रह है जिसमे प्रभु यीशु मसीह की महिमा हेतु स्वरचित कविताओं एवं गीतों का संकलन किया गया है।
भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला देव माना जाता है क्योंकि भोलेनाथ इतना जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं कभी-कभी तो बिना पूजा किए ही प्रसन्न हो जाते हैं एक बार की बात है एक कथा जाती है एक भक्त भगवान शिव के मंदिर में पूजा करने के लिए जाता है जब वह जल
प्रभु श्री कृष्ण के परम भक्त भक्त शिरोमणि सेवाजी की एक कथा है ,
इस पुस्तक में वेद पुराण संहिता आदि से लेकर भगवान नारायण माता लक्ष्मी राधा कृष्ण सीताराम सहित अन्य देवी देवताओं की स्तुतियों का संग्रह किया है जिससे हमारे सभी सनातन प्रेमियों तक यह ज्ञान पहुंच सके जय श्रीमन्नारायण
दानिय्येल की पुस्तक के दूसरे अध्याय में नबूकदनेस्सर के विचित्र स्वप्न का वर्णन किया गया है। उस स्वप्न को वह भूल गया जिसके कारण वह विचलित हो गया। उसकी नींद में व्यवधान पहुंचा। उसने अपने ज्योतिषियों और टोहनों को आज्ञा दी कि वे उसके स्वप्न और उसके अर्थ
शिव अपनी शक्तियां जुटा रहा है। वह नागाओं की राजधानी पंचवटी पहुंचता है और अंततः बुराई का रहस्य सामने आता है। नीलकंठ अपने वास्तविक शत्रु के विरुद्ध धर्म युद्ध की तैयारी करता है। एक ऐसा शत्रु जिसका नाम सुनते ही बड़े से बड़ा योद्धा थर्रा जाता है। एक के बाद
राम चंद्र श्रृंखला की दूसरी किताब सीता: मिथिला की योद्धा। एक रोमांच जो एक दत्तक बच्ची के प्रधानमंत्री बनने की कहानी दर्ज करता है। और फिर देवी बनने की।3400 ईसा पूर्व भारत मतभेदों, असंतोष और निर्धनता से घिरा था और उस दौर में जनता अपने शासकों से नफरत कर
ब्रज को पानी में डुबा दो!' देवराज इन्द्र ने गरजकर कहा। 'मैं चाहता हूं कि इस छोटे से गांव ब्रज का एक-एक व्यक्ति पानी में डूबकर मर जाए! इन मूर्खों को देवलोक के राजा पुरंदर का अपमान करने का फल मिलना ही चाहिए!' अधिकांश संसार, देवताओं के राजा को 'इन्द्र'