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धरती का अमृत

सुशील मैंनवाल

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23 फरवरी 2022 को पूर्ण की गई
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कहते है कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, पृथ्वी हो या पाताल, स्वर्ग या यम लोक । समय के अनुसार सब कुछ बदल जाता है। ओर बदल जाते हे वहाँ के लोग। जब पृथ्वी पर इंसान बदल गए तो यम लोक में देव ओर बाक़ी के लोग केसे ना बदलते? इसी कहानी पर आधारित है हमारी यह कहानी। चेतनपुर गाव में एक आदमी चेतन सिंह रहता था, ईमानदार था, मेहनत से काम करके खाता था कभी किसी का बुरा नही किया ना किसी को दुःख पहुँचाया। मेहनत मज़दूरी करके अपना ओर अपने घर परिवार वालों का पालन पोषण करना उसकी ज़िम्मेदारी थी। मांस ओर दारू से कोसो दूर था चेतन सिंह। इसके विपरीत उसके 4 दोस्त जो दिन भर मांस दारू पीना, गाव की लड़कियों बहुवो को छेड़ना परेशान करना उनकी आदत थी। कभी भी अपनी मेहनत से कमाकर नही खाया। भला ऐसे लोगों के साथ कान शादी करती, इसलिए वो चारों कुंवारे ही रहै। सारा दिन उनका चोरी चकरी नशे में ही निकल जाता था। एक दिन चेतन सिंह शहर से वापस घर का राशन लेकर लौट रहा था। वापसी में देर होने से डर रहा था। चारों तरफ़ अंधेरा छाया हुआ था। सोच रहा था की कही चोर मिल गए तो सारा राशन ओर बचे हुए पैसे छिन लेंगे। पर घर तो जाना था। शहर में कहाँ रुकता। इसलिए वो डरते डरते गाव की ओर चल पड़ा। रास्ते में कुछ जगह – - उसे रस्सी पड़ी दिखी तो बेचारे ने साँप समझ लिया ओर भगवान से दवा करने लगा की उसे ना डँसे । - एक कुत्ता चुपचाप बेचारा डरते डरते चेतन के साथ साथ चल पड़ा की गाव इसके सहारे पहुँच जाऊँगा, परन्तु चेतन ने भेड़िया समझकर हल्ला कर दिया ओर कही से डंडा हाथ लगते ही कुत्ते को पीटकर भगा दिया। कुत्ता था बेचारा रोते हुए भाग ज्ञ वापस। - थोड़ी देर के बाद ही कुछ लोगों के बोलने की आवाज़ आयी, जो आपस में बातें करते हुए उसके गाव की तरफ़ ही जा रहे थे। पर हमारा भोला चेतन गाव वालों को चोर समझकर छिप गया ओर जैसे ही वो लोग चेतन के पास आए, उसने पहचान लिया की यह तो उसके गाव वाले हे। ओर उसने जहाँ वो छिप हुआ था वहाँ से बाहर निकलकर गाव वालों को पुकारा की रुक जाओ, रुक जाओ। परन्तु गाव वाले बेचारे उन्होंने चेतन को चोर समझा। ओर बचने के लिए वो चेतन से भी अधिक ताक़त से दोड लगाकर भागने लगे। पर चेतन फिर से अकेला रह गया। - थोड़ी दूर छिपते छिपते चेतन चला ही था की उसे उसकी कमर पर एक बोझ महसूस हुआ।चेतन को समझते एक मिनट का भी समय नही लगा की यह शायद भूत है। ओर वो भूत भूत करते करते तेज़ी से भागा। इतने में ही वो भूत उसकी कमर से नीचे गिर गया तो मालूम हुआ कि यह कोई भूत नही था, यह तो वो सामान था जो वो शहर से लाया था, जो उसने अनजाने में कमर से बांध लिया था। आख़िरकार डरते डरते, बचते बचते चेतन अपने गाव के आसपास पहुँच ही गया। पर यह क्या, कुछ लोगों ने उसे घेर लिया ओर सारा सामान ओर पैसे छिन्ने लगे। सबने मह बांधे हुए थे। परन्तु चेतन ने अपना थोड़े ही बंधा था, इसलिए उन चारों चोर में से एक ने उसे पहचान लिया, की यह तो अपना चेतन है। पर चोर तो चोर ही होता है, उन्होंने फिर भी डरते डरते की कही चेतन को मालूम ना हो जाय की चेतन के सारे पैसे ओर सामान उसके दोस्तों ने ही छिना है। चारों चोर चेतन का सारा सामान छिनकर जैसे ही पलटे उनका पैर एक पथर से टकरा गया ओर सर किसी जगह लगा तो एक दोस्त वही मर गया। एक का पैर साँप के ऊपर आग्या वो भी मर गया।एक एक करके चेतन के चारों दोस्त वही उसी समय मर गए। बचा चेतन जब वो रोते बिलखते जाने लगा तो उसके दोस्तों को उसने पहचान लिया की यह तो उसके अपने दोस्त थे, मतलब उसके दोस्तों ने ही उसे लूट लिया, यही सोचकर चेतन को दिल का दोरा पड़ा ओर वो भी वही मर गया। अगले ही कुछ समय बाद चेतन ओर उसके दोस्तों ने खुद को एक सिंग़ वाले आदमी के सामने खड़े पाया, ओर दो लोग बड़े बड़े गंदासे लेकर उस आदमी के दोनो तरफ़ खड़े थे। चेतन को एक पाल समझने में देर नही लगी की यह यम लोक के स्वामी यम देव है। परन्तु उसके दोस्त अभी तक यहाँ वहाँ देखकर डर रहे थे की कहाँ आगाए ओर क्या होगा अब। तभी यम देव ने चेतन को पुकारा, ओर पेरो में गिरकर माफ़ी माँगने लगा – “प्रभु मेरे बचे भूकें है, में तो खाना लेकर अपने घर जा रहा था इन चारों ने मेरा सामान छिन लिया ओर यही मेरी मरत्यु के दोषी है” । एक दोस्त “देख भाई तु जो भी है, हम तुझे नही जानते, पर फिर भी तु चेतन का दोस्त हे तो हमारा भी दोस्त हुआ, इसलिए मंडवाली करते है”। दूसरा दोस्त “हाँ सिंह वाले भाई, हमारी गलती नही है पर फिर भी हम मंडवाली को तेयार है “ तभी यम देव गरजे “यम्म है हम” “तुम सब मर चुके हो गधों, ओर अब तुमको तुमारे करम के हिसाब से सजा दूँगा”। सब सोच में पड़ गए की कब मरे मालूम ही नही हुआ यार। बहुत मृत्यु हुई। सारी ज़िंदगी एक भी अच्छा काम नही किया ओर फिर भी आराम से मर गए। चारों दोस्त ख़ुश हो गए। ओर यमराज को बोल दिया की दे दो सजा। जो देनी है।हम तेयार है। सब सोच में पड़ गए की केसे लोग है यार। तभी यमराज ने चेतन को सबसे पहले बुलाया, ओर पूछा – “चेतन बताओ, तुमने अपनी ज़िंदगी में क्या क्या किया, क्या अच्छा किया क्या ख़राब” परन्तु चेतन ने तो कुछ भी बुरा नही किया था। “यमराज मेने कभी किसी का बुरा नही किया, कभी दारू नही पी, कभी मांस नही खाया, कभी किसी ओरत को नही सताया। में तो दिन रात भगवान की भक्ति में लीन होकर अपने परिवार का पालन पोषण करता था”। इसपर यम राज थोड़ा मुस्कुराए ओर चेतन को साइड में बेठने को बोला। तब यमराज ने एक दोस्त को बुलाया ओर पूछा की बताओ तुमने क्या किया – “देख भाई यमराज, चेतन ने जो नही किया मेने वो सब कुछ किया, मतलब दारू भी पी, जुवा भी खेला, लड़ाई भी की, गाली भी दी, ओरतो को भी परेशान किया, मेने खूब नजे किए भाई। तु चाहे तो तु भी धरती पर जाकर मज़े ले सकता हे”। इसपर यमराज ने ग़ुस्से में उसे दूसरी साइड बेठने को बोलकर दूसरे दोस्त को बुलाया, परन्तु उसका भी फले वाले के सामान ही उत्तर था। इसलिए यमराज ने चारो दोस्तों को एक साइड में बेठा दिया। ओर आदेश दिया की इन चारों को मेरी सभा में स्थान दिया जाय। इसपर चेतन चौंका – “प्रभु यह केसा न्याय है, इन चारों ने इतने पाप किए फिर भी आपने इनह अपने पास स्थान दिया ओर मुझे नही “? “चेतन भाई एक बात बताओ, आपने पृथ्वी का अमृत पिया?” “नही प्रभु “ “परन्तु चेतन भाई, तुमारे इन चारों दोस्तों ने अमृत पिया है, इसलिए मेने इनको अपने पास जगह दी” चेतन सोच में पड़ गया कि बहनचोद यह कोन सा अमृत है, जो इन सालो ने पिया ओर मेने नही पिया”। तभी यमराज ने चेताया – “चेतन तुमारे पास 2 रास्ते है, एक नरक का ओर दूसरा वापस पृथ्वी पर जाकर, अमृत पीकर फिर वापस आने का” । अब चेतन क्या करता, मरता नही तो क्या करता, नरक जाने की बजाई, वापस पृथ्वी पर जाकर अमृत पीकर आना ही अच्छा है। चेतन ने नरक जाने को मना कर दिया ओर पृथ्वी जाने को हाँ कर दी। यमराज ख़ुश हुए ओर उसे पृथ्वी पर भेजने ही वाले थे की चेतन बोल पड़ा – “प्रभु रुकिए, मुझे यह तो बता दीजिए की यह अमृत मिलेगा कहाँ ओर केसे मिलेगा” इसपर यमराज ने पाशा फेंका ओर अगले ही पल यह कहते हुए की धरती का अमृत पीकर ही मेरे पास आना, ओर चेतन वापस उसी के जैसे ही अपने दोस्तों की लाश पर से यही सोचता हुआ घर आ गया कि मालूम नही धरती का अमृत कहाँ मिलेगा । यमराज ने भी कुछ नही बताया”। अगली सुबह चेतन फिर शहर की तरफ़ काम काज की तलाश में निकल पड़ा ओर रास्ते भर यही सोचता चला गया कि काश यमराज अंतिम समय में वो अमृत का पता बता देते तो में जल्दी उनके साथ बेठा होता। तभी चेतन ने एक दुकान के बाहर लम्बी लम्बी लाइन देखी, लोग बड़े ही ख़ुश थे ओर एकदूसरे से आगे जाने के चक्कर में लड़ाई कर रहे थे। लाइन लम्बी थी, पर चेतन तो सबसे आगे जाकर लाइन में देखने लगे की आख़िर यहाँ ऐसा क्या मिल रहा हे जो लोग एकदूसरे के खून के प्यासे हो रखे हे। तभी किसी ने चेतन को धक्का मारा ओर लाइन में आने को बोला। ऐसे धक्के मुक्के के साथ चेतन लाइन के अंतिम छोर पर पहुँच गया। आख़िर में जो आदमी खड़ा था चेतन को गिरते हुए उसने उठाया ओर समझाया – “भाई, यहाँ धरती का अमृत मिलता है, इतना आसानी से नही मिलेगा, इसलिए लाइन में लगना ही पड़ेगा” ओर यह कुछ ओर नही दारू की दुकान थी। ओर चेतन को सहारा देने वाला खुद यमराज थे। जो धरती के अमृत के लिए लाइन में लगे थे। वेधानिक चेतावनी : शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेखक – सुशील चेतनपुर्या न्यू दिल्ली फ़ोन - 9711958994  

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