यह पुस्तक मेरा घर से बाहर एक सपनों का घर है
'सीधे साधे चित्र' सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है। इसमें कुल १४ कहानियां हैं। रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला - ८ कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्यायें हैं।
मैं अपनी डायरी में अपनी कहानियों को संग्रहित कर रही हूं यह डायरी मैंने भी पहले ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था अब प्रतियोगिता के लिए लिख रहीं हूं।
इस डायरी में आप सभी को तरह-तरह की बेहतरीन कविताएं पढ़ने को मिलेगी कुछ देशभक्ति पर कुछ राजनीति पर कुछ गांव की समस्याओं पर तो कुछ हंसी ठिठोली की |
इस किताब में मेरे विचार हैं जो मैं उस विषय में सोचती हूं उनका संग्रह होगा