सूरज तो निकलेगा ही, तपन संग दमकेगा ही, छांव छोड़ बाहर आना ही होगा, तपिश उसका सहना ही होगा। रास्ते पथरीली मिलेंगे ही, कंकड़ सुई सा चुभेंगे ही, उबड़ खाबड़ राह पर चलना ही होगा, कदम आगे बढ़ाना ही होगा। मुश्किलें सफर में मिलेंगे ही, पसीना तो तन से बहेंगे ही, जीवन में मेहनत तो करना ही होगा, सफर खुद आसान बनाना ही होगा। तूफान जीवन में आएंगे ही, लहर सुनामी के उठेंगे भी, इस तूफ़ान-सुनामी से लड़ना ही होगा, हर मझधार चीर आगे बढ़ना ही होगा। अंधेरे तो हर दिन आएंगे ही, कालिमा जीवन में छाएंगे ही, प्रकाश का साधन लाना ही होगा, दीपक खुद से जलाना ही होगा।