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दो गुलाब

17 सितम्बर 2022

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दो गुलाब

फिजाओं मे फिरती खुशबू ओ आब है,

शूल में खिली फिर भी हंसती गुलाब है।

बड़ी नेमतों से मिलता ख्वाहिशों का ख्वाब है,

हसरतों सी गुलिस्तां मे खूब खिला दो गुलाब है।

रोशनाई से नहा रहा रोशन जहां आफताब हैं,

बन गुलदुपहरिया गुलशन हो रहा गुलज़ार है ।

कायनात मे  कैसा ये गुलाबी-गुलाबी नशा छा रहा हैं,

गुलमोहर,गुलदाउदी के गुल, शोरगुल से इतरा रहा है।

कहते हैं गुलाबो नए दौर मे नए-नए गुल खिला रहे हैं,

फितरत है उनकी गुल नहीं,बेशक गुलकंद खिला रहे है।

ताहयात दिल आशनाई का बत्ती गुल कर रहे है,

दिल मे राज करने 'गुलाबों का युद्ध' कर रहे हैं ।

जमाना के साथ लोग  किस कदर बदल रहें है,

गुलाबो-शताबो को भी गुलबदन पुकार रहे हैं।

आदमी के खयालात पे गुलदान भी मुस्करा रहे हैं,

खूबियों के गुलदस्ता से हम खामखा परे जा रहे हैं।

सतीश यदु, कवर्धा

गुलाबो-शताबो - काठ की दो कठपुतलियाँ जिन को तमाशागीर हाथ पर चढ़ा कर आपसी   लड़ाई और मिलाप तमाशा दिखाते हैं ।

गुलाबों का युद्ध - ब्रिटेन में घटित, यॉर्क और लैंकॅस्टर राजवंश लड़े और अंत में टूडर राजवंश बनाया गया ।

गुलदुपहरिया - एक छोटे पौधे का फूल जो सफेद और सुगंधित होता है।


गुलाबो-शताबो - काठ की दो कठपुतलियाँ जिन को तमाशागीर हाथ पर चढ़ा कर आपसी   लड़ाई और मिलाप तमाशा दिखाते हैं ।

गुलाबों का युद्ध - ब्रिटेन में घटित, यॉर्क और लैंकॅस्टर राजवंश लड़े और अंत में टूडर राजवंश बनाया गया ।गुलाबों का युद्ध - ब्रिटेन में घटित, यॉर्क और लैंकॅस्टर राजवंश लड़े और अंत में टूडर राजवंश बनाया गया ।

 सुगंधित होता है।

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