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Durga Prasad Singh (Durga Krishna) के बारे में

जीवन परिचय - हिंदी सिनेमा में बतौर फ़िल्म/गीतकार काम कर रहें हैं दुर्गा प्रसाद सिंह ( दुर्गा कृष्णा ) का जन्म 2 नवम्बर 1985 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था जिसे वीरता, कला, संस्कृति, आध्यत्मिकता और हिन्दी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है। इन्हें कला व सांस्कृतिक सम्मान - 2021 से भी सम्मानित किया गया। इनके प्रपितामह स्व. बजरंग सिंग व पितामह स्व. भारत सिंह लम्बरदार थे, इनके पिता स्व. उदय वीर सिंह एडवोकेट ने भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों को शुशोभित करते हुए कई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस व सेमिनार में अपने देश का प्रतिनिधित्व भी किया। इनकी माता स्व.आशा सिंह ( मैनेजिंग डायरेक्टर ) ने सभी उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता से निभाया। दुर्गा कृष्णा ने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक और लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की। LLB के बाद लखनऊ में PCS (J) की कोचिंग की। अपने पिता के साथ विधि व्यवसाय में बतौर सहायक के रूप में रहकर 10 वर्षो तक कई गवर्नमेंट कारपोरेशन जिसमें IOC, UPSIDA प्रमुख हैं। CIAC, ICA अधिकरण न्यायाधीश (आर्बिट्रेटर), पी.वी.ए.जुगलर हॉक इंडस्ट्रीज प्रा.लि. JS इंडस्ट्रीज। बाद में इन्होंने नई दिल्ली में फर्स्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस ODRM में प्रतिभाग किया। पर्यावरण और जीवों के संरक्षण हेतु कई संस्थाओं के साथ काम किया जिसमें इंग्लैंड की BHA UK, मेनका गांधी की PFA, SAWEP प्रमुख है। NIAW (हरियाणा) से ट्रेनिंग की। इनकी माता का स्वर्गवास 22 मार्च 2021 को और पिता का स्वर्गवास 25 अगस्त 2021 हो गया। गीत, संगीत और लेखन का गुण ईश्वरीय वरदान स्वरूप इन्हें प्राप्त हुआ। इन्होंने एक हिंदी फीचर फिल्म में बतौर सहनिर्माता काम किया। अंशी फिल्म्स व फ़ेमस म्यूजिक एंड इंटरटेनमेंट में बतौर सह निर्माता, गीतकार काम कर रहें हैं। दुर्गा कृष्णा की रचनाओं में दुनिया का हर रंग

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Durga Prasad Singh (Durga Krishna) की पुस्तकें

आशानुभूति का उदय

आशानुभूति का उदय

आशानुभूति का उदय नामक प्रस्तुत किताब हिंदी साहित्य के रूप में एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें हर वर्ग के व्यक्तियों के मनोरंजन के साथ मार्गदर्शन करने वाली रचनाओं को संकलित किया गया है।

10 पाठक
23 रचनाएँ

निःशुल्क

आशानुभूति का उदय

आशानुभूति का उदय

आशानुभूति का उदय नामक प्रस्तुत किताब हिंदी साहित्य के रूप में एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें हर वर्ग के व्यक्तियों के मनोरंजन के साथ मार्गदर्शन करने वाली रचनाओं को संकलित किया गया है।

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निःशुल्क

विविध रंग

विविध रंग

प्रस्तुत पुस्तक में लेखक की गद्य रचनाओं को प्रकाशित किया गया है। सभी रचनाओं पर लेखक का कॉपी राइट है।

निःशुल्क

विविध रंग

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प्रस्तुत पुस्तक में लेखक की गद्य रचनाओं को प्रकाशित किया गया है। सभी रचनाओं पर लेखक का कॉपी राइट है।

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Durga Prasad Singh (Durga Krishna) के लेख

कद्दू की दीवानी

24 नवम्बर 2022
2
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यूँहीं शाम को पार्क में बैठे - बैठे कृष्णा ने पूजा से पूछ ही लिया कि आख़िर क्या वजह है जो हफ़्ते में 5 दिन सिर्फ़ कद्दू की ही सब्जी बनाती हो। लोगों की तरह तरह की दीवानगी देखी लेकिन कद्दू की दीवानी तो सिर

समय की चाल

24 नवम्बर 2022
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अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत देश में एक रियासत के राजा थे। बहुत धन समृद्धि थी उनके परिवार में। काफी समय बाद उनके घर में एक लड़का हुआ जिसका नाम उन्होंने राम सिंह रखा। जब उनका लड़का 5 साल का हो गया

स्वदेश में नही रहना

24 नवम्बर 2022
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वैसे तो ब्रजेश अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, और उसे अपने देश आने का मन तो करता है लेकिन सिर्फ घूमने के लिए और अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए।उसके पास भी उसका अपना परिवार भी तो है , उसकी जिम्मेद

अनोखी चाहत

24 नवम्बर 2022
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वो शाम एक अजीब सा एहसास लेकर आई थी जब अंकित प्यार में धोखा पाकर इतना टूट गया कि उसे जीने से नफ़रत होने लगी। एक वीरान खंडहर में बैठे बैठे उसका दर्द भरा अतीत उसकी आँखों से आँसू बनकर बह रहा था। कब दोपहर स

अनचाही बेटी

24 नवम्बर 2022
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प्रज्ञा के माँ बाप को लड़के की ख्वाहिश थी लेकिन क़िस्मत का लिखा तो मिटा पाना किसी के बस की बात नहीं है ना, इसलिए प्रज्ञा के माता पिता अक्सर उसे उपेक्षित नजरों से देखते थे, आखिर प्रज्ञा उनकी अनचाही बेटी

आंसुओं की बारिश

24 नवम्बर 2022
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अनुएक लड़की थी जिसका नाम अनु था वो अपने घर में बच्चों में बड़ी ही थी लेकिन इतनी उम्र भी नहीं हुई थी कि जिंदगी का हर फैसला कर सके। उसके पापा प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते थे। मम्मी घर का काम करती थी। यू

रिश्तों की कश्मकश

24 नवम्बर 2022
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हर इंसान अपने पूर्व जन्म के बचे हुए कर्मों को पूरा करने के लिए जन्म लेता है। इसके साथ ही फिर वो पूर्व जन्मों के रिश्तों को भी निभाने आता है। ये बात और है कि कभी कभी समाज के लोग उसके पूर्व जन्म के रिश्

भूल सकती नहीं वो मुझको ज़िन्दगी में कभी,

30 अप्रैल 2022
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भूल सकती नहीं वो मुझको ज़िन्दगी में कभी,  इतनी शिद्दत से उसको मैंने चाहत दी है। भूल सकती नहीं वो  मैंने तो दे दिया है अपनी धड़कन उसके दिल को, भूल कर जायेगी कहाँ पर वो आख़िर मुझको। उसके दिल से ना

कितनी शिद्दत से चाहा था।

3 मार्च 2022
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कितनी शिद्दत से चाहा था, दोनों ने इक दूजे को। साथ निभाया जनमों जनम का, दूर हुए ना इक पल को। जीवन की हर राहें देखीं,  चलते रहे संग साथी के। साथ रहे दोनों यूँ हर पल, दिया संग जैसे बाती के

फिर लौट के आजा मेरी माँ

12 फरवरी 2022
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फिर लौट के आजा मेरी माँ, अब दिल ना कभी दुखाऊंगा। सच्ची चाहत दिल में भर कर के, तुम पर चाहत बरसाऊंगा। जो कर्ज मिला इन साँसों का, तेरा नाम कभी ना बिसराऊंगा अपनी रचना में लिख करके, तेरा नाम अमर कर जा

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लेख पढ़िए