लेटलतीफ़ लव कहानी है एक ऐसे 60 वर्षीय अधेड़ की, जिसे दुनिया सिरे से ही भ्रम पूर्ण प्रतीत होती थी। वह पेशे से डॉक्टर था, वह भी दिल का परंतु दिल के इमोशंस से गैर वाकिफ । वह हमेशा अपने पेशेंट से घिरा रहता था और कईयों की जिंदगियां उसकी वजह से ही गुलजार थी
काम-कला के भेद पाश्चात्य तथा पूर्वीय काम-शास्त्रियों ने अनेक खोजपूर्ण और महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ लिखे हैं। उनसे बहुत-सी महत्त्वपूर्ण बातों का सार लेकर तथा अपने अनुभव और विचार का सहारा लेकर हमने इस पुस्तक को लिखा है। यद्यपि यह पुस्तक इस विषय की पूरी पुस्
‘हृदय की प्यास’ आचार्यजी का अत्यंत रोचक उपन्यास है। यह उपन्यास ऐसे युवक-युवतियों की सरस कथा है जिसमें वे वासनाओं की ओर झुकते हैं और फिर भावना तथा कर्तव्य की पहेली को सुलझाने का प्रयास करते रहते हैं। यह प्रयास ऐसी कथा बुनता चला जाता है कि पाठक बंधता च
सुधीर सिंघल निहायत घटिया, बदनीयत! सूरत से कामदेव सरीखा ऐसा नौजवान था, जो पैसों की खातिर किसी भी हद तक जा सकता था। अधेड़ उम्र की औरतों को अपने प्रेमजाल में फाँस सकता था, नौजवान लड़कियों की कमाई पर ऐश कर सकता था। वह कइयों की जिंदगी में उथल-पुथल मचाये था,
अंकुर रोहिल्ला बेहद दौलतमंद, लेकिन हद दर्जे का अय्याश था, जिसकी नीयत अपने ही किरायेदार की बेटी पर खराब थीं। फिर एक रात मानो जलजला आ गया। वह मासूम लड़की लापता हो गई। क्या लड़की का बाप, क्या पड़ोसी, सबको जैसे यकीन था कि उसकी गुमशुदगी के पीछे अंकुर के क