(Romantic thriller story)
Episode - first
आएशा की उलझन और धूंधली तस्वीरे
हमारी कहानी की नायिका आईए उसने मुलाकात करते है आएशा से। आएशा लंदन में रहती है, वैसे बड़ा खुबसुरत शहर है लंदन। हर एक की तमन्ना होती है कि जिंदगी में एक बार जरुर से जाकर लंदन देख आये। हमारे भारतीय कितने ही लंदन में रहते है , पढाई कर वही सेटल हो जाते है, उसी शहर में रहनेवाली आएशा एक खुबसुरत सी लडकी है।
आएशा लंदन के ही कॉलेज में पढाई कर रही होती है ।आईशा अपनी M.B.A. की पढाई कर रही होती है, वैसे काफी शांत स्वभाव है आएशा का , पर जाने कहाँ वो आजकल गुम रहती है, कुछ है जो वो भूला नहीं पा रही है, ना ही किसीको बता पाती है।
आएशा जहा रहती है वहीं पास से थेम्स नदी बहती है तो अक्सर वो अपनी दोस्त जेनी के साथ इस ब्रिज पर आ जाती है, यहा आकर उसे शांती महसुस होती है, कुछ पल कल - कल करती बूंदों से वो अपने अंदर का शोर भूल जाती है।
बचपन से ही आएशा ऐसे ही है, किसीसे ज्यादा बातें कहां वो करती है बस अपने अंदर सब रखकर कुडती रहती है वो। उसके मम्मी पापा भी कहा ही उसको समझते है । बस एक जैनी और दुसरी उसकी केअरटेकर है जो उसे अच्छे से समझते है, जैनी उसीके साथ M.B.A. कर रही है, पर जैनी लंदन की निवासी नहीं है.
वो भारतीय है बस पढने के लिए जैनी लंदन गई है, साथ में उसका भाई आकाश भी रहता है जो कभी इस जगह तो कभी उस जगह घूमता रहता है। जेनी आकाश की सगी बहन नहीं है, जैनी आकाश की कझिन है। वैसे तो दोनों के बिच कोई खुन का रिश्ता नहीं है पर खुन से बढकर रिश्ता है।
जैनी को आकाश के चाचा ने गोद लिया हुंवा है, बचपन से ही वो आकाश के घर में रहती है। आकाश की जॉईण्ट फैमिली है, जहां सब राजी खुशी रहते है। जेनी संजीव के दोस्त यानि आकाश के चाचा के दोस्त और आज के जेनी के पिता है उनकी बेटी है।
एक सड़क हादसे में जैनी के असली मम्मी पापा की मौत हो जाती है, जैनी काफी छोटी होती है तो संजीव उसे अपने साथ अपनी बेटी बनाकर लाते है, तब से जैनी संजीव की बेटी कहलाती है। जैनी का एक सगा भाई भी है और एक कझिन आकाश, जो कुछ केसेस पर काम कर रहा है, तो फिलहाल जैनी के यहां रुका हुंवा है।
जैनी के साथ साथ आईशा के काफी सारे दोस्त है पर वो ज्यादातर जैनी के साथ ही रहती है, आएशा को थिएटर का बड़ा शौक है, उसे मूव्हीज देखने का भी शौक है। आईशा इन दिनों क्लासिकल डांन्स भी सिख रही है। साथ साथ वो पियानो भी काफी अच्छा बजा लेती है। वो इन दिनों अलग अलग भाषाऐ सिख रही है।
ये सब तो वो सिख रही है फिर भी कुछ किऐ उसकी परेशानी कम होने का नाम ही ना ले रही। वो खुद को इतना बिझी रखना चाहती है की कुछ सोचने समझने के लिए उसे वक्त ही ना मिले, फिर भी वो परेशान हो ही लेती है।
कुछ खयालात, कुछ ख्बाब है जो हरदिन उसे परेशान किये जा रहे है, बचपन से लगातार वो यहीं ख्बाब देखे जा रही है, आज करीबन उन्नीस बीस साल हुंवे पर ये ख्बाब आना बंद नहीं हो पा रहे है। ये बात केअरटेकर को बताती है, पर वो भी कुछ ना समझ पा रही है।
पापा मम्मी को क्या ही बताये उनसे तो बात तब होती है जब कोई फंक्शन हो घर में। तब भी सिर्फ जरुरत जितनी ही बात होती है उनके दरम्यान। वरना तो जब वो घर में होते है तो अपने कमरे में होते है और आएशा अपने कमरे में।
आएशा उन दोनों की इकलौती बेटी है, सब ये वो उसीके भविष्य के लिए कर रहे है, पर उन्हें ये बात समझ नहीं आ रही कि वो उसीसे दूर होती चली जा रही है।बचपन में आएशा को बहुत बुरा लगता था पर अब तो उसे इन सब बातों की आदत सी हो गई है।
भगवान ने तभी तो बहन जैसी जेनी सहेली दी है, जिससे वो बातें कर सकती है आज भी वो ब्रिज पर जैनी के साथ ही खड़ी होकर निचे से उपर आनेवाले थंडे खंडे हवा के झोकों को महसूस कर रही होती है, और पानी की ध्वनी को सुन रही होती है।
जैनी अपने आप में बातें करी जा रही है, पर आएशा का ध्यान तो निचे से बहते पानी की ओर है।थेम्स नदी उसे अपनी जैसी ही लगती है, लगातार बहती जा रही, जाने कितना कुछ समाया है उसने अपने अंदर। पर किसीको कुछ नहीं कह पाने का दर्द बहुत ज्यादा होता है।
लंदन के फेमस ब्रिज पर खड़ी होकर कुछ निहारते जा रही है, और जैनी उसकी दोस्त लगातार उससे बातें कर रही है, वैसे तो दोनों एक साथ पढते है, आएशा को दोस्तों की कमी नहीं है पर उन दोस्तों में भी जब वह अकेलापन महसूस करती है चली आती है यहां पर कुछ देर रुकने। निचे से बहते थेम्स के शोर के बिच कुछ देर तक अंदर का शोर वो भूल जाती है कभी कभी ज्यादा ही वो महसूस कर लेती है।
मकान में तो वो कम ही रहती है हमेशा इधर उधर बाहर ही भटकती रहती है, हालाकि नोकरों से भरा हुंवा घर है उसका, पर कमी है तो मां पापा के प्यार की, दादी या फिर दादाजी होते तो शायद इतनी कमी ना खलती उसको, पर क्यूंकी दादा दादी तो उसके बचपन में ही गूजर गये थे।
अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए उसके दादा दादी इंडिया से लंदन गये थे अपने दोस्त के साथ दलजित कौर के साथ, वे अपने दोस्त के छोटी से कारखाने में काम करते थे। आएशा के पापा आलोक ने उन्हें छोटे छोटे जरुरतो के लिए जज्दो जहत करते हुंवे देखा था , बचपन से ही आलोक मोल मजूरी करते थे पढाई के साथ।
दिलजीत अंकल उनके पढाई का सारा खर्चा उठाते थे, तब गरीबी के कारण पापा और आलोक को काम करना पढता था, आज काम ही उनकी जरुरत बन गई थी, कहते है ना गरीबी सब सिखा देती है, वैसे वे छोटे छोटे काम करके आज बडे आदमी, कामयाब बिझनेसमन बन गये थे, आलोक बजाज, जिनके काफी बिझनेस थे।
आलोक की रिना के साथ लव्ह वाली शादी हुंवी थी, कॉलेज में पढते पढते प्यार फिर शादी हो गई, उसकी मां भी पढी लिखी, मेहनती इंसान थी तो वो भी बडी नामचिन एंटरप्रेन्योर थी रिना बजाज।
लंदन के एक अलिशान ब्रिज पर खड़ी होकर आएशा कुछ सोच रही थी, हर शाम अपने दोस्त के साथ मतलब के जेनी के साथ वह लंदन के इस फेमस ब्रिज पर आ जाया करती है, यहां आकर आएशा को बडा़ सकुन महसूस होता रहता है वैसे आएशा को किसी चीज़ की कमी नहीं होती है घर में। अपनी मां पापा की इकलौती रईस लडकी है वह।
पापा उसके लंदन के रईसों में गिने जानेवाले चंद रईसों में से एक है कहा जाये तो, one of the richest businessman ये छबि है। आलोक और रिना अपनी बेटी को वक्त ही नहीं दे पा रहे थे।
आएशा अब भी ब्रिज पर खड़ी होकर कुछ सोच रही होती है, तभी उतने में पिछे से जेनी उसे आवाज लगती है, पर वह जाने किस खयाल में खोई है कि आवाज लगाने पर भी वह kuch reply nahi deti।
अब जैनी उसके कंधो पर पिछे से हाथ रखती है तो वह हडबरात में पिछे मुड़ती है, तो उसके हाथों में जो चीज़ थी वह नीचे गिर जाती है। नीचे से थेम्स नदी पुरी उफान के साथ बह रही होती है। फिर से जैनी और आएशा दोनो मुड़कर नदी की और देख रही होती है।
नदी के उफान को देखकर आएशा जैनी से कहती है कि " जैनी मेरे अंदर भी ऐसे ही एक तूफ़ान उमड़ रहा है जो शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। आज फिर से मैने कल रात को वही सपना देखा, सपने में मैंने वहीं अनजान जगह देखी है, कौन सी जगह है ये, और क्या रिश्ता है उस जगह से मेरा!"
जैनी उसे शांत करते हुंवे कहती है हम जरुर वो जगह ढूंढ लेगें, तुम परेशान मत हो, जैनी क्यूंकी बहुत अच्छी पेंटर है वो हमेशा से ही किसी ना किसी की पेटिंग निकालती रहती है, आजकल ये उसका काम हो गया था की आये दिन वह आएशा का ख्बाब सुनना और उसके बारे में बताये मुताबिक पेटिंग निकालती, अब तक वो कितनी धूंधली सी तस्वीर निकाल चुकी होंगी उसे ही नहीं पता। पर आज जो आएशा बताने वाली थी उससे आएशा की जिंदगी बदलनेवाली थी, वो एक ओर कदम अपने मंजिल की ओर बढनेवाली थी, क्या थी उसकी मंजिल, क्यूं ही उसे धूंधली धूंधले से चेहरे और अजीबों गरीब जगह दिख जाती थी ख्बाबों में, कौन से ख्बाबों से वह आये दिन परेशान रहती थी, क्यू वो अपनी परेशानियां माँ पापा को नहीं बताती थी, आज उसने ऐसा क्या ही देख लिया था अपने ख्बाबों में कि इतनी परेशान थी, किसीका चेहरा देखा उसने।
जैनी हमेशा से ही उसके साथ रहती थी, थोडी देर बाद वो नॉर्मल हो गई, उसने बताया की उसने एक बच्चे को गोली मारते हुंवे देखा, एक जलते शहर और लाशों के ढेर के बिच वह बैठकर रो रही है, और एक भला मानस उसे अपने गले से उतारकर लॉकेट पहना रहा है, उसे गोली आकर लग जाती है, और गोली चलाने वाला कोई शार्तिद अपराधी ना होकर एक नन्हा सा बच्चा है जिसकी उम्र करीबन चौदह पंद्रह साल के बिच होगी, और वह सात आठ साल की लड़की को देखती है।
साथ ही साथ वह ये भी देखती है की वो लड़की चेहरे पर मुस्कान लिए उस लड़के का हाथ ठामे उसके साथ जा रही है, क्या मतलब क्यूं वो लड़की उस खुनी बच्चे के साथ जा रही है, क्या रिश्ता उसका उस बच्ची के साथ, ना सिर्फ उस बच्ची के साथ पर उस आदमी जो लॉकेट पहनाता है और वो लड़का जो ले जाता है।
क्या सच में वो बच्चा खुनी था की उसके आंखों को कोई भम्र हुवा था ये वो जान नहीं पा रही है, आजकल वो सच्चाई और एक ऐसी दुनिया जो सिर्फ उसके ख्बाबों खयालों में है उसके बिच फसकर रह गईं है। कभी कभी तो उसे शक होता है जो अब उसके आसपास है वो भी रियल में हो रहा है या वो भी आंखों का धोका ही है। बस यहीं कश्मकश में उसका दिल उस बच्चे को खुनी मानने के लिए राजी ना हो रहा है।
यहीं उथल कूद में वो एक मंदिर देखती है जहां वो बच्चा उसे ले जाता है, गणपती जी का मंदिर, पर जगह उसे याद नहीं है, गणपती जी का मंदिर वह ढुंढना चाहती है, वह जैनी को उस मंदिर , उन चेहरों की पेटिंग बनाते को कहती है। आये दिन आनेवाले ख्बाबों से परेशान होकर वह साइकैट्रिस्ट के पास चली जाना चाहती है। क्या डॉक्टर सच में उसकी मदद कर पायेंगे या फिर नहीं, आखिर क्यू आते है आईशा को डरावने ख्बाब ,क्या वह जान पायेगी अपना सच या फिर तस्वीरों में उलझकर जैसे बचपन गया जवानी भी बित जायेगी, कैसे होगा हमारे नायक के साथ सामना, क्या वो भी जूडा़ होगा कहीं ना कहीं आएशा के अतीत से जानिए अगले एपिसोड़ में ।
"दो चेहरे प्यार या धोखा।"