चाणक्य का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्होंने तक्षशिला में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जिसे कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वह मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (आरसी 321-सी.297 ईसा पूर्व) के श
इस माह की दैनन्दिनी में आपको विविध विषयों के अंतर्गत जहाँ एक ओर हमारे सामाजिक चिंतन में मित्रता और आज़ादी के गर्व और खेलों के महत्व को समझने-पढ़ने को मिलेगा वहीँ दूसरी ओर सनातन धर्म की महानता के साथ ही लोक जीवन में रक्षाबंधन, स्वतंत्रता दिवस और गणेशोत
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण
ओशो द्वारा कृष्ण के बहु-आयामी व्यक्तित्व पर दी गई 21 र्वात्ताओं एवं नव-संन्यास पर दिए गए एक विशेष प्रवचन का अप्रतिम संकलन। यही वह प्रवचनमाला है जिसके दौरान ओशो के साक्षित्व में संन्यास ने नए शिखरों को छूने के लिए उत्प्रेरणा ली और “नव संन्यास अंतर्राष
गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि जो भी मनुष्य भगवद गीता की अठारह बातों को अपनाकर अपने जीवन में उतारता है वह सभी दुखों से, वासनाओं से, क्रोध से, ईर्ष्या से, लोभ से, मोह से, लालच आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानते हैं भगवद
यह दुखांत नाटक की परंपरा के नजदीक है । ' भारत दुर्दशा ' में पराधीन भारत की दयनीय आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक – सांस्कृतिक अधः पतन का चित्रण है । 'सती प्रताप' सावित्री के पौराणिक आख्यान पर लिखा गया है। भारतेंदु ने अंग्रेजी के ' मर्चेंट ऑफ वेनिस ' नाटक क
जब ग्रीष्म ऋतु में सूरज के भीषण ताप से सम्पूर्ण धरती के साथ ही जीव-जंतु झुलस कर आकुल-व्याकुल हो उठते हैं तब समस्त जीव-जगत को वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा रहती है और जैसे ही आकाश में बादल आकर बरसते हैं तो झुलसी, मुरझाई धरती और जीव-जगत में नवजीवन संच
इस किताब में आपको शब्द इन द्वारा दिए गए विषयों पर उत्कृष्ट एवं उत्तम लेख पढ़ने के लिए मिलेंगे। कृपया हर लेख को पढ़कर अपनी सुंदर समीक्षा अवश्य लिखें,,। 🌻वासुदेवाय नमः🌻
चलो सखी फिर से चले एक नये सीजन के सफर पर ।वादा करो मेरे मन की सब सुनोगी और समय समय पर मुझे तसल्ली भी दो गीत।
दिसम्बर का महीना । तुम्हारी हमारी इस मुलाकात का आखिरी महीना।चलो सखी करे मन की बातें ढेर सारी तुम हम एक साथ।
इस कल युग कि मानवता मे पेड मेरा दोस्त नामक कहानी एक अनोखा उदाहरण है
यह व्यंग्य निबंध उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती (1824-1883) और केशवचंद्र सेन (1838-1884) की मृत्यु के बाद लिखा था। इस निबंध में यह कल्पना की गयी है कि आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती और प्रख्यात ब्राह्म समाजी केशवचंद्र सेन जब स्वर्ग पहुंचे
आधुनिक हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु जी का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। वे बहूमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि सभी क्षेत्रों में उनकी देन अपूर्व है। वे हिंदी में नव जागरण का संदेश लेकर अवतरित हुए। उन्होंने हिंदी के सर्
उत्तर: 'एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न' में लेखक ने अपने समय के समाज की विकृत दशा का वर्णन किया है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास, स्वार्थपरता, शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा, अंग्रेजी शासन की अत्याचारपूर्ण नीति, नश्वर संसार में यशस्वी होने की लालसा आदि का वर्णन भ
'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है' निबंध के लेखक भारतेंदु हरिश्चंद हैं। ... उनका यह निबंध हरिश्चंद्र चंद्रिका के दिसंबर 1884 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस निबंध (nibandh) में लेखक ने कुरीतियों और अंधविश्वासों को त्यागकर शिक्षित होने, सहयोग एवं एकता पर
इस लेख का उल्लेख 'रामायण का समय' नामक लेख में पहले ही आ चुका है जो सन् 1884 की रचना है। इसी से आर्यों में सबसे प्राचीन एक ही देवता थे और इसी से उस काल के भी आर्य वैष्णव थे। ... कालांतर में सूर्य में चतुर्भज देव की कल्पना हुई।
इस पुस्तक में शब्द.इन द्वारा दिए गए विविध विषयोँ में किया गया लेखन संगृहीत है।
विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां
प्यारे साथियों,,, दिलरुबा मेरी डायरी का नाम है,, यह डायरी मेरे व्यक्तित्व का आईना है,, मेरे आसपास घटित होने वाले कुछ कहे अनकहे पल इस डायरी में पढ़ने को मिलेंगे,,,,, कुछ मनोरंजक, कुछ उपयोगी, और कुछ बहुमूल्य विचार मैं इस डायरी में शेयर करती रहूंगी,, मु